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गोठ बात

घासीदास जी के अमर संदेश-पंथी गीत

सत ल जाने बर घासीदास सन्यासी होगे। सत असन अनमोल जिनीस ल पाए बर वाजिब साधना के जरूरत परिस। बर-पीपर सांही पवित्र वृक्ष ल छोड़के ये औंरा-धौंरा असन साधारन पेड़ के खाल्हे तपस्या म लीन होगे। ये घासीदास के निम्न वर्ग लोगन के प्रति ओखर पिरीत अउ लगाव के प्रतीक आय। लगन अउ साधना ले […]

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गोठ बात

लिंग परिक्छन के परिनाम

”आज जम्मो समाज म लड़की मन पढ़ लिख गिन अऊ लड़का मन ले दूचार करे बर तियान हे। आज हम दूतीन बछर थे देखत आत हम। जेखर घर लड़की हे ओ बाप ह छाती फुलाय अऊ मेछा अटियाय घुमत हे। अऊ लड़का वाला ह कुकुर को कोलिहा बरोबर घिरलत हे। लड़का ल बने पढा लिखा […]

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राघवेन्द्र अग्रवाल के गोठ बात : जान न जाइ नारि गति भाई

एक ठन गंवई रहय। उहां मनसे परेम लगा के रहत रहंय। एक दुसर के सुख-दु:ख म आवंय-जायं, माई लोगिन, बाब पिला मन घला संघरा गुठियावयं बतावयं, कोनो ल काकरो ऊपर सक-सुभा नि रहय, फेर परेम के पूरा ह काला अपन डहर तिर लिही तेला कोनो नि जानंय, इही कथें आयं, कहत बांय हो जाथे कहिके। […]

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कारी गाय अउ ओखर दूध

 कारी गाय के बहुत महत्व हावय। कारी गाय के तो अतका महिमा हे के वोकर दूध अऊ कारी तुलसी के पत्ती ल छै महिना तक खाय त कैंसर तक ठीक हो जाथे अइसे काशी नगरी के प्रख्यात वैद राजेश्वर दत्त शास्त्री के कहना हे। एक समे रहिस जब मनसे प्रकृति के संग म रहय तेखर सेती […]

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युग प्रवर्तक हीरालाल काव्योपाध्याय

छत्तीसगढ़ी भासा के पुन-परताप ल उजागर करे बर धनी धरमदास जी, लोचनप्रसाद पाण्डे, सुन्दरलाल शर्मा जइसे अऊ कतकोन कलमकार अऊ साहित्यकार मन के योगदान हे। अइसने रिहिन हमर पुरखा साहित्यकार हीरालाल काव्योपाध्याय। जऊन मन ह सबले ले पहिली छत्तीसगढ़ी भासा के व्याकरन लिख के छत्तीसगढ़ी भासा ल पोठ करिन। छत्तीसगढ़ी भासा के व्याकरन सन् 1885 […]

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संस्कृति के दरपन म बैर

छत्तीसगढ़ियापन आज के समय के मांग हे, दरसक के मांग ल फिलिम व्यवसाय हा नई स्वीकारही त निश्चित रूप ले फिल्म उद्योग के डूबना तय हे। प्रयोगवादी गीत दरसक के मनोरंजन बर बहुत जरूरी हे। फिलिम म हांसी-ठिठोली अउ उद्देश्य के संग-संग मया के अउ परंपरा के कथा हा घलो बहुत धूम मचाथे अउ गीत-संगीत […]

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चरभंठिया को गोठ

‘जब ठाकुर मरीस तहन ठकुरइन ऐके झन होगे दू झन लइका इंकरो मया मोला धर खइस रे। तब ठकुरइन एक दिन मोला किहिस तेहा मोर खेत खार सबो ल सम्हाल मेहा एकर बदला में तोला दू एकड़ खेत दुहु।’ गरमी के दिन राहय बिहने ले झऊंहा, रापा, कुदारी अउ पेज ल धर के बिरझू माटी […]

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छत्तीसगढ़ी फिलिम अउ संस्कृति

‘हमला अपन आप ला बदले के जरूरत नइए भलूक अपन आप ला चिन्हे के जरूरत हे। छत्तीसगढ़ म जउन छत्तीसगढ़िया फिलिम बनत हे ओमा धियान राखन कि कोनो भी दत्त खिसोर मन आके फिलिम बनाके हमर परम्परा के कबाड़ा झन करंय। ओला निर्माता निर्देशक अउ फिलिम के जम्मो पदवी ल लेय के अधिकार हे। फेर […]

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छत्तीसगढ़ ‘वर्णमाला अउ नांव’ एक बहस

‘ये पाती कई झन साहित्यकार करा पहुंचे हावय। दिनेश चौहान ह एक विचार सब ला सोचे बर देय हावय। स्वर, व्यंजन के सही उपयोग करना हे, पहिली वर्णमाला तय करव ओखर बाद अक्छर के उपयोग करे जाय। अक्छर अइसना होवय जेन ह आज ले सौ साल पहिली ले उपयोग म आवत हावय। ये पाती के […]

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संस्कार अउ संस्कृति : गोठ बात

जब काकरो सन गुठियावन त हम का बोलतहन तेकर ऊपर धियान रहय वो हमर कर्म बनथे। अपन करनी ल जांचन वो ह हमर आदत बनथे। अपन आदत ल परखना चाही वो हमर चरित्र के निरमान करथे। आज के समे म ये देखे बर मिलत हे, के हमार विचार म आधुनिकता समाधन हे अउ हमर संस्कार […]