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किताब कोठी

छंद बिरवा : चोवाराम वर्मा

छन्द-बिरवा
(छत्तीसगढी छन्द संग्रह)
चोवाराम ‘बादल’

प्रकाशक

आशु प्रकाशन
पता- प्लाट नं. 509 मिलेनियम चौक
सुंदर नगर, रायपुर (छग)
मोबाईल : 09302179153



भूमिका

श्री चोवाराम ‘बादल’ छत्तीगढ़ी के जाने चिन्हें कवि हैं। इनमन ‘छंद-बिरवा’ ले जउन संग्रह सौंपत हें, ओहर छातछात छंद के बिरवा बनगे हे। एही ये पोथी के बिसेसता हे अउ छत्तीसगढ़ी भाव अउ विचार ल मात्रिक अउ वर्णिक छंद मा बांधे-छांदे के उदिम घलो। इन छंद के बिसेसता ल बतात आचार्य के पदनी ल धारन कर लेथें अउ उदाहरण के रूप म अपन कविता ल दे के कवि के कीर्ति ल घलो समो लेथें ये बिसेसता रीतिकाल के आए जउन आधुनिक काल मा आगे तिड़ी-बिड़ी होगे रहिस। छंद के महत्तम ल समझ के अब हिंदी मा रचना फेर गति पकडे़ हे अउ छत्तीसगढी ह तो सरलग छंद ल कभो नईं छोडि़स फेर छंद के तोड़इया छत्तीसगढी़ कवि मन के गनती घलो कम नइंये। खुसी के बात हे के कविता के मूल छंद ल लेके ए संग्रह ल छापे के जोम सहराए के लाइक हे अउ नवा पीडी़ ल किसिम ले कविता लिखे के रसता बतोइया चोवाराम जी के काज ल अपनाना चाही।
छत्तीसगढी के सस्तिहा साग ‘खेडा या ‘खेडढा़’ ल परदेसिया अउ सहरिया मन भले हाँसय फेर एखर गुन के बारे मा कुंडलियाँ के छंद मा
कवि के कहना ल चेत लगा के सुनय-
गुनकारी हे खेंड़हा, रेसा के भरमार।
दूर भगावय कब्ज ल, करय रोग उपचार ।।
करय रोग उपचार, बिटामिन तन हा पाथे।
खनिज तत्व प्रोटीन, सबो एमा मिल जाथे।।
भादो महिना होए, लगा लौ घुरवा-बारी।
सस्तिहा हे साग, फेर अब्बड़ गुनकारी ।।
‘खेडा’ के अरथ ‘नानकुन गाँव’ होथे। ए साग ल नानकुन गाँव के नानकुन लोगन (गरीबहा) के मान के बडे गाँव अउ सहर के रहवइया लइका हँसी फेर अब इन्हू मजा ले खावत हें अउ मथुरा के पेडा अउ छत्तीसगढ़ के खेडा़ कहिके एखर महत्तम ल बगरावत हें।
‘छेरछेरा’ अन्न-दान के अइसे परब-तिहार आए जडन राजा कल्याण साय के बेर ले चलत हे। कवि ‘उल्लास’ जेन ‘चंद्रमणि छंद’ घलो कहे जाथे, ओमा ए परब के इतिहास ल सार मा गूंथ दिए हे-
अरन-बरन कोदो-दरन, देबे जभे तभे टरन।
छेरछेरा ह आज हे, मांगे मा का लाज हे ?
कोठी के जी धान ला, देवन हमला दान ला।
दान करे धन बाढथे, धन हा थिरवाँन
लइका मन सब आय हें, हेर-हेर चिल्लाय हें ।
सूपा मा भर धान ला, धरमिन देथे दान ला।
ढोलक-मांदर ला बजा, मांगन आवय बडा मजा।
डंडा नाचन झूम के, गाँव ल पूरा घूम के।
एखर जी इतिहास हें, फुलकैना के खास हे।
गाँव कल्याण साय हे, राजा चलन चलाए हें।
एही तरा संस्कृति अउ सभ्यता अउ आज अउ कल के गिनती ल सामुख रखके कवि चोवाराम छंद के अइसे बिरवा बनाए हें के ओमा विचार अउ भाव के साँचा म छंद के संग अलंकार अउ भासा घलो उबक गे हे। ए तरा छत्तीसगढी कविता के ठेठ के ठाठ देखना होए, ओखर संस्कृति के महमई मा मस्त होना होए तौ ‘छंद के बिरवा’ मा हबरौ एही बिनती हें।
शुभकामना सहित

डॉ. विनय कुमार पाठक
अध्यक्ष
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग




छत्तीसगढी काव्य साहित्य के एक कालजयी छंद संग्रह ‘ छन्द बिरवा’

