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Shabdkosh शब्‍दकोश

उ-ऊ छत्‍तीसगढ़ी हिन्‍दी शब्‍दकोश

उँकर (सं.) उकडू, पैरों के पंजों के बल बैठना।
उँचान (सं.) ऊँचाई।
उँटवा (सं.) ऊँट।
उँटिहार (सं.) ऊँटी दे.  लेकर गाड़ी के आगे-आगे चलने वाला व्यक्ति।
उंडा (वि.) औधा, मुँह के बल।
उकठना (क्रि.) बीती घटनाओं को सुना-सुना कर गाली-गलौज करना।
उटकना (क्रि.) दे.  उकठना
उकेरना (क्रि.) निकालना, रस्सी आदि की बटाई खोलना।
उखरू (सं.) दे. ‘उँकरू’।
उखलहा (वि.) 1. ओछी तबीयत का, नीच स्वभाव का, दोषी। 2. जादा बोलने वाला, सहजता से वास्‍तविक बात बता डालने वाला।
उखरा (सं.) रस से पगी लाई दे. । (वि.) नंगे पैर।
उखानना (क्रि.) उखाड़ना।
उगता (सं.) मजदूरी का ठेका।
उगती (सं.) सूर्योदय।
उगोना पाख (सं.) शुक्ल पक्ष।
उघरा (वि.) 1. शरीर के ऊपर वस्त्र न होना 2. खुला हुआ, बिना आवरण के।
उचारना (क्रि.) खोलना।
उचंती (सं.) थोडे समय के लिए लिया हुआ ऋण, अग्रिम राशि, – (वि.) चलने को उत्सुक।
उचना (क्रि.) ऊँचा होना, उठना 2. जलना क्रियाशील होना।
उचाना (क्र.) 1. ऊँचा करना, उठान 1. जलाना, क्रियाशील करना 3. खर्च करना।
उच्छिन होना (क्रि.) 1. दृष्टि से ओझल हो जाना, अदृश्य हो जाना 2. उदास होना।
उछरना (क्रि.) वमन करना।
उछराई (सं.) 1. कै का आभास, उल्टी कर का मन होना 2. अत्यधिक पिटाई।
उछला (वि.) लबालब (खेत, तालाब आदि के सम्बन्ध में)।
उछार (सं.) वमन, कै, उल्टी।
उछाल-तलाव (सं.) हैजा।
उछाह (सं.) उत्साह।
उजारना (क्रि.) उजाड़ना।
उजियार (सं.) उजाला, प्रकाश।
उजियारी (वि.) उज्ज्वल।
उजीर (सं.) धोबी।
उज्जर (वि.) उज्ज्वल, सफेद, स्वच्छ, साफ।
उझारना (क्रि.) नष्ट करना, उजाड़ना।
उझालना (क्रि.) उछालना, ऊपर फेंकना, ऊपर-नीचे करना।
उटंग (वि.) वस्त्र पहनने पर अपेक्षित लंबाई से उसका कम पाया जाना, धुलने पर कपड़े का लंबाई में सिकुड़ना।
उटकट (सं) ऊब। दे. ‘असकरट’। – (.वि.) उत्कट, अत्यधिक।
उटकटाना (क्रि.) दे. ‘असकटाना’।
उटकना (क्रि.) ताना देना, व्यंग्य करना, उलाहना देना, अनपेक्षित पुरानी बातें कहना।
उटकुट (वि.) दे. ‘उटकट’।
उठलँगरी (वि.) स्त्रियों की एक गाली, जिसमेँ दुश्चरित्रता का बोध समाहित है।
उड़ासना (कि.) बिस्तर उठाना, बिस्तर समेटना।
उडि़या (सं) 1. उड़ीसा का निवासी। 2. सँवरा जाति की एक उपजाति।
उडि़याना (कि.) 1. उड़ना 1. उड़ाना ।
उड़ेरा (वि.) आकस्मिक।
उढ़ना (सं) पहनने या ओढूने का वस्त्र, चादर, ओढनी। -(क्रि) ओढ़ना।
उढ़रिया (सं.) 1. भगाई हुई या भागी हुई औरत 2. विवाह का एक प्रकार। दे. ‘उढरी’।
उढ़री (सं.) पति या पिता के घर को छोडकर भागी हुई औरत।
उढ़ेरना (क्रि.) खाली करना।
उतरना (सं.) एक प्रकार का कर्णाभूषण। – (क्रि) उतरना, नीचे जाना।
उतलंग (वि.) 1. ऊधम करने वाला। 2. उघम मचाने वाला।
