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छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के छठवां प्रांतीय सम्मेलन

बेमेतरा म आज ले छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के छठवां प्रांतीय सम्मेलन सुरू होवत हे। ये सम्‍मेलन बर मुख्यमंत्री अऊ संस्कृति मंत्री ह शुभकामना देहे हें। राज्य सरकार के संस्कृति विभाग के संस्था छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक ह पाछू दिनन रायपुर म बताइन कि आयोग के छठवां तीन दिवसीय प्रांतीय सम्मेलन ए महीना के 19 तारीक ले 21 तारीक तक जिला मुख्यालय बेमेतरा म आयोजित करे जाही। ये मां राज्य के कवि अऊ लेखक मन के संग प्रदेश सरकार के मंत्री, छत्तीसगढ़ के सांसद अउ विधायक मन ल घलोक नेंवते गए हे। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह अऊ संस्कृति मंत्री श्री दयालदास बघेल ह सम्मेलन के सफलता बर अपन शुभकामना देहे हे।



डॉ. पाठक ह बताइस कि आयोग के अनुरोध ल सहर्ष स्वीकार करत मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ह राज्य सरकार के साल 2018 के कैलेण्डर म 28 नवम्बर के तारीक ल छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के रूप म चिन्हांकित करे गए हे। आप मन जानतेच होहू कि छत्तीसगढ़ विधानसभा म 28 नवम्बर 2007 के दिन छत्तीसगढ़ी राजभाषा विधेयक पारित होय रहिस। ए ऐतिहासिक दिन ल यादगार बनाए बर मुख्यमंत्री ह राज्य शासन के वार्षिक कैलेण्डर म ए दिन ल छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के रूप म चिन्हांकित करे के निर्देश दिए रहिन। राजस्व विभाग के शासकीय प्रिंटिंग प्रेस ले प्रकाशित ए कैलेण्डर म येसो ये दिन चिन्हांकित कर दे गए हे। आयोग ह एखर बर मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट करिस।




आयोग के अध्यक्ष डॉ. पाठक ह बताइस कि सम्मेलन म छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पहल म आगामी सत्र ले छत्तीसगढ़ ल वैकल्पिक विसय के रूप म स्थान देहे अउ छत्तीसगढ़ी शोधपीठ के शुरूआत करे खातिर गौरीदत्त शर्मा, कुलपति बिलासपुर विश्वविद्यालय, पी.जी. डिप्लोमा ए छत्तीसगढ़ी के स्थापना बर डॉ. वंश गोपाल सिंह कुलपति पं. सुन्दरलाल शर्मा (मुक्त) विश्वविद्यालय बिलासपुर, हिन्दी के संग छत्तीसगढ़ी म प्रचार-प्रसार बर संलग्न दक्षिण पूर्व मध्य रेल्वे के श्री विक्रम सिंह वरिष्ठ राजभाषा अधिकारी, गुरतुर गोठ नामक छत्तीसगढ़ी भाखा के पहली वेब पत्रिका के सम्पादक अऊ गूगल के संग छत्तीसगढ़ी की-बोर्ड निर्माण म सहयोग बर श्री संजीव तिवारी (भिलाई नगर) अउ मोबाइल म छत्तीसगढ़ी आखर कोष के संयोजना बर श्री शरद यादव (सीपत) ल सम्मनित करे जाही। ये वाले पूरा कार्यक्रम प्रसिद्ध कवि स्वर्गीय डॉ. विमल कुमार पाठक ल समर्पित होही।




सम्मेलन म 20 अउ 21 जनवरी के दिन संगोष्ठी के आयोजन करे जाही। जेमां 20 जनवरी के दिन बिहनिया 10 ले 12 बजे तक डॉ. श्रीमती सत्यभामा आडिल के अध्यक्षता म ’छत्तीसगढ़ी साहित्य मं महिला साहित्यकार मन के भूमिका’, 12 बजे ले 2 बजे तक के सत्र म ’लोक व्यवहार अउ प्रशासकीय कामकाज म राजभाषा छत्तीसगढ़ी’, मंझनिया 3 बजे ले 7 बजे तक ’मंचीय काव्य मं छत्तीसगढ़ी के प्रभाव अउ महत्व’ सत्र के अध्यक्षता पंडित दानेश्वर शर्मा करहीं, जबकि ए दिन के आखरी सत्र डॉ. विमल कुमार पाठक के व्यक्तित्व अउ योगदान ले सम्बद्ध होही, जेकर अध्यक्षता पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी करहीं अउ वरिष्ठ साहित्यकार श्री नंद किशोर तिवारी अउ डॉ. विनय कुमार पाठक मुख्य वक्ता होहीं। इही कड़ी म 21 जनवरी के दिन बिहनिया 10 ले 12 बजे तक के सत्र ’छत्तीसगढ़ म अनुवाद परम्परा प्रयोग अऊ महत्व’ उपर केन्द्रित होही, जेकर अध्यक्षता डॉ. परदेशी राम वर्मा करहीं। आखरी सत्र 12 ले 2 तक होही, जेमां खुला सत्र अऊ समापन सत्र म कुछु अउ गोठ-बात होही। साल 2018 म आयोग के कार्यक्रम मन ल गति प्रदान करे के संकल्प के संग सत्र के समापन होही। सम्मेलन के काम मन ल व्यवस्थित करे के जिम्मा जिला समन्वय श्री विवेक तिवारी ल सौंपें गए हे।



सम्मेलन म छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सहयोग ले प्रकाशित दू दर्जन ले जादा पुस्तक मन के विमोचन घलोक उद्घाटन सत्र म होही, जेमां प्रमुख रूप ले डॉ. जे.आर. सोनी के लिखे ’सतनाम रहस्य’, डॉ. विनय पाठक के लिखे ’लोक व्यवहार व कार्यालयीन छत्तीसगढ़ी’, ’छत्तीसगढ़ी साहित्य के ऐतिहासिक अध्ययन’ (डॉ. विमल कुमार पाठक), ’समसामयिक संदर्भ मन के निष्कर्ष म पंडित मुकुटधर पाण्डेय अउ डॉ. विमल कुमार पाठक के साहित्य के तुलनात्मक अध्ययन (श्रीमती रंजना मिश्रा), ’छत्तीसगढ़ी लोक रामायण (श्री गणेश राम राजपूत) आदि सामिल हे।
ए अवसर म तीनों दिन छत्तीसगढ़ी साहित्य के प्रदर्शनी लगाए जाही, जेखर दायित्व कपिल नाथ कश्यप जयंती समारोह ल सौंपे गए हे। ए अवसर म छत्तीसगढ़ी राजभाषा विशेषांक के लोकार्पण घलोक करे जाही, जेमां श्री राघवेन्द्र दुबे अतिथि सम्पादक हें।

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