बेटी हावय मोर, जगत मा अब्बड़ प्यारी। करथे बूता काम, सबो के हवय दुलारी। कहिथे मोला रोज, पुलिस बन सेवा करहूँ। मिटही अत्याचार, देश बर मँय हा लड़हूँ। अबला झन तैं जान, भुजा मा ताकत हावय, बैरी कोनों आज, भाग के नइ तो जावय। बेटा येला मान, कभू अब नइहे पाछू। करथे रौशन नाम, सबो […]
Category: रोला
बन्द हवे इस्कूल,जुरे सब लइका मन जी। बाढ़य कतको घाम,तभो घूमै बनबन जी। मजा उड़ावै घूम,खार बखरी अउ बारी। खेले खाये खूब,पटे सबके बड़ तारी। किंजरे धरके खाँध,सबो साथी अउ संगी। लगे जेठ बइसाख,मजा लेवय सतरंगी। पासा कभू ढुलाय,कभू राजा अउ रानी। मिलके खेले खेल,कहे मधुरस कस बानी। लउठी पथरा फेक,गिरावै अमली मिलके। अमरे आमा […]
करहूँ का धन जोड़,मोर तो धन जाँगर ए। गैंती रापा संग , मोर साथी नाँगर ए। मोर गढ़े मीनार,देख लमरे बादर ला। मिहीं धरे हौं नेंव,पूछ लेना हर घर ला। भुँइयाँ ला मैं कोड़, ओगथँव पानी जी। जाँगर रोजे पेर,धरा करथौं धानी जी। बाँधे हवौं समुंद,कुँआ नदियाँ अउ नाला। बूता ले दिन रात,हाथ उबके हे […]
छन्द के छ : रोला छन्द
मतवार पछतावै मतवार , पुनस्तर होवै ढिल्ला भुगतै घर परिवार , सँगेसँग माई-पिल्ला पइसा खइता होय, मिलै दुख झउहा-झउहाँ किरिया खा के आज , छोड़ दे दारू-मउहाँ रोला छन्द डाँड़ (पद) – ४, ,चरन – ८ तुकांत के नियम – दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा, १ बड़कू या २ नान्हें आवै. […]