उतान (क्रि. वि.) पीठ के बल, सीधे चित्त। उत्तान।
उतान भँसेड़ा (वि.) ऊटपटाँग, अव्यवस्थित, अनियमित।
उतारू (सं.) ढलान।
उतियाइल (वि.) नरटखट, ऊधमी, उतावला।
उतेरना (क्रि.) गीले खेत में बीज फेंककर बौना।
उतेरा (सं.) उतेरने (दे. ‘उतेरना’) के लिए बीज।
उत्ता-धुर्रा (वि.) अनियंत्रित तरीके से, मनमाने ढ़ग से। – (क्रि. वि.) जल्दी-जल्दी।
उत्तिम (वि.) उत्तम।
उत्ती (सं.) 1. पूर्व दिशा 2. सूर्योदय का काल।
उत्थल (वि.) उथला।
उदंत (सं.) जिस शावक के दूध के दाँत न टूटे हों।
उद (सं.) 1. प्रेत, मसान 2. मुर्दो को उखाड कर खानेवाला एक जंगली जानवर।
उदकना (क्रि.) उछलना।
उदबास (सं.) उपद्रव। – (वि.) उपद्रवी।
उदबिदहा (वि.) उत्पात्त मचाने वाला, गडबड करने वाला, ऊधमी, उथल-पुथल करने वाला।
उदलना (क्रि.) 1. बोए गए बीजों का उमस के कारण बेकार हो जाना 2. भेलवा दे.  के प्रभाव से फोड़े हो जाना।
उदाली (सं.) अपव्यय।
उदीम (सं.) उद्यम, परिश्रम, यत्न।
उधवा (सं.) मिसाई (दे. ‘मिसना’) करके रखा हुआ अनाज का ढेर।
उधाना (क्रि.) टिकाना।
उधार (सं) ऋण।
उधोनी (क्रि.) समाप्त करना।
उन कर (सर्व.) उन का, उन के, उन की।
उन खर (सर्व.) दे. ‘उन कर’।
उन खर ले (सर्व.) उन्हीं से।
उनारना (क्रि.) दे. ‘ओनारना’।
उन्‍ना (सं.) दे. ‘उढना’। — (वि.) खाली।
उन्हों (सं.) कपड़ा।
उन्हारी (सं.) रबी की फसल, गर्मी की फसल, दलहन की फसल।
उपनना (क्रि) मार आदि का निशान दिखाई पडना, कोई भी चिह्न या वस्तु अचानक दिखाई पडना, उत्पन्न होना।
उपकाना (क्रि) उखाड़ना।
उपत के (क्रि. वि.) अपनी ओर से, स्वेच्छा से, स्वयं होकर।
उपटना (क्रि.) दे. ‘उबवकना’।
उपदरा (सं) उपद्रव, उत्पात्, ऊधम। (वि.) उपद्रवी।
उपदरी (वि. स्त्री.) उपद्रवी।
उपर (क्रि. वि.) ऊपर। (पर.) पर।
उपरना (सं) दुपट्टा।
उपर सँस्सी (सं.) साँस का ऊपर चलने का क्रम।
उपरहा (वि.) आवश्यकता से अधिक, उपयोग के अतिरिक्त बचा हुआ।
उपरोहित (सं.) पुरोहित, पंडित।
उपरौना (सं.) दे. ‘पुरौनी’।
उपला (सं.) सूखा हुआ गोबर। दे. ‘बिनिया छेना’।
उपसहिन (सं.) उपवास रखने वाली स्त्री।
उपाई (वि.) कुचक्री, गड़बड़ करने वाला, उपद्रवी।
उपास (सं) उपवास।
उफनना (क्रि)उबल कर पात्र से बाहर निकलना।
उफलना (क्रि.) सतह पर तैर आना, सतह पर आ जाना।
उबकना (क्रि.) 1. उभरना 2. उखड़ना।
उबजना (क्रि.) उत्पन्न होना, उपजना (विशेषकर घनत्व के साथ)।
उबड़ी (वि.) औधा, पेट के बल।
उबड़ी परना (क्रि.) किसी चीज को पाने के लिए टूट पडना।
उबरना (क्रि.) शेष रहना, निवृत होना, बचना।
उबारना (क्रि.) मुक्त करना, उद्धार करना, उत्पत्ति में सहायता देना।
उभुक-चुभुक होना (क्रि.) 1. डूबना-उतराना 2. आगा-पीछा करना, अनिश्चय की स्थिति में होना।
उबुक-चुबुक होना (क्रि.) दे. उभुक-चुभुक होना
उमन (सर्व.) वे।
उम्मर (सं.) 1. आयु,  2. मीठापन।
