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कहानी

मुसवा के बिहाव

एक ठन गांव मा भाटा के बारी रहिस।ओमा किसिम किसिम के भाटा फरे रहिस। खई खाए के चकर म उही म बिला बनाके रहे लगिस।एति ओति किदरत मुसुवा कांटा के झारी म अरझ गे तहां ले ओकर गोड़ म बमरी के कांटा, बने आधा असन बोजागे। मुसुवा पीरा म कल्ला गे, एति ओति कुदत लागे […]

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कहानी

हतास जिनगानी : नान्हे कहिनी

आज संझौती बेरा गांव के सडक तीर के एक ठन दुकान कोती घूमे बर गयेंव।नवा-नवा दुकान खुले रहय त संझौती बेरा म बहुत अकन मनखे के रेम लगय।काबर कि उंहा डिस्पोजल अउ चखना के बेवस्था घलो रहय। दुकानवाला ह कंगलहा दरुहा बर फोकट के हंडिया वाला पानी अउ पूरताहा बर फिरिज के पानी रखे रहय। […]

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कहानी

गऊ रक्छक : नान्हे कहिनी

काली बिहाने के बात हरे। दांत म मुखारी घसरत तरिया कोती जावत रहेंव। उदुप ले रद्दा म बैसाखू ममा संग भेंट होगे। बैसाखू ममा ह बइला कोचिया के नांव ले पुरा एतराब म परसिध हे। ममा ह देखिस ताहने पांव परिस। पांव पैलगी के बाद पूछेंव-कस ममा बिकट दिन म दिखेस ग! मनमाने नोट छापे […]

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कहानी

नवा बच्छर के गोठ

नौ बच्छर के संतराम डबल रोटी खाय बर सतरा दिन ले दू कोरी रुपया जमा करेबर ऐती ओती हाथ लमावत हे। जब ले डबल रोटी के नांव ल सूने हे तब ले ओकर मन उही में अटक गे हावय, फेर गरीब के लईका बर दू कोरी माने चालीस रुपया चार लाख आय।दाई ददा तो पहिलीच […]

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कहानी

मोर छत्तीसगढ़ के किसान

मोर छत्तीसगढ़ के किसान, जेला कहिथे भुंइया के भगवान । भूख पियास ल सहिके संगी , उपजावत हे धान । बड़े बिहनिया सुत उठ के, नांगर धर के जाथे । रगड़ा टूटत ले काम करके, संझा बेरा घर आथे । खून पसीना एक करथे, तब मिलथे एक मूठा धान । मोर छत्तीसगढ़ के किसान, जेला […]

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अनुवाद कहानी

पूस के रात : प्रेमचंद के कहानी के छत्तीसगढ़ी अनुवाद

हल्कू हा आके अपन सुवारी ले कहीस- “सहना हा आए हे,लान जउन रुपिया राखे हन, वोला दे दँव। कइसनो करके ए घेंच तो छुटय।” मुन्नी बाहरत रहीस। पाछू लहुट के बोलिस- तीन रुपिया भर तो हावय, एहू ला दे देबे ता कमरा कहाँ ले आही? माँघ-पूस के रातखार मा कइसे कटही? वोला कही दे, फसल […]

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कहानी

बइला चरवाहा अउ संउजिया

अचानक वो दिन मैं अपन मूल इसकुल म जा परेंव। टूरी मन मोर चारोखुंट जुरिया गे। मैं ह टूरी मिडिल इसकुल के हेडमास्टर हरंव न। टूरी मन अपन-अपन ले पूछे ल धर लिन- “कहाँ चल दे रेहे बड़े सर, इहाँ कइसे नइ आवस? हमर मन के पढ़ई- लिखई बरबाद होवत हे। चर-चर झिन सर मन […]

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कहानी

अंधविसवास

असाढ के महिना में घनघोर बादर छाय राहे ।ठंडा ठंडा हावा भी चलत राहे। अइसने मौसम में लइका मन ल खेले में अब्बड़ मजा आथे। संझा के बेरा मैदान में सोनू, सुनील, संतोष, सरवन, देव,ललित अमन सबो संगवारी मन गेंद खेलत रिहिसे। खेलत खेलत गेंद ह जोर से फेंका जथे अऊ गडढा डाहर चल देथे। […]

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कहानी

छत्तीसगढ़ी कहानी : सजा

आज जगेसर कका ह बिहनिया ले तियार होके पहुंचगे रहय। “ले न भांटो कतका बेर जाबो ते गा!दस तो इंहचे बजा डारे हव।सगा मन घलो काम बुता वाला आदमी हरे ,कहूं डहर जाएच बरोबर हरे।” काहत रामसिंग ल हुदरिस।आज रामसिंग के बेटा अनिल बर छोकरी देखे बर जावत हे।दू झिन नोनी के पाट के बाबू […]

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कहानी

नान्‍हे कहिनी : बदना

भव्यता के इतिहास लिए मनखे मनखे ल अँजोर करत जनमानस में अथाह बिसवास के नाव बदना के दाई बोहरही माई सबो मनखे बर एक तारनहार आय। आज ये जगा ह लोगन के आसथा अऊ भक्ति के प्रतीक माने जाथे, एक बार जेन ह ठाकुर देव बोहरही माई ल सुमर के बदना बदथे त जरूर ओकर […]