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बेरा के गोठ : फिलिम के रद्दा कब बदलही

आजकल जौन ला देखबे तौन हा फिलिम, सिरियल अउ बजरहा जिनिस बेचइया विज्ञापन करइया मनके नकल करेबर अउ वइसने दिखेबर रिकिम रिकिम के उदिम करत हे।सियान मन कहिते रहिगे कि फिलिम विलिम ला देखव झिन, ये समाज अउ संस्कृति के लीलइया अजगर आय जौन सबो ला लील देही। आज वइसनेच होत हावय। हमर पहिराव ओढ़ाव, खाना पीना, रहना बसना, संस्कृति, परंपरा, तीज तिहार, बर बिहाव सबो फिल्मी होगे।
देस मा जब फिलिम बनेबर सुरु होइस तब कोंदा फिलिम अउ करिया सफेद (ब्लेक एंड व्हाइट) फिलिम हा हमर देबी देवता के लीला, पूजा पाठ ला देखावत होइस। फेर रद्दा बदलिस अउ देस के अजादी बर देसभक्ति वाला फिलिम बनिस।इही संगे संग बीर राजा महराजा, रानी महरानी जौन मन अपन देस, समाज अउ परजा बर भलई के बुता करिन उँखर उपर फिलिम बनिस। जब देस अजाद होगे होइस एखर पाछू फेर रद्दा बदलिस ।देस के ओ बखत के जवान चेलिक पीढ़ी मन करा मनोरंजन के साधन अपन संस्कृति,नाचा, गम्मत के पाछू फिलिम हा बनिस। बड़े सहर अउ गाँव के संस्कृति के अंतर देखाय वाले फिलिम बनिस। बड़का छोटे सहर मा टॉकीज, टूरिंग टॉकिज, के संग मेला मड़ई मा फिलिम के आनंद लेवत गिन।किसानी, मालगुजारी, बड़हर मन के अड़दली पन बर फिलिम बनिस अउ लोगन ओला परिवार संग देखिन अउ पसंग करिन।
एखर पाछू एक घाँव फेर रद्दा बदलिस चोर, डाकू, तस्कर, हफीम, गाँजा, हिरोइन, हीरा दलाली,मूर्ति चोरइया, परदेस मा बेचइया मन के उपर घलाव फिलिम बनिस। ओ बखत के लइका सियान, चेलिक जवान मन हीरो हिरोइन ला भगवान बरोबर मानय। फिलिम मा मनोरंजन के संगे संग परिवारिक, देसभक्ति, संस्कृति के अउ गाँव, पढ़ाई के महत्तम अउ गाँव सहर के अंतर ला देखाय। देबी देवता,भूत परेत, भगवान मानता, सिक्छा के संदेस वाला फिलिम घलाव बनिस। सौ बात के एक बात ओ बखत के मनखे ला जौन किसम के सीख के जरुरत रहिस ओइसने किसम के फिलिम बनिस।ओ बखत संस्कृति, परंपरा ला तोड़े फोड़े के जादा हिम्मत फिलिम मा घलो नइ रहय। एखर पाछू कहानी लिखइया अउ ओला फिलिम बना के बेचइया मन फेर अपन रद्दा बदलिस। नाचा गाना वाला फिलिम आयबर लगिस। इही करा ले हमर चेलिक लइका मन दूसर रद्दा धरे लगिस।रिकिम रिकिम के पहिरई ओढ़ई ला फैसन के नाम मा परचारित करे लगिन। फेर आईस कालेज पढ़ईया लइका मनके प्यार मोहब्बती वाला फिलिम ।जौन हा अमीरी गरीबी जाति धरम संस्कृति ला आगी धरा के चूल्हा मा डार दिस। देस के भविष्य मन दूसर रद्दा धर डारिस।सबो प्रांत मा परिवार मनके दाई ददा मनके मुड़ी नवइया लइका मन आज ले अपन सियान मनके पागा ला छोरत हे। चेलिक टूरा टूरी मन आन जात,धरम वाले संग मोहब्बती मा फँस जाथे। कुछु कही जानबो हो जाथे ताहन मार पीट, हइता, बलत्कार, आतमहइता अउ बैरी भाव बन जाथे। एमा हमर देस के अंतर्जातीय बिवाह कानून हा घीव के काम करथे। देस ला अजाद होय सत्तर बच्छर ले जादा होगे फेर भारत पाकिस्तान के बीच कोनों न कोनों संबंधी फिलिम आज ले बनत हे अउ हमर चेलिक मन इहीच मा मगन हे।
