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कविता

मंय छत्तीसगढ़ बोलथंव

मंय छत्‍तीसगढ़ी बोलथंव
मंय मन के गॉंठ खोलथंव
छत्तीसगढ़ियामन सुनव
मोर गोठ ल धियान
गॉंव-गॉंव म घुघवा डेरा
नंजर गड़ाहे गिधवा-लुटेरा
बांॅध-छांद के रखव
खेती-खार अऊ मचान
एक-अकेला छरिया जाहू
जुरमिल दहाड़व बघवा समान
मंय छत्तीसगढ़ बोलथंव
तूं सुनव देके कान

चार-चिरोंजी पुरखऊती ए
जंगल जिनगानी लिखाहे
ते बस्तर म खून कहानी
करिया कपटीमन रचाहे
घोटुल-घोटुल गुंडाधूर निकलव
भूमकाल बर उठावव तीर-कमान
मंय छत्तीसगढ़ बोलथंव
तूं सुनव देके कान

करजा के सुनामी म बुड़गे
रूख लटके किसान हे
रेती कस किसानी गंवाथे
किसान होथे गुलाम हे
गॉंव-गॉंव ले किसान निकलव
बीर नरायन के बगरावव सोनाखान
मंय छत्‍तीसगढ़ी बोलथंव
तूं सुनव देके कान

लोकनाथ साहू ललकार
बालकोनगर, कोरबा (छग)
मोबाइल – 9981442332