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गोठ बात

भारतीय संविधान अउ महतारी भाखा

गणतंत्र दिवस के तिहार हमर पूरा देस म हमर देस के स्वतंत्र संविधान लागू करे खुसी म हर बछर 26 जनवरी के दिन मनाय जाथे। संविधान के मतलब होथे देस म सासन चलाय के नियम-कानून। हमर देस के कानून अउ सासन बेवस्था हमर संविधान म दर्ज धारा, अनुच्छेद अउ अनुसूची के मुताबिक चलथे।
जब संविधान लागू हो चुके हे तौ वोमा लिखाय हर बात के पालन घलो होना चाही। आपमन ल ये जान के ताज्जुब होही के संविधान के अनुच्छेद 350 (क) म लिखाय बात के पालन हमर छत्तीसगढ़ राज म नइ होवत हे। संविधान के अनुच्छेद 350 (क) म मातृभाषा के संबंध म उल्लेख हे। जेखर मुताबिक प्राथमिक सिक्छा के माध्यम महतारी भाखा होना चाही। आप सब झन ल मालूम हे हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी आय। का हमर प्रायमरी इसकुल म महतारी भाखा माध्यम म पढ़ई-लिखई होथे? एखर जवाब सब ल मालूम हे।
हमर सरकार छत्तीसगढ़ी ल राजभासा घोसित कर चुके हे। फेर बड़ दुख के बात हे के हमर राज के निवासिच मन ल ये बात के पता नइ हे। छत्तीसगढ़ी भासा सिरिफ आपस म बोलेच-बताय तक सीमित हे। छत्तीसगढ़ी ह न राजकाज के भासा बने हे न कामकाज के। जम्मो डाहर हिन्दी अउ अंगरेजी के राज हे। इहां तक के इसकुल तक म एकर एक स्वतंत्र भासा के रूप म कोई पहिचान नइ हे। छत्तीसगढ़ी ल कोनो भासा माने बर त इयार नइ हे। अभी घलो एकर पहिचान एक बोली के रूप म होवत हे।
का गणतंत्र दिवस के दिन संविधान के अनुच्छेद म लिखाय बात के पालन के मांग नइ होना चाही? महतारी भाखा ल प्राथमिक सिक्छा के माध्यम बनाया जाय। इसकूली सिक्छा म छत्तीसगढ़ी ल स्वतंत्र अउ अनिवार्य बिसय बनाया जाय। छत्तीसगढ़ी ल हिन्दी संग संघेर के पढ़ाना बंद होय। यदि अइसन नइ हो सकय तौ संविधान म संसोधन कर के अनुच्छेद 350 (क) ल काबर नइ हटा देना चाही? ओखर का जरूरत हे?
महतारी भाखा मयारुक मन ल हर रास्ट्रीय परब म ए बात के चिंतन करना चाही के हमर महतारी भाखा छत्तीसगढ़ी ल काबर वोखर वाजिब मान-सम्मान अउ हक नइ मिलत हे जेखर वो हकदार हे। रास्ट्रकवि मैथलीशरण गुप्त ह सिरतोन केहे हे-

“निजभासा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।
बिन निजभासा ज्ञान के मिटत न हिय के सूल।

दिनेस चौहान,
छत्तीसगढ़ी ठीहा,
सितला पारा, नवापारा-राजिम।
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