शिव सिर जटा गंग थिर कइसे, सोभा गुनत आय मन अइसे। निर्मल शुद्ध पुन्नी चंदा पर गुंडेर करिया नाग मनीधर।। दुनो बांह अउ मुरूवा उपर, लपटे सातो रंग के विषधर। जापर इन्द्र घनुक दून बाजू, शिव पहिरे ये सुरग्घर साजू ।। नीलकण्ठ गर उज्जर भाव, मन गूनत अइसे सरसाव। भौरां बइठ शंख पर भूले, तो […]
Category: चौपाई
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देश करत हावय अह्वान। बहुत जरूरी हे मतदान। मतदाता बनही हुँशियार। लोक स्वप्न होही साकार। लोकतंत्र के जीव परान। मतदाता मत अउ मतदान। मत दे बर झन छूटँय लोग। कहिथे निर्वाचन आयोग। उम्मर हो गय अठरा साल। मतदाता बन करव कमाल। वोटिंग तिथि के रखलौ ध्यान। खच्चित करना हे मतदान। काज जरूरी हे झन टार। […]
जेवर ये छत्तीसगढ़ी, लिखथे अमित बखान। दिखथे चुकचुक ले बने, गहना गरब गुमान। नवा-नवा नौ दिन चलय, माढ़े गुठा खदान। चलथे चाँदी सोनहा, पुरखा के पहिचान।। पहिरे सजनी सुग्घर गहना, बइठे जोहत अपने सजना। घर के अँगना द्वार मुँहाटी, कोरे गाँथे पारे पाटी।~1 बेनी बाँधे लाली टोपा, खोंचे कीलिप डारे खोपा। फिता फूँदरा बक्कल फुँदरी, […]
नँदिया तरिया बावली, भुँइयाँ जग रखवार। माटी फुतका संग मा, धरती जगत अधार।। जल जमीन जंगल जतन, जुग-जुग जय जोहार। मनमानी अब झन करव, सुन भुँइयाँ गोहार।। पायलगी हे धरती मँइयाँ, अँचरा तोरे पबरित भुँइयाँ। संझा बिहना माथ नवावँव, जिनगी तोरे संग बितावँव।~1 छाहित ममता छलकै आगर, सिरतों तैं सम्मत सुख सागर। जीव जगत जन […]
खेत पार मा कुंदरा, चैतू रखे बनाय । चौबीसो घंटा अपन, वो हर इहें खपाय ।। हरियर हरियर चना ह गहिदे । जेमा गाँव के गरूवा पइधे हट-हट हइरे-हइरे हाँके । दउड़-दउड़ के चैतू बाँके गरूवा हाकत लहुटत देखय । दल के दल बेंदरा सरेखय आनी-बानी गारी देवय । अपने मुँह के लाहो लेवय हाँफत-हाँफत […]
जतका दूध दही अउ लेवना। जोर जोर के दुध हा जेवना।। मोलहा खोपला चुकिया राखिन। तउन ला जोरिन हैं सबझिन।। दुहना टुकना बीच मढ़ाइन। घर घर ले निकलिन रौताइन।। एक जंवरिहा रहिन सबे ठिक। दौरी में फांदे के लाइक।। कोनो ढेंगी कोनो बुटरी। चकरेट्ठी दीख जइसे पुतरी।। एन जवानी उठती सबके। पंद्रा सोला बीस बरिसि […]
अब तो करम के रहिस एक दिन बाकी कब देखन पाबों राम लला के झांकी हे भाल पांच में परिन सबेच नर नारी देहे दुबवराइस राम विरह मा भारी दोहा – सगुन होय सुन्दर सकल सबके मन आनंद। पुर सोभा जइसे कहे, आवत रघुकुल चंद।। महतारी मन ला लगे, अब पूरिस मन काम कोनो अव […]
महतारी दिवस विशेष : दाई
दाई (चौपई छंद) दाई ले बढ़के हे कोन। दाई बिन नइ जग सिरतोन। जतने घर बन लइका लोग। दुख पीरा ला चुप्पे भोग। बिहना रोजे पहिली जाग। गढ़थे दाई सबके भाग। सबले आखिर दाई सोय। नींद घलो पूरा नइ होय। चूल्हा चौका चमकय खोर। राखे दाई ममता घोर। चिक्कन चाँदुर चारो ओर। महके अँगना अउ […]
महतारी दिवस विशेष : महतारी महिमा
महतारी महिमा (चौपई/जयकारी छन्द 15-15 मातरा मा) ईश्वर तोर होय आभास, महतारी हे जेखर पास। बनथे बिगङी अपने आप, दाई हरथे दुख संताप।।१ दाई धरती मा भगवान, देव साधना के बरदान। दान धरम जप तप धन धान, दाई तोरे हे पहिचान।।२ दाई ममता के अवतार, दाई कोरा गंगा धार। महतारी के नाँव तियाग, दाई अँचरा […]