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कविता

बेटी ल बचाबो

जग म आए के पहली ,
झन मारव कोनो बेटी ला।
दुख म सुख म काम आते,
झन धुतकारव बेटी ला।

बेटी बिना हे जग ह सुन्ना,
अऊ सुन्ना घर दुआर परछी ग।
झन डालव कोनो गोड म बेड़ी,
उड़ान दे बनके पनछी ग।

पढ़न लिखन दे मन के ओला,
करव झन कोनो सोसन ग।
पढ़ लिख के ओ नाम कमाही,
करही दाई ददा के नाम रोसन ग।

बेटी बचाबो बेटी पढ़ाबो,
इही नारा ल अपनाबो ग।
नारी शक्ति ल जोर दे बर,
कुछू करम ल अपनाबो ग।

युवराज वर्मा
ग्राम बरगड़ा(साजा)
जिला बेमेतरा
9131340315 yuvrajverma271@gmail.com
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