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कविता

छत्तीसगढ़ी बोलबो

मया के मधुरस करेजा म घोलबो,
गुरतुर बोली छत्तीसगढ़ी ल बोलबो।

भाखा हे मोर बड़ सुघ्घर-सुघ्घर।
सारी जिनगी मिल-जुल के लिखबो,

बोली हे हमर बढ़िया भाखा हे,
गोठियाये के मन म बड़ अभिलासा हे।

सारी जगहा अपन बोली-भाखा ल,
बगराबो छत्तीसगढ़ी भाखा गोठियाबो।

जुन्ना-नवा परंपरा ल अपनाबो,
छत्तीसगढ़ी संस्कृरिति ल सब्बो ल जनाबो।

संगी-जहुरिया संग छत्तीसगढ़ी गोठियाबो।
अपन बोली भाखा ल अपनाबो।

जोहार छत्तीसगढ़ के नारा सब्बो जगहा लगाबो,
छत्तीसगढ़ी गोठियाबो, छत्तीसगढ़ी गोठियाबो।

अनिल कुमार पाली, ‘जुगनी’ तारबाहर बिलासपुर छत्तीसगढ़।
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