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गुड़ी के गोठ

गुने के गोठ : मोर पेड़ मोर पहिचान

वासु अउ धीरज ममा फूफू के भाई ऑंय। दूनो झन चार छ: महिना के छोटे बड़ेआय। दूनो तीसरी कक्छा मा पढ़थें। वासु शहर के अँगरेजी इस्कूल मा पढ़थे अउ धीरज गाँव के सरकारी स्कूल मा। धीरज के दाई ददा किसानी करथँय अउ वासु के दाई ददा नउकरिहा हावँय। गर्मी के छुट्टी माँ एसो वासु हा […]

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गुड़ी के गोठ

छंद के छ : एक पाठशाला, एक आंदोलन

वइसे “छंद के छ” हा आज कोनो परिचय के मोहताज नइ हे तभो ले मैं छोटे मुँहु बड़े बात करत हँव। छत्तीसगढ़ी छंद शास्त्र के पहिलावँत किताब “छंद के छ” सन् 2015 मा श्री अरुण निगम जी द्वारा लिखे हमर मन के बीच मा आइच। छत्तीसगढ़ी साहित्य ला पोठ करे के उद्देश्य ले लिखे ए […]

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गुड़ी के गोठ

महंगइ के चिंता

तइहा के बात ला बईहा लेगे, समे ह बदल गे अउ नवा जमाना देस म अपन रंग जमा डारे हे। एकअन्नी-दूअन्नी संग अब चरन्नी नंदा गे हे। सुने हन सरकार ह अब पांच रूपिया ला घलो बंद करईया हे, अब हमर रूपिया दस ले सुरू होही। पहिली हमर सियान मन खीसा भर पईसा म झोला […]

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गुड़ी के गोठ

छत्तीसगढ़ी : कामकाज अउ लेखन के रूप : सुशील भोले

जबले छत्तीसगढ़ी ल राजभाषा के दरजा दे के ए भरोसा जगाये गे हवय के अवइया बेरा म ए ह शिक्षा के संगे-संग राजकाज के भाषा बन सकथे, तबले एकर साहित्यिक लेखन के रूप अउ कामकाज माने प्रशासकीय रूप ऊपर भारी गोठ-बात अउ तिरिक-तीरा चलत हे। ए संबंध म राजभाषा आयोग ह एक ठ विचार गोष्ठी […]

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गुड़ी के गोठ

हीरा गंवा गेहे बनकचरा म…

ये ह छत्तीसगढ़ महतारी के दुर्भाग्य आय केवोकर असर हीरा बेटा मनला चुन-चुनके बनकचरा म फेंक अउ लुकाए के जेन बुता इहां के इतिहास लिखे के संग ले चालू होय हे तेन ह आजो ले चलते हे। एकरे सेती हमला आज हीरालाल काव्योपाध्याय जइसन युग पुरुष ल जनवाय के उदीम करे बर लागत हे। ये […]

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अस्मिता के आत्मा आय संस्कृति

आजकाल ‘अस्मिता’ शब्द के चलन ह भारी बाढग़े हवय। हर कहूँ मेर एकर उच्चारन होवत रहिथे, तभो ले कतकों मनखे अभी घलोक एकर अरथ ल समझ नइ पाए हे, एकरे सेती उन अस्मिता के अन्ते-तन्ते अरथ निकालत रहिथें, लोगन ल बतावत रहिथें। अस्मिता असल म संस्कृत भाषा के शब्द आय, जेहा ‘अस्मि’ ले बने हे। […]

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गुड़ी के गोठ गोठ बात

काम दहन के आय परब- होली

छत्तीसगढ़ आदिकाल ले बूढ़ादेव के रूप म भगवान शिव अउ वोकर परिवार ले जुड़े संस्कृति ल जीथे, एकरे सेती इहां के जतका मूल परब अउ तिहार हे सबो ह सिव या सिव परिवार ले जुड़े हावय। उही किसम होली जेला इहां के भाखा म होली कहे जाते। इहू हर भगवान भोलेनाथ द्वारा कामदेव ल भसम […]

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गुड़ी के गोठ

आरूग चोला पहिरावय 10 जन

धर्म के नांव म हमर मन ऊपर अन्य प्रदेश के संस्कृति ल खपले के लगातार प्रयास चलत हे। जेकर सेती हमर भूल संस्कृति के उपेक्षा करे जाथे या फेर वोकर ऊपर कोनो आने किस्सा कहिनी गढ़ के वोकर रूप ल बिगाड़ दिए जाथे। जब कभू संस्कृति के बात होथे त लोगन सिरिफ नाचा-गम्मत, खेल-कूद या […]

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छत्तीसगढ़ी के विकास यात्रा

‘छत्तीसगढ़ी के विकासयात्रा ल जाने के जरूरत हे तभे छत्तीसगढ़ी के लेखन ह समझ में आही। छत्तीसगढ़ी ल बोली के मापदण्ड के ऊपर उठाके भासा के मापदण्ड म लिखे जाना चाही। लोकभासा मन ले परिष्कृत ‘हिन्दी’ ल नागरी लिपि के वर्ण माला के सबो अक्षर संग सजा के शुध्द बनाए गीस, वइसने छत्तीसगढ़ी ल घलोक […]

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गुड़ी के गोठ

मन के सुख

अंजली दीदी फूफू दीदी संग माटी मताए अउ गारा अमरे बर जावय। तेकर पाछू एक झन डॉक्टर इहां झाड़ू पोछा के काम करे लागीस। इहें वोला पढ़े अउ आगे बढ़े के माहौल मिलिस। ऊंहा के डॉक्टर अउ नर्स मन ले मिलत प्रोत्साहन के सेती वो ह आया, फेर नर्स अउ फेर नर्स ले डॉक्टर के […]