छत्तीसगढी काव्य साहित्य मा पंडित सुन्दरलाल शर्मा ले जनकवि कोदूराम ‘दलित’ के जमाना तक छंद ला आधार बनाके कविता रचैया बहुत अकन कवि मन होइन. इंकर बाद गिनती के कवि मन छंद विधा मा रचना करिन हें. बहुत झन लोक-गीत ला घला लोक-छन्द कहि देथें. लोक गीत मन मा लोक तत्व रथे, माटी के महमई होथे, अपन संस्कृति समाहित रथे. इन गीत मा लोक व्यवहार दिखथे. पारम्परिक लय रहिथे. छन्द विधा मा मात्रा या वर्ण के निश्चित अनुशासन होथे.
आज काल कविता अउ गीत लिखैया के कोनो कमी नइये. बिना विधान के, बिना लय के कविता लिखत हें. बिना तुकबंदी वाले कविता के घलो भरमार होगे हे. दू डांड के लिखाइस त दोहा, चार डांड के लिखाइस त चौपाई के नाम दे देथें. बिना बहर के दू- दू डांड के कविता ला गजल कहि देथें. अइसने बिना मुडी पूछी के कविता के किताब घलो छपवा डारथें. धन्य हें कवि मन. कोन जाने बिना मुडी पूछी के तथाकथित कविता कब तक जी पाहीं.
अइसन लिखैया कतका कवि मन के नाम अमर हो पाही. इतिहास गवाह हे कि छंदबद्ध कविता मन अमर हो जाथें अउ कवि ला घलो अमर कर देथें.
मोर हाथ मा चोवाराम ‘बादल’ जी के छत्तीसगढी छन्द संग्रह ‘ छन्द बिरवा’ के पाण्डुलिपि, भूमिका लिखे बर हवे. एला देखके मन अउ आत्मा गदगद होगे. ‘ छन्द बिरवा’ मा मात्रिक अउ वर्णिक छन्द मिलाके 48 किसम के छन्द रचना हवे. दोहा, सोरठा, रोला, कुण्डलिया, अमृतध्वनि, उल्लाला (चंद्रमणि), छप्पय, रूपमाला (मदन), शोभन (सिंहिका), गीतिका, चौपई (जयकारी ), चौपाई, विष्णुपद, शंकर, सरसी, हरिगीतिका, सार, छन्नपकैया, ताटंक, आल्हा, त्रिभंगी ये सब मात्रिक छन्द आय. महाभुजंगप्रयात, बागीश्वरी, मंदारमाला, सर्वगामी, आभार, गंगोदक, सुमुखी, मुक्ताहरा, वाम, लवंगलता, मदिरा, मत्तगयन्द( मालती), चकोर, किरीट, अरसात, मोद, दुर्मिल, सुंदरी, अरविन्द, सुखी सवैया, मनहरण घनाक्षरी, रूप घनाक्षरी, येमन वर्णिक छन्द आय. कहमुकरी ऐसन विधा आय जइसन छन्द नइ माने जावय फेर छन्द के बहुत अकन लक्षण एमा दिखथे.
कहमुकरी ला अमीरखुसरो के देन माने जाथे. यहू विधा नंदावत हावय. बादल जी कहमुकरी के रचना करके एला पुनर्जीवित करे के सराहनीय उदिम करिन हें.
आजादी के बाद जब देश के विकास होइस. नवा-नवा मशीन के अविष्कार होवत हे, जेखर कारन बहुत अकन पारम्परिक जिनिस मन नंदावत जावत हे. जिनिस के संगेसंग हमर चलन मा इंकर नाम घलो प्रयोग मा आना बंद होगे. धनकुट्टी अउ राईस मिल आये ले ढेंकी नंदागे. फायबर औ स्टील के बर्तन आये ले बटकी, माल्ही, नंदागे, ट्रेक्टर आये ले नांगर नंदावत हे. ये जिनिस के नंदाये ले हमर शब्दकोष ले इंकर नाम के शब्द घलो नंदावत हे. आज के लइका मन ढेंकी, माची, बटकी ला नई वीडियो गेम, मोबाइल गेम के कारण पिट्ठल, गिल्ली डंडा, तिरी पासा, गडौना जइसन कतको शब्द, शब्दकोष के बाहिर होगें. ये जिनिस के जमाना लहुट के तो नइ आ सके फेर इन शब्द के प्रयोग साहित्य मा कर करके इनला जिन्दा रख सकथन. चोवाराम ‘बादल’ जी के रचना मन मा खड्भुसरा, बरबँट जइसे ठेठ देहाती शब्द के संग जाँता, ढेंकी, मूसर गुरमटिया, बैकोनी, भेजरी, जइसे कतको नंदावत शब्द के प्रयोग होइस हे. नवा अविष्कार के शब्द हेलमेट, मोबाईल, मोटर, रेल, चौका, छक्का. कैच, मैच, कार्बन, कोलेस्ट्राल, ए सी, बिल्डिंग जइसे बहु प्रचलित आने भाषा के शब्द ला अपनाये मा घलो उदारता दिखाइन हें.
