मुड़ी हलावय टेटका, अपन टेटकी संग जइसन देखय समय ला, तइसन बदलय रंग तइसन बदलय रंग, बचाय अपन वो चोला लिलय गटागट जतका, किरवा पाय सबो ला भरय पेट तब पान पतेरा मा छिप जावय ककरो जावय जीव, टेटका मुड़ी हलावय ।। ************************** भाई एक खदान के, सब्बो पथरा आँय कोन्हों खूँदे जाँय नित, कोन्हों […]
Category: कविता
दुलहा हर तो दुलहिन पाइस बाम्हन पाइस टक्का सबै बराती बरा सोंहारी समधी धक्कम धक्का । नाऊ बजनिया दोऊ झगरै नेंग चुका दा पक्का पास मा एक्को कौड़ी नइये समधी हक्का बक्का । काढ़ मूस के ब्याह करायों गांठी सुक्खम सुक्खा सादी नइ बरबादी भइगे घर मा फुक्कम फुक्का । पूँजी रह तो सबे गँवा […]
नेरुवा दिही छांड के बेपारी मन आइन, छत्तीसगढ़ के गांव गांव मं सब्बो झन छाईन लडब्द् परेवा असन अपन बंस ला बढाईन। कहि के ककाा, बबा, ममा, चोंगी ला पिया के। घर मां खुसर के हमर पेट ला मर दिहीन …। चांदी के सुंता, बारी फूल कंस कहां गए ? हाड़ा असन दिखत हावे, तोर […]
व्हाट्स एप ग्रुप साहित्यकार में श्री अरूण कुमार निगम भईया ह पितर पाख मा पुरखा मन के सुरता कड़ी म श्री हरि ठाकुर के कविता प्रस्तुत करे रहिन हे जेला गुरतुर गोठ के पाठक मन बर सादर प्रस्तुत करत हन – दिया बाती के तिहार होगे घर उजियार गोरी, अँचरा के जोत ल जगाये रहिबे […]
तीजा के अगोरा
बेटी माई मनके आरूग तिहार ताय तीजा । मईके के मया अऊ दुलार ताय तीजा । पाख लगे हे सपना मा जईसन उड़ान ताय तीजा । संगी जहुरियां सखी सहेली के मिलान ताय तीजा । करू भात अऊ करेला के सुग्हर साग ताय तीजा । फेर निरजला उपास के घलो नाव ताय तीजा । मईके […]
झंडा फहराबो
हमर देश होईस अजाद, आजे के दिन, आवव संगी झूमे नाचे बर जाबो। जगा जगा झंडा फहराबो, अऊ आरूग तिहार मनाबो। लईका लोग अऊ सियान, सुन ग मोर मितान, संसकिरती अऊ माटी के, मान ल सुग्घर बढ़ाबो। हमर सियान के सियानी रद्दा म, सोजे सोज जाबो। अतलंगी करैया मनखे ल, मया के भाखा सिखाबो। पुरखा […]
सवनाही : रामेश्वर शर्मा
संपूर्ण खण्ड काव्य सेव करें और आफलाईन पढ़ें
काबर बेटी मार दे जाथे
कतको सबा,लता,तीजन ह मउत के घाट उतार दे जाथे देखन घलो नइ पावय दुनिया,गरभे म उनला मार दे जाथे बेटा-बेटी ल एक बरोबर नइ समझय जालिम दुनिया ह बेटा पाए के साध म काबर बेटी कुआँ म डार दे जाथे? काबर बेटी मार दे जाथे? नानपनले भेद सइथे बेटा ल ‘बैट’ एला ‘बाहरी’मिलथे काम-बुता म […]
ओहा मनखे नोहय
जेन ह दुख म रोवय नइ मया के फसल बोवय नइ मुड़ ल कभू नवोवय नइ मन के मइल ल धोवय नइ ओहा मनखे नोहय जी। जेन ह जीव के लेवइया ए भाई भाई ल लड़वइया ए डहर म कांटा बोवइया ए गरीब के घर उजरइया ए ओहा मनखे नोहय जी। जेन ह रोवत रोवत […]