उम्हर (वि.) अत्यधिक मीठा।
उरई (सं.) 1..खस की घास 2. एक प्रकार का धान।
उरई जर (सं.) उरई की जड़ अर्थात् खस।
उरकना (क्रि.) 1. कम पडना 2. समाप्त होना।
उरकहा (सं.) फटने वाली जमीन।
उरभठ (वि.) ऊबड़-खाबड़।
उरमाल (सं.) रूमाल।
उररना (क्रि.) खींचना, खींचकर निकालना।
उरला (वि.) पीछे भार अधिक होने से आगे के हिस्से के उठ जाने की स्थिति, उठंग होने की स्थिति।
उल्‍ला (वि.) दे. उरला
उरिद (सं.) उर्द।
उरेरना (क्रि.) बनाना।
उर्री-पुर्री (वि.) लबालब। दे. उछला।
उर्रु (वि.) कड़ा, सूखा।
उलँडना (क्रि.) उल्टा हो जाना, संतुलन बिगड जाने के कारण लुढ़क पडना।
उलचना (क्रि.) खाली करना, उलीचना।
उलदना (क्रि.) औधा कर के ढालना, उलटना।
उलफुलहा (वि.) कम बुद्धिवाला, प्रशंसा सुन कर प्रसन्न हो जानेवाला।
उलफुलाना (क्रि) मतलब साधने के लिए उत्साहित करना।
उलरना (क्रि.) 1. गाडी का पीछे से वजनी होने की स्थिति में असंतुलित हो जाना 2. ढीला होना 3. ढीला करना। 4. बटी हुई रस्‍सी का बट खुलना।
उलरुवा (सं.) उलरने (दे. ‘उलरना) की स्थिति मं गाडी को सहारा देने के लिए अड़ाई गई लकड़ी।
उलार (वि.) दे. उरला।
उलेंडा (वि.) दे. उछ़ेरा।
उल्लुर (वि.) 1. दे, ‘उरला’ 2. सुस्त, ढीला 3. कोमल ।
उल्हवा (वि.) कोमल (पत्ते)।
उल्होना (क्रि.) अंकुरित होना, कोंपल फूटना।
उसकारना (क्रि.) पड़ी हुई वस्तु को खड़ा करना या उठाना।
उसनना (कि.) उबालना।
उसना (वि.) उबाला हुआ।
उसनिंदा (वि.) निद्रातुर, जिसकी नींद पूरी नहीं हुई हो, उनींदा।
उसयाइल (वि.) 1. सूजा हुआ (अंग-विशेष)। 2. मैला-कुचैला, गंदा, फूहड।
उसरना (क्रि.) कार्य समाप्त होना, निवृत्त होना।
उसराना (क्रि.) कार्य समाप्त करना, निबटाना।
उसलती (वि.) उठता हुआ, बंद होता हुआ, उचटता हुआ।
उसलना (क्रि.) 1. उठ कर चला जाना 9. उखड़ना
उसालना (क्रि.) जमी हुई वस्तु को धीरे-धीरे उठाना।
उसीसा (सं.) 1. सिरहाना 2. सिर को टिकाने का साधन, तकिया।
उसुआना (क्रि.) सूजना।
उसुर-पुसुर (क्रि. वि.) उकताकर, किसी परेशानी से बेचैनी की स्थिति।
उहॉं (क्रि. वि.) वहाँ।
उही मन ला (सर्व.) उन को।
उही (सर्व.) 1. वही 2. उसी।
ऊँच (वि.) ऊँचा, ऊँची जाति का, बड़ा।
ऊँटी (सं.) गाड़ी टिकाने के लिए प्रयुक्त होनेवाली विशेष तरह से तैयार की गई लकड़ी जिसके नीचे की ओर दो पाये हों, लाठी।
ऊँधस (सं.) ऊधम।
ऊना (कि.) उदित होना। – (वि.) खाली, कम, न्यून। दे. ‘उन्ना’।
ऊमस (स.) उमस।
ऊल (सं.) 1. संतुलन 2. गिल्ली को ऊँचा उछालने का कार्य।

3 replies on “उ-ऊ छत्‍तीसगढ़ी हिन्‍दी शब्‍दकोश”

Mama Pranam- ek aur word add kar sakte hai shabd hai ‘ulandbaanti’ hindi me ek prakar khel jisme dir k bal ulate hai.

उतअइल – उदण्ड उपद्रवी
इसे जोडे

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