आजकल जतका प्रांतीय भाखा मा फिलिम बनत हे ओमा जादा अइसने प्यार मोहब्बती वाला फिलिम हावय जौन ला परिवारिक फिलिम के नाम मा परोसत हे।नान्हे नान्हे कपड़ा लत्ता,देह उघार के रेंगना, नाचना, घुमना, पढ़ेबर जाना सब फैसन होगे। जेठ हा भैया अउ डेड़सास हा दीदी इही फिलिम मनके देय नत्ता होगे। मुड़ी ढाँक के रेंगना अब तइहा के बात होगे नवा नवा गाड़ी मोटर भर्र भर्र चलाय बर हमर नवछटहा लाइकामन ला फिलिम हा देखावत अउ सिखावत हे। अइसने बनत फिलिम मन हमर जात, समाज, संस्कृति, धरम बर खतरा होवत हे। दाई ददा मन जाँगर टोर मेहनत करके लइका मनला पढ़ाई करे बर,नउकरी करेबर आने जगा अपन ले दूरिहा भेजथे।फेर ओमन पढ़ाई करे के जगा अपन भविष्य ला इही फिलिम कस प्यार मोहब्बती मा झिंगरा कस फाँस लेथे। अउ अपने गोड़ मा टंगिया मारथे।
अब देस दुनिया मा नवा रद्दा के फिलिम बनाय के जरुरत हे। बहुत होगे संस्कृति ला बिगाड़े, परिवार ला टोरे फोरे के फिलिम। देस अउ प्रांत मा बेरोजगारी, बिमारी, भ्रष्टाचार, समिलहा परिवार के पुरखौती परंपरा के बिनास हा हाथ गोड़ लमावत हे। एला बने करे के जरुरत हे। व्यावसायिक फिलिम के नाव मा हमर लइकामन करा काय काय परोसत हे एला देखे समझे के जरुरत हे। नवा जुग के नवा किसिम के फिलिम बनत हे जेमा रोबोट, कम्प्युटर, रिमोट हे। फेर एमा घलाव प्यार मोहब्बती , नारी हिनमान, ला मिंझार देवत हे। जनता ला काय मिलत हे। अब बेरोजगार बर रोजगार के उदिम वाला, देस मा डाक्टर के कमती ला दूर करे के उदिम, घर घर मा पानी बचाय के उदिम, खेती किसानी ले दुरिहात पढ़े लिखे चेलिक ला जोड़े के उदिम, पर्यावरण ला सुधारे मा चेलिक मन के सहयोग के उदिम वाला फिलिम बनाय के जरुरत हे।
कहे जाथे फिलिम हा समाज ला रद्दा देखाय के बूता करथे।फेर आज के फिलिम मनके रद्दा खुदे भुलवाही खुंद डरे हे।एक्कइसवीं सदी मा हमर चेलिक लइका मन ला काय देना हे, ओला फिलिम बनाइया मन बिचार नइ कर पावत हे। प्यार मोहब्बती मा फाँस के राख दे हावय। समाज मा बदलाव अउ नवा रद्दा देखाय के बूता फिलिम हा घलाव करथे। तब ये फिलिम मन अपन रद्दा कब बदलही, कब तक दूसर के जात धरम ला मोहबती के नाम मा बिगाड़े के बूता चलते रही,नवा पीढ़ी के चेलिक मन ला कब उबारही इही अगोरा हे।

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा, जिला-गरियाबंद

One reply on “बेरा के गोठ : फिलिम के रद्दा कब बदलही”

गुरूजी
का लिखे हौ!!बहुते च बढ़िया।

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