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कविता

बरसा ह आवत हे!

डोंगरी गुंगवावत हावय,कोरिया फूल महमहावय।
छन-छन पैरी बजावत बरखा रानी आवत हावय।

भुंईया पहिरे हरियर लुगरा
बादर दिखय करिया करिया।

मन मतंग होके बेंगवा छत्तीस राग गावत हावय।
छन-छन पैरी बजावत बरखा रानी आवत हावय।

किसनहा के मन हरसागे।
धनहा डोली म धान बोवागे।

रोपा,बियासी के बुता म रमके लइहा मतावत हावय।
छन-छन पैरी बजावत बरखा रानी आवत हावय।

गली -खोर सब चिखला माते।
नान्हे नान्हे जम्मो लइका नाचे।

नदिया-नरवा,ढोंडगा म बइहा धार बोहावत हावय।
छन-छन पैरी बजावत बरखा रानी आवत हावय।

रीझे यादव
टेंगनाबासा(छुरा)