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वृत्तांत (10) : जिनगी ह पानी के, फोटका ये फोटका

पुनिया दादी अउ सफुरा आज असनान्दे बर पुन्नी घाट गेहे।पुन्नी घाट ल कोन नइ जानही ? राज-राज के मन इंहा सिरपुर मेला देखे बर आथे। महानदी के खड म बने हे ,बडे-बडे मंदिर हे,घंटा घुमर बाजत रइथे, पूजा- पाठ करइया मन के जमघट लगे रहिथे।दरस करइया मन के रेम लगे रहिथे ।मंदिर म हार-फूल,पान-परसाद,मेवा-मिष्ठान अउ […]

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वृत्तांत-9 मोला तो बस, येकरेच अगोरा हे

टूर- बुर गुठियावत हे।घासी के आंखी म नींद नइ आवा ते।काक सती ? तेला, सफुरा ह ,अपन दादी ल बतावत हे। बाहरा डोली म, होय घटना ल सुनावत हे। मछरी ह ,तो कब के मर गे हे ।अठुरिया के ह, पंदरही होगे हे।अंधियारी पाख ह पहा गे हे, अंजोरी लग गे हे ।फेर दादी ! […]

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वृत्तांत- (5) कौरा के छिनइ अउ जीव के बचई : भुवनदास कोशरिया

घासी ह बइला गाडी ल तियार करत हे ,अपन ससुरार सिरपुर जाय बर । सवारी गाडी ये ।रथ बरोबर सजाय हे ।घासी ह, सादा के धोती कुरता पहिरे हे ।सिर म, सादा के पागा बांधे हे ।कंधा म ,अलगी लटकाय हे। पांव म, नोकदार चर्राहट पनही पहिरे हे। बइला हीरा मोती ल, घलो बढिया सम्हराय […]

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वृत्तांत- (6) सबे जीव के सरेखा ..रखना हे : भुवनदास कोशरिया

घासी के बइला गाडी सोनखनिहा जंगल ल पार होगे ।अब छोटे ,छोटे जंगल, पहार, नदिया, नरवा अउ कछार ,उबड, खाबड खेती ,खार , रस्ता ल नाहकत हे । गाडी के खन खन ,खन खन करत घांघडा के आवाज ले बघुवा ,भलुवा चीतवा सब बांहकत हे ।गाडी के हच्चक हाइया होवाई से घासी ह कहिथे …….देखत […]

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वृत्तांत- (7) अपन धरती अपन आगाश : भुवनदास कोशरिया

भीड ओसरी पारी खरकत गिस ।सब अपन अपन घर जाय लगिस ।सफुरा ह गाडी म चढीच। घासी घलो गाडी म बइठ के बइला ल खेदे लग गे ।आगू आगू अंजोरी मंडल अउ संगे संगे गोल्लर नंदीराज घलो जावत हे ।घांघडा बइला के आवाज गली गली म खन खनावत हे ।खेलई, कूदई म बिधून लइका मन […]

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वृत्तांत- (8) सिरपुर के पुन्नी घाट : भुवनदास कोशरिया

सिरपुर के पुन्नी घाट मा, जन सुनवाई के होय,बइठका ह समापन होइस। सब अपन ,अपन गांव, घर जाय लगिस।पेशवा शासक के पैेरोकार अपन अपन घोडा म सवार हो के दर, दर रइपुर निकलगे। पुन्नी संघ के जम्मो सदस्य मन ,घासी के तीर म आ गे । चारो मुुडा ल, घेर के गोलियावत हे । अउ […]

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वृत्तांत- (2) पंग पंगावत हे रथिया : भुवनदास कोशरिया

पंग पंगावत हे, रथिया के चंउथा पहर ह पहावत हे ।सुकवा उगे हे, खालहे खलस गे हे । चिर ई चिरगुन मन चिव चांव ,चिंव चांव करत हे। कुकरा ह बास डरे हे। ये संत महुरत के बेरा ये । ये बेरा म योगी जोगी ,ज्ञानी ध्यानी ,विज्ञानी सियानी अऊ जाग जथे कर इया खेती […]

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वृत्तांत- (3) कोई उही म दहावत हे, कोई इही म भंजावत हे : भुवनदास कोशरिया

कुंवार लग गेहे ।सब धान के बाली ह, छर छरा गे है ।बरखा रानी के बिदाई होगे हे ।जगा- जगा काशी के फूल ह, फूल गे हे ।मेढ ह ,भक- भक ल बुढवा के पाके चुंदी बरोबर दिखत हे।ऊपर खेत म दर्रा फाट गे हे ।धान ल, ठन ठन ल पाके बर एक सरवर पानी […]

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वृत्तांत- (4) न गांव मांगिस ,न ठांव मांगिस : भुवनदास कोशरिया

अठुरिहा ह पहागे हे।जब ले बाहरा डोली म होय ध्यान ह,घासी के मूड म माढे हे तब ले अचकहा रोज ओकर नींद ह उचक जथे ।कभु सोपा परत , कभु अधरतिया , त कभु पहाती ।ताहन नींद ह न्इच पडय ।समुच्चा रथिया ह आंखीच म पहाथे ।टकटकी आजथे …… ये सोच म कि “ओ दिन […]

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वृत्तांत- (1) इंहे सरग हे : भुवनदास कोशरिया

संतरू के अंगना म पारा भर के लइका मन सकलाय हे। आज अकती ये। पुतरी, पुतरा के बिहाव करे बर, आमा डारा के छोटे कन ढेखरा ल मढवा बना के आधा लइका मन पुतरा अउ आधा लइका मन पुतरी के सगा सोदर, ढेडहीन, सुवासिन अउ पगरइत, पगरइतिन बन के बिहाव के नेंग जोग करिस। अब्बड […]