अरे गोई झमकत पानी भरल जवानी ऊपर करिया रात गोई रे, ऊपर करिया रात।। भेदी पइरी बोले बइरी मानत नह है बात गोरी रे, मानत नइ है बात। आंखी में आंजे हों जेला कर डारिस गा घात गोई रे, कर डारिस गा घात। दे के पीरा लूटिस हीरा बइठे हों पछतात गोई रे, बइठे हों […]
Category: Sargujiha
देखा रे भाई कइसन दिन कर फेर। रात कभों दुख ले के आथे कभों उगत है बेर।। तीन लोक कर जे स्वामी गा राज-पाट सब छोड़िन। भाग बली गा उघरा पावें बन ले नाता जोड़िन। संग चलिन सीता माता गा है कइसन अन्धेर।। देखा रे भाई ……………….. जे सिरजिस संसार कहत हैं केंवटा पार उतारे। […]
माथ जरे झिन मझिनहां कर घामा, छांहा बर रूख ला लगाए डारबो। रूखर दिखे झिन परिया-पहार हरियर बर रूख ला लगाए डारबो। फूल देथे-फर देथे अउर देथे छाया। काठ कोरो देथे बगरा देथे अपन माया।। बड़खा साधु कस हवे जी मितान, एहिच बर रूख ला लगाए डारबो। आमा कर हठुली घलो मउहा कर मदगी घलो। […]
सरगुजा के दर्शनीय जल प्रपात परकिरती कर बदलाव ले भारतभर कर कला अउ संस्किरती कर संगे–संग इतिहास अउ पुरातत्व कर जरहोजात मन धरती कर भितरी हमाये जाथें। येमन कर जानकारी जुटाना काकरो बर अब्बड़ मेहनत कर बुता होथे। हमर सरगुजा हें कईअकठन धरम-करम, इतिहास पुरातत्व मधे कर देखे जोग जगहा हवें। इहां कर जुनहा बेंगरा, […]
ढेरेच्च गुमान भरल, मनखे कर जात । तेकर सेथी बिगडिस, मनखे कर जात ।। धरती कर रेंगइया, तरई ला माँगे। । चलनी मा पानी भरे, मनखे कर जात।। नदिया ला दाई कहे, चन्दा ला मामा। दूनों कर नास करिस, मनखे कर जात।। सूते घनी जागत, जागत घनी सूते। रात-दिन कलथत हे मनखे कर जात।। चलती […]
सरगुजिहा कहनी- मितान
ढेरे जुनहा गोठ हवे। गांव कर उत्तर कती एगो झोपड़ी रहिस। उहां एगो महात्मा रहत रहिन । दिन भर भीख मांगे अउर रात में झोपड़ी में कीर्तन भजन करत रहें। गांव में उनकर चेला-चपाटी भी रहिन ! कीर्तन भजन करे वाला चेला। ओही चेला में एगो चेला रहिस बिसनाथ। पढ़ल-लिखल होसियार चेला। कीर्तन भजन करे […]
कतवारू गांव कर किसान रहिस। जांगरटोर मेहनत के कारन ओकर घरे कोनों चीज कर कमी नइ रहिस। ओकर एकेठन बेटा रहिस सोमारू। कतवारू खुद नई पढे – लिखे रहिस बकिन ओकर मन में अपन बेटा ला पढ़ाय कर ललक रहिस। सोमारू घलो सुघ्चर लइका रहिस। पढ़ाई कर उपर ओकर. पूरा ध्यान रहे। संगे-संगे अपन बापो […]
रामपाल जइसे तइसे हाईस्कूल पास करके जंगल ऑफिस में बाबू बन गइस । तेजपाल आठवीं कछा ले आगू नइ बढ़े सकिस । हार के ओकेला नागर कर मुठिया धरेक बर परिस । तेजपाल अपन खेती-पाती कर काम में बाझे रहे त दीन दुनियां सब ला भुलाए रहे। रामपाल अपन ऑफिस कर काम ले फुरसत पावे […]
लबरा कर गोएठ लेखे, ए बच्छर बरखा कर पानी। एकस हें कइसें होए पारही, हमरे मन कर किसानी। एकघरी कर बरखा हर बुइध ला भुलाइस अगास कर बदरा हर, बुंदी बर तरसाइस। परिया परल हवे, जोंग ला नसाइस लागत हवे बतर ला बिदकाइस। ए बच्छर कर बरखा हें दिसथे, नई होए पारही किसानी। धुरिया बतराहा […]
सरगुजिहा गीत- मोर संगे गा ले संगी
मोर संगे गा ले संगी मोर संगे गा। राग तैं मिला ले संगी राग तैं मिला।। आमा कर बीरो लीम कर मुखारी लकरा कर चटनी चीला सोहारी मोर संगे खा ले संगी मोर संग खा।। जटंगी कर फूल मुनगा कर पाना उरदा कर दार। डॉड़का सयाना मोर संग जगा ले संगी मोर संग जगा रेड़ […]