ये किताब के एक खासियत ये हे कि एमा बादल जी के जम्मो छन्द रचना के संगेसंग वो छन्द के विधान के घलो छत्तीसगढी भाषा मा उल्लेख हवे. ये विधान छत्तीसगढ के नवा कवि मन बर बहुत काम के रही. विधान अउ उदाहरण ला देख के छन्द लिखे जा सकथे.
किताब के दूसर खासियत ये हे कि छन्द रचना मन मा देवनागरी लिपि के जम्मो 52 वर्ण मन ला स्वीकारे गेहे. छत्तीसगढी भाषा के विकास बर जम्मो 52 वर्ण ला अपनाना बहुत जरुरी होगे हे. ये किताब के तीसर खासियत ये हे कि परम्परागत विषय जइसे पौरणिक, ऐतहासिक, नैतिक, प्रकृति चित्रण के अलावा नवा जमाना के सामयिक विषय बेटी पढावव, पानी बचावव, जंगल बचावव, प्रदूषण, मृत्यु-भोज, बफे सिस्टम, नशा के कुप्रभाव, यातायात के नियम पालन, स्वचछता अभियान मन ला घलो छन्द मा बाँधिन हें. ये किताब मा छत्तीसगढ के संस्कृति, खेलकूद, सब्जी-भाजी, तीज-तिहार, दर्शनीय स्थल, वनोपज, फसल, खानपान जम्मो के दर्शन होवत हे.
चोवाराम ‘बादल’ जी के छन्द संग्रह ‘छन्द बिरवा’ ला पढ के लागत हे कि छत्तीसगढ मा जनकवि कोदूराम ‘दलित’ जी के सपना फलीभूत होना चालू होगे. उन मन 1967 मा अपन कुण्डलिया संग्रह ‘सियानी-गोठ’ मा लिखे रहिन- ‘ये बोली मा खास करके छंदबद्ध कविता के अभाव असन हवय, इहाँ के कवि मन ला चाही कि उन ये अभाव के पूर्ति करें. स्थायी छन्द लिखे डहर जासती ध्यान देवैं. ये बोली पूर्वी हिन्दी कहे जाथे. येहर राष्ट्र भाषा हिन्दी ला अड्बड् सहयोग दे सकथे.’ मोर जानकारी मा पाछू के दू-तीन साल मा नवागढ ( बेमेतरा) के रमेश कुमार सिंह चौहान जी के कुण्डलिया संग्रह ‘ आँखी रहि के अँधरा’ अउ दोहा संग्रह ‘ दोहा के रंग’ प्रकाशित होइन. बिलासपुर के बुधराम यादव जी के दोहा सतसई ‘चकमक चिनगारी भरे’ प्रकाशित होइस । मोर छन्द संग्रह ‘ छन्द के छ’ घलो सन 2015 मा प्रकाशित होय रहिस. ये सब किताब मन छत्तीसगढी भाषा मा लिखे छन्द के संग्रह आय. छत्तीसगढ मा ‘ छन्द के छ’ के नाव ले ऑनलाइन कक्षा घलो चलत हे जिहाँ छत्तीसगढ के नवा जुन्ना कवि मन ला छत्तीसगढी माध्यम मा छन्द सिखाये जात हे. जेमा आज के तारीख मा करीब 30 कवि मन छन्द लिखे के ज्ञान पावत हें. चोवाराम ‘बादल’ जी इन कक्षा मा ‘ गुरुजी’ के उल्लेखनीय भूमिका के निर्वाह करत हें। मान के चलव कि अवैया दू-तीन साल मा छत्तीसगढी मा छन्द के 20-25 किताब छप के तैयार हो जाहीं. ये वाले दशक छत्तीसगढी काव्य के इतिहास मा एक क्रांतिकारी दशक के रूप मा जाने जाही. चोवाराम ‘बादल’ जी के छन्द संग्रह ‘छन्द बिरवा’ छत्तीसगढी काव्य साहित्य ला पोठ बनाही अउ एक कालजयी किताब बनही. मोर शुभकामना है।

