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व्यंग्य

भइंसा चोरी के सीबीआई जांच

जइसे लइका ल सेंके बर गोरसी के आंच जरूरी होथे, जइसे दरपन बनाय बर कांच जरूरी होथे, वइसने चोरी-डकइती, गडबड-घोटाला के खुलासा करे बर जांच जरूरी होथे। जांच अइसन-वइसन घलो नई, सिद्धा सीबीआई जांच! हमर बबा। पहरो म अइसन जांच नई होत रिहिस।
एक दिन के बात हरय। हमन चउपाल म बइठ के तिरी-पासा खेलत रेहेन। सरपंच घला बइठे रिहिस। ओतकी बेरा टरकू कका ह सइकिल म चघके अपन खेत कोती गिस। घंटा भर म जब वोहा अइस त रेंगत-रेंगत। मेहा पूछ परेंव- सइकिल ल कते कर छोड देस कका, रेंगत आवत हस।
टरकू कका ह कहिथे- का कहिबे रे, कोन ए ते सइकिल ल चोरा के लेगे। हमन कउवा गेंन- दिनदहाडे सइकिल चोरी होगे! पूछेन- कइसे चोरी होगे गा?
टरकू कका किहिस- मेहा सइकिल ल मेड म खडा करके मुही बांधे ल धरलेंव। तीन-चार ठन मुही ल बांध के आके देखथंव त सइकिल नइये। का करतेंव, रेंगत आवत हंव। ओतकी बेरा सरपंच ह कहिथे- टरकू, तैं चिंता झन कर, तोर सइकिल मिल जही। टरकू पूछिस- कइसे सरपंच साहेब? सरपंच कथे- मेहा वोला खोजवाय बर सीबीआई जांच बइठा देहूं।
सीबीआई जांच! ये का जांच ए? हमन जम्मो कोई पूछेन त सरपंच बतइस- अरे तुमन काहीं ल नइ जानव का? सीबीआई जांच बहुत खतरनाक होथे। कोनो पानी बुडेय नइ बाचय। वोकर अधिकारी मन बिकट दिमाक वाला होथे। तीन महिना पहिली तैं का साग खाये रेहेस
उहू ल बता देथे। बाप रे! अत्तक दिमाक वाला, टरकू ह कहिथे- सरपंच साहेब मोला का करे ल परही?
अरे कुछू करे ल नई परय। तेहा एकठन अवेदन बनाबे। वोमा रिहिस। बोमा कोन कम्पनी के तारा लगे रिहिस। घंटी रिहिस के नइ रिहिस त बाजय के नई। टायेर-टीव कोन कम्पनी के धराय रेहेस। जब मेड म खडे रिहिस त वोकर दूनो चक्का म हवा रिहिस के नइ रिहिस। मटगार-बंफर लगे रिहिस के नइ, बाइस इंची रिहिस के चोबीस इंची। लेडिस साइकिल तो नई रिहिस। रिहिस त तेहां पुरुस होके काबर चलात रेहेस। अउ हां, वोकर फरेम नंबर हर हाल म लिखना जरूरी हे। अवेदन म ये सब भरके तीन सो रुपिया फीस जमा करे बर देबे। मेहा रइपुर जाके तुरते सीबीआई ल थमा देहूं। फेर देख, तोर सइकिल ह एक-दू दिन म कइसे मिलथे।




सरपंच ह ये सब समझावत रिहिस के वोतकी बेरा परभू फूफा ह टरकू के सइकिल म चघके अइस। सइकिल ल देवाल म ओधा के किहिस- टरकू भइया, येदे तोर सइकिल। मोला अब्बड जोर से झाडा लागत रिहिस त मेहा नरवा तनी लेगे रेहेंव, गारी झन देबे।
जब टरकू अउ परभू ह चलदीस त सरपंच ह कहिथे- परभू ह लबारी मारत रिहिस। अभी देखे हस, ये जघा ले बीच म कोन उठके गिसे?
अरे, परभू के टूरा ह गिसे, परभूच ह सइकिल ल चोराय रिहिस। सीबीआई जांच के नाव ल सुनके वोकर टूरा ह अपन ददा ल जाके बतइस होही। तहन वोहा लकर-धकर सइकिल ल लहुटा दिस अउ झाडा जाय के बहाना मार दीस।
अभि दू दिन नई बितन पइस के बंटू ठेठवार के एक जोडी भइंसा ह गंवागे। वोहा होत बिहंचा सरपंच कना गिस। वोतकी बेरा सरपंच ह कहुंतनी जाय बर निकलत रिहिस। बंटू ल देखके किहिस- कहां आहस जी बंटू? तोरेच कर आय हंव सरपंच ददा। मोर एक जोडी भइंसा काली के गंवा गे हे। वोला आपमन खोजवा देवव। बडे मेहरबानी होही। सरपंच किहिस- अरे तैं झन फिकर कर, अराम से बइठ। अवो सुनत हस। वोहा अपन गोंसइनिन ल किहिस- दू कप चहा तो बना दे, तब तक मेहा ऐकर अवेदन बनात हंव।
अवेदन म दूनो ठन भइंसा के होलियाजरी लिखके सरपंच ह किहिस- ऐकर फीस हजार रुपिया जमा करे ल परही बंटू। काबर के ऐहा बडे मामला हरय। मेहा आजेच रइपुर जाके सीबीआई जांच बिठा देहूं। दू-चार दिन म तोर भइंसा मन मिल जही। तैं अराम से घर जा। ठीक
से खा-पी। जादा संसो झन कर।
बंटू ह सरपंच ल एक हजार रुपिया दे देहे। बीस-पच्चीस दिन ले जादा हो गे हे। भइंसा चोरी के सीबीआई जांच ह आज ले चलतेच हे।

किसन लाल
देमार
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