भासा, सहज, सरस, पद, नानक छंद जइसे गुर के पागे सक्कर कंद सुसकत आवत होइही भइया मोर छईंहा म रंचक डोलहन लेइहा अगोर मोर नगरिहा ल लागत होइही घाम बैरी बदर ते कस होगे बाम कइसे डहर निहारौ लगथे लाज फुंदरा वाला बजनी पनही बाज बहुत पिरोहित ननकी बहिनी मोर रोई रोई खोजत होइही खोरन […]
Category: छंद
छत्तीसगढ़ी गद्य में छंद प्रयोग
बृजलाल प्रसाद शुक्ल के सवैया
अब अंक छत्तीस ल लागे कलंक हे, कैसे छोड़ाये म ये छुटही। मुख मोरे हावे पीठ जोरे हवै, गलती गिनती के है का टुटही॥ मुखड़ा जबले गा नहीं मुड़ही, तबले गा तुम्हार घरो फुटही। फुटही घर के लूट लाभ ले हैं, तुम ला चुप-चाप सबो लुटही ॥ तोरी मोरी जोरी के जे है बात, ये […]
गौरी के गनपति भये, अंजनी के हनुमान रे। कालिका के भैरव भये, कौसिल्या के लछमन राम रे॥ गाय चरावे गहिरा भैया, भैंस चराय ठेठवार रे। चारों कोती अबड़ बोहावे, दही दूध के धार रे॥ गउ माता के महिमा भैया, नी कर सकी बखान रे। नाच कूद के जेला चराइस, कृष्णचंद्र भगवान रे॥ नारी निंदा झन […]
शिव सिर जटा गंग थिर कइसे, सोभा गुनत आय मन अइसे। निर्मल शुद्ध पुन्नी चंदा पर गुंडेर करिया नाग मनीधर।। दुनो बांह अउ मुरूवा उपर, लपटे सातो रंग के विषधर। जापर इन्द्र घनुक दून बाजू, शिव पहिरे ये सुरग्घर साजू ।। नीलकण्ठ गर उज्जर भाव, मन गूनत अइसे सरसाव। भौरां बइठ शंख पर भूले, तो […]
किताब कोठी : हीरा सोनाखान के
“हीरा सोनाखान के”, ये किताब अमर शहीद वीर नारायण सिंह के वीरता के गाथा आय, इही पाय के एला वीर छन्द मा लिखे गेहे । वीर छन्द ला आल्हा छन्द घलो कहे जाथे | ये मात्रिक छन्द आय। विषम चरण मा 16 मात्रा अउ सम चरण मा 15 मात्रा होथे । सम चरण के अंत […]
खरोरा निवासी पुरुषोत्तम लाल ह छत्तीसगढ़ी म प्रचार साहित्य जादा लिखे हे। सन 1930 म आप मन ह कांग्रेस के प्रचार बर, ‘कांग्रेस आल्हा’ नाम केे पुस्तक लिखेे रहेव। ये मां कांग्रेस के सिद्धांत अऊ गांधी जी के रचनात्मक कार्यक्रम के सरल छत्तीसगढ़ी म वरनन करे गए हे। कांग्रेस आल्हा के उदाहरन प्रस्तृत हे – […]
अब अथान आमा के खाव,आगे गरमी कम हे भाव। झोला धर के जाव बजार,*लानव आमा छाँट निमार। मेथी संग मा सरसों तेल,येकर राखव सुग्घर मेल। * मेथी अउ सरसों के दार,चिटिक करायत होथे सार। 2 पीसे हरदी बने मिलाव,लहसुन डारे झने भुलाव। जीरा के येमा हे खेल,नापतौल के डारव तेल। 3 मिरचा सिरतो कमती खाव,स्वाद […]
गरमी हा आ गे हवय,परत हवय अब घाम। छइँहा खोजे नइ मिलय,जरत हवय जी चाम। । जरत हवय जी चाम हा,छाँव घलो नइ पाय। निसदिन काटे पेंड़ ला,अब काबर पछताय। । अब काबर पछताय तै,झेल घाम ला यार। पेंड़ लगाते तैं कहूँ,नइ परतिस जी मार। । नइ परतिस जी मार हा,मौसम होतिस कूल। हरियाली दिखतिस […]
अमित के कुण्डलिया ~ 26 जनवरी
001~ तिरंगा झंड़ा धजा तिरंगा देश के, फहर-फहर फहराय। तीन रंग के शान ले, बैरी घलो डराय। बैरी घलो डराय, रहय कतको अभिमानी। देबो अपन परान, निछावर हमर जवानी। गुनव अमित के गोठ, कभू झन आय अड़ंगा। जनगण मन रखवार, अमर हो धजा तिरंगा। 002~ भारत भुँइयाँ भारत हा हवय, सिरतों सरग समान। सुमता के […]
बिते बछर के करन बिदाई,दे के दया मया संदेश। नवा बछर के स्वागत करलन,त्याग अहं इरखा मद द्वेष। आज मनुष्य हाथ ले डारिस,विश्व ज्ञान विज्ञान समेट। नवा बछर मा हमू खुसर जन,खोल उही दुनिया के गेट। हंसी खुशी मा हर दिन बीतय,हर दिन होवय परब तिहार। सदा हमर बानी ले झलकय,सदाचरण उत्तम व्यवहार। अंतस मा […]