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गोठ बात

भोजली तिहार : किसानी के निसानी

हमर छत्तीसगढ़ देस-राज म लोक संसकिरीति, लोक परब अऊ लोक गीत ह हमर जीनगी म रचे बसे हाबय। इहां हर परब के महत्तम हे। भोजली घलो ह हमर तिहार के रूप म आसथा के परतीक हावय, भोजली दाई। भोजली ह एक लोक गीत हावय जेला सावन सुकुल पछ के पंचमी तिथि ले के राखी तिहार […]

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छत्तीसगढ़ के गारी -प्रतिकात्मक अभिव्यक्ति

हर मनखे के मन म सकारात्मक-नकारात्मक, सुभ-असुभ भाव होथे। मन के ये सुभ-असुभ बिचार हर समय पा के अभिव्यक्त होथे। जब परिवेस बने रहिथे तब बानी ले बने-बने बात निकलथे अउ जब परिवेस हर बने नइ राहय तब मुँहू ले असुभ अउ अपशब्द निकलथे। बानी ले शब्द के निकलना अपनेआप म अन्तरभाव के परकटीकरन आय। […]

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महान लोकनायक अउ समन्वयवादी कबि गोस्वामी तुलसीदास

हमर देस ह बैदिक काल ले आज तलक साहित्य के छेत्र म समरिध हावय चाहे वो जब हिन्दील भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान साकुंतलम होवय। ओखर बाद जब हिन्दीत भाखा अवतरित होईस त ओमा घलो एक से बढ़के एक साहित्यकार, […]

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नाग पंचमी के महत्तम

हमर भारत देस राज ह खेती-किसानी वाला देस हावय। याने हमर देस ह किरसी परधान देस हावय। नाग देवता ह किसान के एक परकार ले संगवारी ये, काबर के वो ह किसान के खेत-खार के रछा करथे। येखर कारन वोला छेत्रपाल कहे जाथे। छोटे-मोटे जीव जंतु अउ मुसवा ह फसल ल नुकसान करे वाला जीव […]

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किताब कोठी: आवौ भैया पेड़ लगावौ

छत्तीसगढ में बालगीतों का सृजन सबसे पहली बात तो यह कि बाल-गीत या कहें कि बालकों यानी बच्चों के लिए किसी भी विधा में लिखना ही अपने-आप में बडा चुनौती भरा काम है। लेकिन उन सबमें ‘बाल गीत’? इसके लिए गीतकार को (या कहें कि बाल साहित्यकार को) उसी स्तर पर जाना पडता है। स्वयं […]

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सुरता : प्रेमचंद अउ गांव

मुंशी प्रेमचंद हिंदी साहित के अनमोल रतन आय। उंकर लिखे कहानी अउ उपन्यास आज घलो बड चाव से पढ़े जाथे। उंकर कहानी ल पढत रबे त अइसे लागथे जानो मानो सनिमा देखत हैं। उंकर कहानी के पात्र के हर भाव ल पाठक ह सोयम महसूस करथे। गांव अउ किसान के जइसन चित्रण उंकर कहानी म […]

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रफी के छत्तीसगढ़ी गीत

रफी साहब….. हिंदी सनिमा जगत के बहुत बड़े नाम आय। जिंकर गुरतुर अउ मीठ अवाज के जादू के मोहनी म आज घलो जम्मो संगीत परेमी मनखे झूमरत रथे। उंकर अवाज के चरचा के बिना हिंदी सनिमा के गीत-संगीत के गोठ ह अधूरहा लागथे। जम्मो छत्तीसगढ़िया मन भागमानी हवय के अतिक बड़े कलाकार ह हमर भाखा […]

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हिन्दी साहित्य के महान साहित्यकार उपन्यास सम्राट, कलम के सिपाही मुंशी प्रेमचंद

हमर देस ह बैदिक काल ले आज तलक साहित्य के छेत्र म समरिध हावय चाहे वो जब हिन्दीर भाखा के जननी देव बानी संसकिरीत रहय जेमा बालमिकी के रामायन होवय, चाहे बेदबियास के महाभारत, चाहे कालीदास के अभिज्ञान साकुंतलम होवय। ओखर बाद जब हिन्दीं भाखा अवतरित होईस त ओमा घलो एक से बढ़के एक साहित्यकार […]

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जल अमरित

पानी के बूँद पाके, हरिया जाथें, फुले, फरे लगथें पेड़ पउधा, अउ बनाथें सरग जस,धरती ल। पानी के बूँद पाके, नाचे लगथे, मजूर सुघ्घर, झम्मर झम्मर। पानी के बूँद पाए बर, घरती के भीतर परान बचाके राखे रहिथें टेटका, सांप, बिछी, बीजा, कांद-दूबी, अउ निकल जथें झट्ट ले पाके पानी के बूँद, नवा दुनिया देखे […]

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बेरा के गोठ : फिलिम के रद्दा कब बदलही

आजकल जौन ला देखबे तौन हा फिलिम, सिरियल अउ बजरहा जिनिस बेचइया विज्ञापन करइया मनके नकल करेबर अउ वइसने दिखेबर रिकिम रिकिम के उदिम करत हे।सियान मन कहिते रहिगे कि फिलिम विलिम ला देखव झिन, ये समाज अउ संस्कृति के लीलइया अजगर आय जौन सबो ला लील देही। आज वइसनेच होत हावय। हमर पहिराव ओढ़ाव, […]