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कविता

आगे परब नवरात के

आगे परब नवरात के,
मंदिर देवाला सजाबो।
सुग्घर लीप पोत के,
कलशा मा दियना जलाबो।।

ढ़ोल नंगाड़ा बजा के सुग्घर,
माता रानी ला परघाबो।
मंगल आरती गा के सुग्घर,
माता ला आसन बइठाबो।।

संझा बिहनिया करके आरती,
दाई ला भोग लगाबो।
दाई के चरण मा माँथ नवाके,
आसीस सुग्घर पाबो।।

आठ दिन अउ नवरात ले,
दाई के सेवा बजाबो।
किसम-किसम के माता सिंगारी,
पंचमी के दिन चघाबो।।

आठवाँ दिन मा हवन पूजन,
मन ला शांत कराबो।
नववाँ दिन नवकन्या भोजन,
दसवाँ दिन मा आँसू बोहाबो।।

गोकुल राम साहू
धुरसा-राजिम(घटारानी)
जिला-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)
मों.9009047156