लाल कुकुर ह बर पेड़ के छांव में बइठे राहे।ओतके बेरा एक ठन करिया कुकुर ह लुडुंग – लाडंग पुछी ल हलावत आवत रिहिस। ओला देख के लाल कुकुर ह आवाज दिस। ऐ कालू कहां जाथस ? आ थोकिन बइठ ले ताहन जाबे। ओकर आवाज ल सुन के कालू ह तीर में आइस अऊ कहिथे […]
Category: कहानी
नानकिन किस्सा : प्याऊ
गाँव के गरीब किसान के लइका सुजल बी ए के परीक्षा ला प्रथम श्रेणी ले पास कर डारिस। गाँव के गुरुजी हा ओला यूपीएससी के परीक्षा देवाय के सुझाव देइस। परीक्षा के फारम भरेबर ओला बड़े शहर मा जायबर परिस। सुजल बिहनिया ले सायकिल मा सड़क तीर के गाँव आइस अउ साइकिल ला उहींचे छोड़ […]
लघुकथा – नौकरी के आस
राजेश अऊ मनोज दूनों पक्का दोस्त रिहिसे। दूनों कोई पहिली कक्षा से बारहवीं कक्षा तक एके साथ पढ़ीस लिखीस अऊ बड़े बाढ़हीस। दूनों झन के दोस्ती ह गांव भर में परसिद्ध रिहिसे। कहुंचो भी आना जाना राहे दूनों कोई एक दूसर के बिना नइ जावय। राजेश ह गरीब राहय त कई बार मनोज ह ओकर […]
नान्हे कहानी – सुगसुगहा
राजेश बड़ सुगसुगहा आय। थोरको मौसम बदलिस कि ओखर तबियत बिगड़ जातीस। धुर्रा माटी हा ओखर जनम के बैरी रिहिस होही। राजेश हा अइसे तो बड़का कंपनी मा नउकरी करथे। तनखा घलो बनेच मिलथे। दाई ददा ले दुरिहा, कंपनी के घर मा रहिथे। फेर एकेच ठन दुख मा गुनत हवय। उमर 35 पूरगे हवय अउ […]
कहानी – सुरता
इसकूल ले आके रतन गुरजी ह लकर-धकर अपन जूता मोजा ला उतारिस अउ परछी म माढे कुरसी म आंखी ल मूंदके धम्म ले बइठगे। अउ टेबुल म माढे रेडियो ल चालू कर दिस। आज इसकूल के बुता-काम ह दिमाग के संगे संग ओकर तन ल घलो थको डारे रिहिस। आंखी ल मुंदे मुंदे ओहा कुछु […]
लघुकथा – आटोवाला
बड़ दिन बाद अपन पेंशन मामला के सेती मोहनलाल बबा के रयपुर आना होइस। घड़ी चौक म बस ले उतरिस ताहने अपन आफिस जाय बर आटो के अगोरा म खड़े होगे। थोरकुन बाद एक ठ आटो ओकर कना आके रूकिस अउ ओला पूछिस -कहाँ जाओगे दादा!! डोकरा अपन जमाना के नौकरिहा रहय त वहू हिंदी […]
आज संझौती बेरा म बुता ले लहुट के आयेंव त हमर सिरीमति ह अनमनहा बैठे राहय।ओला अइसन दसा म देखके मे डर्रागेंव।सोचेंव आज फेर का होगे?काकरो संग बातिक बाता होगे धुन एकर मइके के कोनो बिपतवाला गोठ सुन परिस का। में ह पूछेंव-कस ओ!आज अतेक चुप काबर बैठे हस? ओहा किहिस -कुछु नीहे गा!अउ अपन […]
नान्हे कहिनी : नोनी
आज राधा अउ जानकी नल म पानी भरत खानी एक दूसर संग गोठियावत राहय। राधा ह जानकी ल पूछथे-‘हव बहिनी! सुने हंव तोर बर नवा सगा आय रिहिस किके।’ जानकी ह बताथे-“हव रे! आय तो रिहिन हे!” ‘त तोर का बिचार हे?’ “मोर का बिचार रही बहिनी! दाई-ददा जेकर अंगरी धरा दिही ओकर संग चल […]
नान्हे कहिनी : आवस्यकता
जब ले सुने रहिस,रामलाल के तन-मन म भुरी बरत रहिस। मार डरौं के मर जांव अइसे लगत रहिस। नामी आदमीं बर बदनामी घुट-घुट के मरना जस लगथे। घर पहुंचते साठ दुआरीच ले चिल्लाईस ‘‘ललिता! ये ललिता!‘‘ ललिता अपन कुरिया मं पढ़त रहिस। अंधर-झंवर अपन पुस्तक ल मंढ़ाके निकलिस। ‘‘हं पापा!‘‘ ओखर पापा के चेहरा, एक […]
नान्हे कहिनी – फुग्गा
लच्छू अपन नानकुन बेटी मधु ला धरके मड़ई देखायबर लाय हे।लच्छू के जिनगी गरीबी मा कटत हे। खायबर तो सरकार हा चाउँर दे देथय।फेर गाँव मा काम बूता हाथ मा नइ रहे ले एकक पइसा बर तरसत रहिथे। आज गाँव के मड़ई हे।एसो बहुतेच भीड़ हवय। काबर कि एसो मड़ई के दिन सरकारी छुट्टी घलो […]