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गोठ बात

मइया पांचो रंगा

कुंवार नवरात्रि में माता दुर्गा के मूर्ति इस्थापना करे जाथे। तब चैइत नवरात्रि म जंवारा बोथें। नव दिन म मया, उच्छाह, भक्तिभाव अउ व्रत, उपास के शक्ति देखे बर मिलथे। छत्तीसगढ़ शक्ति पीठ के गढ़ आय। इहां के भुइयां में अब्बड़ अकन जघा म देवी मां विराजमान होके जम्मो भगत ऊपर किरपा बरसावत हे। येमा […]

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गोठ बात

भक्ति अउ सावधानी

हमर समाज में भक्ति पूजा के बड़ महिमा हे। हमर भगवान के भक्ति अपन मनोकामना पूर्ण करे बर करथन। हनुमान जी के पूजा अपन शारीरिक शक्ति बढ़ाय बर करथन। अखाड़ा मन म हनुमान भगवान के फोटो अऊ मूर्ति रहिथे जेकर सामने जमके कसरत करथन। देवी मनके महिमा भी अपार हे। ज्ञान प्राप्ति बर सरस्वती मां […]

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नेंगहा पंचन के नांव भुतावथे

संस्कार अउ रीति-रिवाज ह एक डहर अंचल ल अलग चिन्हारी देवाथे त दूसर कोति कतको झन के जीवका चलाय बर बुता काम घलोक देथे। सबो राज के अपन अलग-अलग रिवाज ह तइहा समे ले चले आवाथाबे। हमर छत्तीसगढ़ म सियान मन जोन चलागन चलाय हे ओमा सबो पंचन बर अलग-अलग बुता बनाए हे। या यहू […]

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सिवजी ल पाय के परब महासिवरात्रि

नवा बुता, उद्धाटन, नवा जीनिस के सुरुआत इही दिन ले करथे। भक्ति भाव के अइसन परब में पूजा म अवइया समागरी बेल पत्र, धतूरा, फुंडहर, कनेर, दूध, दही, केसरइया फूल मन के महत्व बाढ़ जाथे। संत पुरुष के गोठ हे के केसरइया फूल ल सिव जी म चढ़ाय ले सोना दान करे के बरोबर फल […]

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छत्तीसगढ़ी भाषा म बाल-साहित्य लेखन के संभावना अउ संदर्भ

आज जोन बाल-साहित्य लिखे जात हे ओला स्वस्थ चिंतन, रचनात्मक दृष्टिकोण अउर कल्पना के बिकास के तीन श्रेणियों म बांटे जा सकत हे। चाहे शिशु साहित्य हो, बाल साहित्य हो या किशोर साहत्य, ये तीनों म आयु के अनुसार मनोविज्ञान के होना जरूरी हे। बाल साहित्य सैध्दांतिक आधारभूमि ले हट के बाल मनोविज्ञान म आधारित […]

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पढ़ई-लिखई : सरला शर्मा

मुगल बादशाह हुमांयू ल हरा के शेरशाह सूरी जब दिल्ली के गद्दी म बइठिस त उपकारी भिश्ती ल एक दिन के राज मिलिस चतुरा भिश्ती राज भर म चमड़ा के सिक्का चलवा दिस एला कहिथें नवा प्रयोग। आजकल हमर देस म पढ़ई-लिखई के ऊपर अइसनेहे नवा-नवा प्रयोग होवत रहिथे। आजादी मिले साठ बरिस पूर गे […]

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कामकाजी छत्‍तीसगढ़ी मोर बिचार

पाछू 29 जनवरी के दिन छत्‍तीसगढ़ राजभाषा आयोग अउ स्‍वामी स्‍वरूपानंद शिक्षा महाविद्यालय, भिलाई के संघरा उजोग ले ‘कामकाजी छत्‍तीसगढ़ी के स्‍वरूप अउ संभावना’ विषय म गोष्‍ठी के आयोजन होए रहिसे। ये कार्यक्रम म छत्‍तीसगढ़ी के जम्‍मो माई सियान मन सकलाए रहिन हावय। संगोष्‍ठी म सब मन अपन अपन बिचार रखिन अउ संभावना के उप्‍पर […]

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छत्तीसगढ़ के बिहाव संस्कार-सर्व सामाजिक दायित्व बोध

छत्तीसगढ़ के तीज-तिहार, संस्कार अउ परंपरा म चारो मुड़ा भाव के प्रधानता दिखथे। हर परंपरा म कुछु न कुछु भाव समाय होथे। जब ये परंपरा मन ल ख्रगाहाल के देखथन तब हम अचरज म पड़ जाथन कि हमर पुरखा मन के मन म अतका सुग्घर भाव कहाँ अउ कइसे आइस होही। परंपरा म भाव ल […]

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छत्तीसगढ़ के चिन्हारी गोदना

भारत के उत्तर-परब क्षेत्र मं असम, मध्यभारत, दक्छिन भारत, अंडमान निकोबार- द्वीपसमूह अउ छत्तीसगढ़ मं जुन्ना समय ले गोदना, गोदवाए के चलन रहे हे, फेर छत्तीसगढ़ के गोदना ह पूरा दुनिया मं ”छत्तीसगढ़ के चिन्हारी” बनगे हावय। छत्तीसगढ़ मं अइसे तो सबो जात के मनखे-मन गोदना गोदवात रहिन, लेकिन सबले जादा आदिवासी भाई-बहिनी मन सबे […]

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महतारी के मया

मातृत्व दिवस के बात आइस त मोला बचपन म देखे एकठन नाचा के गम्मत हर सुरता आगे। ओ गम्मत के भाव रहिस कि माँ हर बेटा ल अड़बड़ माया करय। माँ के लालन-पालन, मया-दुलार म बेटा हर सज्ञान होगे। सज्ञान बेटा ल एक झन लड़की ले पियार होगे त ओ बेटा हर ओ लड़की ले […]