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कविता

बस्ता

घाठा परगे खाँध म
धर लेथन बस्ता
कभू-कभू हाथ म

झोला के पट्टी संघार के
बोह लेथन बस्ता
लकड़ी के साँगा डार के

ज्ञान के जोरन आय
सबो पढ़थैं जेला
प्राथमिक शिक्षा कहाय

पीठ म पाठ लदाथे
भाग गढ़े खातिर
कतको दूरिहा रेंगाथे

फूलतिस हँसी फूल अस होंठ म
बस्ता के लदना होतिस कम
जब रहितिस ग्रंथालय सबो स्कूल म

बस्ता बस ले बाहिर
जेन बोहैं तेने जानैं
बोहे बर कइसे होगैं माहिर |

असकरन दास जोगी