दिनांक 11 अक्टूबर 2017
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग ( छत्तीसगढ )
संपर्क 9907174334 , 8319915168



मोर निवेदन

लइका पन बड अनमोल होथे । बहुर के कभू नइ आवय। सियान मन के कहना हे कि लइका हा गिल्ला माटी के लोंदा होथे । वोला राक्षस बना या देंवता। मतलब साफ हे कि लइकापन मा संस्कार के जेन नेंव धराथे ओइसने वो लइका के जिनगी हा बनथे । जब मैं अपन बचपना ला सुरता तब अनुभव होथे कि ये बात मन सोला आना सिरतोन आय।
मोर स्वर्गीय माता-पिता दूनो झन धार्मिक प्रवृत्ति के रहिन हें। गीत संगीत के घलो ओमन ला सँउख रहीसे। स्व पिता श्री देवसिंग जी हा तबला-चिकारा अउ माँदर बजावय । जब चेंतलग होंय तब रमायेन, लीला अउ जग मा अपन सँग लेगय। चडदा बरस के उमर मा रमायेन के टीका अउ लीला मा पाठ करें बर धर लेंव। उही समे अलवा जलवा गीत, कविता अउ कहानी के लिखई शुरू होइच । जेन आज तक जारी हे।
पहिली बार अमृत संदेश दैनिक समाचार पत्र मा घर परिवार शिर्षक ले दू छोटे छोटे लेख छपीस जेन हा मोर उत्साह ला कई गुना बढा दीस।
जिनगी के चक्का आगू अउ कवि सम्मेलन के मंच मा कविता पाठ करे ला धरलेंव। फेर साहित्य के जेन ”अलौकिक रसानुभूति” के चर्चा विद्वान मन करथें वोहा नइ मिलिस। ओखर तलास करत जिनगी आगू बढगे।
एक दिन सौभाग्य से सुप्रसिद्व छंद विद श्रद्धेय श्री अरूण कुमार निगम जी के अदभुत, छत्तीसगढी छंद संग्रह-कृति ”छंद के छ” के पता चलीस। मैं हदय से श्री निगम जी ला गुरू मान के सम्पर्क करेंव अउ ऊँखर ”छंद के छ” कक्षा मा प्रवेश ले लेंव। जइसे जइसे कक्षा आगू बढिस गुरूदेव के कृपा से मैं छंद रचना मा रम गेंव। जेन ज्ञान बर, जेन आनंद बर अंतस भटकत रहिसे वो हा इहाँ आके थिरागे। छंद रचना के बारीक ज्ञान जेन कोनो पुस्तक मा कभू नई मिलिस गुरूदेव श्री अरूण निगम जी से पाके मन गदगद होके कहि उठिस-
ग्रंथ गोठियावय नही, चुपे चाप अभ्यास।
ए जग मा गुरू के बिना, मेंटय कोंन पियास।
उँखर किरपा से पाये ”छंद बीजहा” ला हिरदे मा जगाये हँव तब ए ”छंद बिरवा” जागे हे।
ए मा छंद के छ परिवार के विदुषी साहित्यकार आदरणीया शकुंतला शर्मा जी, श्री सूर्यकांत गुप्ता जी, श्रीमती आशा देशमुख जी, हेमलाल साहू जी, दिलीप वर्मा जी, कन्हैया साहू जी, असकरण दास जी, गजानंद पात्रे जी, सुखन जोगी जी, अजय अमृतांशु अउ श्रीमती बासंती वर्मा जी मनके प्रतिक्रिया, सराहना अउ सुझाव रूपी खाद पानी डराय हे। जम्मो झन के अभारी हँव। कतको जरूरी घरेलू काम ला छोड के छंद रस मा डूबे राँहव। घर परिवार से बहुत सहयोग मिले हे। दूनो अग्रज श्री बुद्धा लाल वर्मा, श्री झग्गर सिंह वर्मा, अनुज राजकुमार वर्मा, धर्मपत्नि श्रीमती रामेश्वरी देवी, सुपुत्र मनीष कुमार अउ सुपुत्री दुर्गावती मन के आभारी हँव। श्री कामता प्रसाद सेन जी ला सहयोग बर विशेष अभार।
ए छन्द संग्रह ल अपन आशीर्वाद देवइया जम्मो विद्वान आदरणीय मन ल सादर नमन करत हँव।
यदि ए ”छंद बिरवा” ला कोनो सुधि जन अपन हृदय अँगना मा जगा दिहीं त मै कृतार्थ हो जाहँव।
माता-पिता अउ गुरू कृपा के कोनो मोल नई चुका सकव। बहुत ही श्रद्धा पूर्वक ”छंद बिरवा” ला प्रणम्य गुरूदेव श्री अरूण कुमार निगम
जी ला सादर समर्पित करत हँव।
आप मन के आसिरवाद अउ सुझाव के सदा अगोरा रहही ।

चोवाराम ” बादल”
ग्राम कुकराचुंदा (उड़ेला)
पोस्ट- हथबंद (रेल्वे स्टेशन)
493113
वि.ख- सिमगा
जिला-बलौदाबाजार-भाटापारा (छ.ग.)
संपर्क – 9926195747




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