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कविता

मोर छत्तीसगढ़ महतारी

1. जिंहा खिले-फुले धान,
सुग्घर खेत अउ खलिहान।
देवी-देवता के हे तीर्थ धाम,
कहिथे ग इंहा के किसान।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
हे ग महान…….!

2. दुख पीरा के हमर दुर करइया,
हरय हमर छत्तीसगढ़ मइया।
हरियर-हरियर हे दाई के अंगना,
कहिथे ग इंहा के लइका अउ सियान।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
हे ग महान…..!

3. माटी ल मांथा म लगाके देखबे,
चन्दन – बंदन ल भुला जाबे।
गुलाब कस सुंगंध दिही,
कहिथे ग इंहा के मजदूरमन।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
हे ग महान……!

4. सुत उठ के करथंव प्रणाम,
इही मोर दाई-ददा अउ भगवान।
जेखर करंव घेरी-भेरी बखान,
कहिथे ग इंहा के पुलिस अउ जवान।
मोर छत्तीसगढ़ महतारी,
हे ग महान…..!

डोमन निषाद “डेविल”
ग्राम – डूण्डा (बेमेतरा)
जिला-बेमेतरा छत्तीसगढ़
मो. 9755394291

One reply on “मोर छत्तीसगढ़ महतारी”

सुंदर रचना
जय छत्तीसगढ़

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