होगे होरी तिहार होगे – होगे होरी के, तिहार गा। कखरो बदलिस न,आदत ब्यवहार गा। करु बोली मा,अउ केरवस रचगे। होरी के रंग हा, टोंटा मा फँसगे। दू गारी के जघा, देय अब चार गा। कखरो बदलिस न,आदत ब्यवहार गा। टेंड़गा रेंगइया हा,अउ टेंड़गा होगे। ददा – दाई ,नँगते दुख भोगे। अभो देखते वो , […]
Category: मत्तगयंद सवैय्या
(1) तोर सहीं नइहे सँग मा मन तैंहर रे हितवा सँगवारी। तोर हँसे हँसथौं बड़ मैहर रोथस आँख झरे तब भारी। देखँव रे सपना पँढ़री पँढ़री पड़ पाय कभू झन कारी। मोर बने सबके सबके सँग दूसर के झन तैं कर चारी। (2) हाँसत हाँसत हेर सबे,मन तोर जतेक विकार भराये। जे दिन ले रहिथे […]
आय हवे अकरूर धरे रथ जावत हे मथुरा ग मुरारी। मात यशोमति नंद ह रोवय रोवय गाय गरू नर नारी। बाढ़त हे जमुना जल हा जब नैनन नीर झरे बड़ भारी। थाम जिया बस नाम पुकारय हाथ धरे सब आरति थारी। कोन ददा अउ दाइ भला अपने सुत दे बर होवय राजी। जाय चिराय जिया […]
मदिरा सवैय्या छंद सुग्घर शब्द विचार परोसव हाँथ धरे हव नेट बने। ज्ञान बतावव गा सच के सब ला सँघरा सरमेट बने। झूठ दगा भ्रम भेद सबे झन के मुँह ला मुरकेट बने। मानस मा करतव्य जगै अधिकार मिलै भर पेट बने। दुर्मिल सवैय्या छंद सुनले बरखा झन तो तरसा बिन तोर कहाँ मन हा […]