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गीत

छत्तीसगढ़ के माटी अंव


मय छत्तीसगढ़ के माटी अंव,
डोरसा अऊ मटासी अंव।
मुड़ी मा ऊपजे धान सोनहा,
पावन भुईयां काशी अंव।।
मय छत्तीसगढ़ के माटी अंव।
डोरसा अऊ मटासी अंव।।

छत्तीसगढ़ के छत्तीसगढ़ीयां
मोर संग जीले खेलले बढ़िया I
खेल खेल मा बन जाहुं संगी,
महीं तो भँवरा बांटी अंव।
मय छत्तीसगढ़ के माटी अंव,
डोरसा अऊ मटासी अंव।।

मतोबे त मय मात जथव
लहू के धार ल तको पीथव
बिना तेल के जुगजुग जलईया
अईसन दिया अऊ बाती अंव।
मय छत्तीसगढ़ के माटी अंव,
डोरसा अऊ मटासी अंव।।

माथ लगाबे त बन जाथव चंदन
शीश नवा के ते करथस वंदन
अईसन मय सनयासी अंव,
मय छत्तीसगढ़ीयां माटी अंव।
डोरसा अऊ मटासी अंव।।

अरा ररा अऊ तता तता
सबो भाखा के गियानी अंव
किसान के दुलरवा मय,
मितान के मितानी अंव।
मय छत्तीसगढ़ीयां माटी अंव,
डोरसा अऊ मटासी अंव।।

आरा पारा बारी बखरी
आरो अंगना परछी दुवारी
चारों मुड़ा हे मोरे पुजारी
का धनहा का भर्री भाठा
सिरतोन गोठ ये नोहय तमाशा
रूख राई बर गोड़ के सांटी अंव।
मय छत्तीसगढ़ीयां माटी अंव,
डोरसा अऊ मटासी अंव।।

ननपन भूले झूले झूलना
घरघुदिया बनाय धुर्रा माटी के खेल मा
मया के छईयां माईके पैइयां
कोरा म बईठे जईसे कनहैईया
अईसन मय देवता धामी अंव।
मय छत्तीसगढ़ीयां माटी अंव,
डोरसा अऊ मटासी अंव।।

माटी से माटी ल झन मता
खून के आसूं मोला मत रोवा
लाहकत रहिथव सुरता मा तोर
काबर बनथस बईरी मोर
मय छत्तीसगढ़ीयां माटी अंव,
डोरसा अऊ मटासी अंव।।
मुड़ी मा ऊपजे धान सोनहा
पावन भुईयां काशी अंव।

विजेंद्र वर्मा “अनजान”
नगरगाँव-(जिला-रायपुर)

3 replies on “छत्तीसगढ़ के माटी अंव”

कविता बहुत बढ़िया लागिस हावय वर्मा जी .

तोर कविता सुघ्घर लगीश हावय कवी महोदय वर्मा जी

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