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व्यंग्य

यमराज ला होगे मुस्किल

भगवान भोलेनाथ कर विष्णु जी हा एक दिन पहुँचिस अउ महादेव ला कहिस-हे त्रयम्बकेश्वर! एक विनती करेबर आय हँव।महादेव कहिस- काय बात आय चक्रधर! आज आप बहुतेच अनमनहा दिखत हव।अइसे कोन बूता आय जौन ला आप नइ कर सकव।विष्णु जी कहिस- का बताँव महराज! ये यमराज हा उतलंग नापत हे। जतका हमर भगत हे, सब […]

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अवइया चुनाव के नावा घोसना पत्र

जबले अवइया चुनाव के सुगबुगाहट होय हे तबले, राजनीतिक पारटी के करनधार मनके मन म उबुक चुबुक माते हे। घोसना पत्र हा चुनाव जिताथे, इही बात हा , सबो के मन म बइठगे रहय। चुनाव जीते बर जुन्ना घोसना पत्र सायदे कभू काम आथे तेला, जम्मो जानत रहय। तेकर सेती, नावा घोसना पत्र कइसे बनाय […]

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लोकतंत्र के आत्मकथा

न हाथ न गोड़, न मुड़ी न कान। अइसे दिखत हे, कोन जनी कब छूट जही परान। सिरिफ हिरदे धड़कत हे। गरीब के झोफड़ी म हे तेकर सेती जीयत हे। उही रद्दा म रेंगत बेरा, उदुप ले नजर परगे, बिचित्र परानी ऊप्पर। जाने के इकछा जागिरीत होगे। बिन मुहू के परानी ल गोठियावत देखेंव, सुकुरदुम […]

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मोर गांव म कब आबे लोकतंत्र

अंगना दुवार लीप बोहार के डेरौठी म दिया बार के अगोरय वोहा हरेक बछर। नाती पूछय कोन ल अगोरथस दाई तेंहा। डोकरी दई बतइस ते नि जानस रे अजादी आये के बखत हमर बड़ेबड़े नेता मन केहे रिहीन के जब हमर देस अजाद हो जही त हमर देस म लोकतंत्र आही। उही ल अगोरत हंव […]

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बियंग: निरदोस रहे के सजा

बहुत समे पहिली के बात आय। जमलोक बिलकुलेच खाली होगे रहय। यमदूत मन बिगन बूता काम के तनखा पावत रहय। बरम्हाजी ला पता चलिस त ओहा चित्रगुप्त उपर बहुतेच नराज होइस। चित्रगुप्त ला बरम्हाजी हा अपन चेमबर म बलाके, कमरटोर मंहंगई अऊ अकाल दुकाल के समे म, बिगन बूता के कन्हो ला तनखा देबर मना […]

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बियंग : करजा के परकार

यू पी एस सी के परीकछा म भारत के अरथ बेवस्था ला लेके सवाल पूछे गिस। सवाल ये रहय के करजा के कतेक परकार होथे। जे अर्थसासतरी लइका मन बड़ पढ़ लिख के रटरुटाके गे रहय तेमन, रट्टा मारे जवाब लिखे रहय। ओमन लिखे रहय – तीन परकार के करजा होथे, पहिली अलपकालीन, दूसर मध्यकालीन […]

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बियंग: करजा माफी

करजा माफी के उमीद म, किसान मन के मन म भारी उमेंद रहय। जे दिन ले करजा माफी के घोसना होय रहय ते दिन ले, कतको झिन बियाज पुरतन, त कतको झिन मुद्दल पुरतन पइसा के, मनदीर म परसाद चढ़हा डरे रहय। दूसर कोती, करजा माफी के घोसना करइया के पछीना चुचुवावत रहय। मनतरी मन […]

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व्‍यंग्‍य-हनुमान के जात

बैकुण्ठ धाम म भगवान राम ह माता सीता संग सुंदर सिंघासन म बिराजमान होके इहलोक के संबंध म चरचा करत रहय वतकी बेरा म हनुमानजी उंहा पहुंचथे अउ पैलगी करथे।हनुमान जी ल उदुपहा बैकुण्ठ धाम म आय देखके श्री रामचंद्र ल बड अचरित लागथे।ओहा हनुमानजी ल पूछथे-कैसे पवनपुत्र!आज उदुप ले इंहा कैसे!कलजुग सिरागे का? हनुमानजी […]

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व्यंग्य : माफिया मोहनी

बाई हमर बड़े फजर मुंदराहा ले अँगना दूवार बाहरत बनेच भुनभुनात रहय, का बाहरी ला सुनात राहय या सुपली धुन बोरिंग मा अवईया जवईया पनिहारिन मन ल ते, फेर जोरदार सुर लमाय राहय – सब गंगा म डुबक डुबक के नहात हें, एक झन ये हर हे जेला एकात लोटा तको नी मिले। अपन नइ […]

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भूख के जात

मरे के जम्मो कारन के कोटा तय रहय, फेर जब देखते तब, सरकारी दुकान ले, दूसर के कोटा के रासन सरपंच जबरन लेगय तइसने, भूख हा, दूसर कोटा के मउत नंगाके, मनखे ला मारय। यमदूत मन पिरथी म भूख ला खोजत अइन। इहां अइन त देखथे, भूख के कइठिन जात। सोंच म परगे भगवान कते […]