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कहानी

संसो

आज संझौती बेरा म बुता ले लहुट के आयेंव त हमर सिरीमति ह अनमनहा बैठे राहय।ओला अइसन दसा म देखके मे डर्रागेंव।सोचेंव आज फेर का होगे?काकरो संग बातिक बाता होगे धुन एकर मइके के कोनो बिपतवाला गोठ सुन परिस का।
में ह पूछेंव-कस ओ!आज अतेक चुप काबर बैठे हस?
ओहा किहिस -कुछु नीहे गा!अउ अपन बुता काम म बिलमगे।जें खायके बाद ओहा बुता काम ले रीता होइस त फेर पूछेंव-कुछु तो बात हे खिल्लू के दाई!बता न मोला!
मोर गोठ ल सुनके ओकर आंखी ले आंसू निथरगे।ओहा बताइस-तें ह हमर गांव के छेरका लइका ल जानथस न!!
में ह केहेंव-हां।
ओहा किथे-ओकर एकझन बहिनी तको हे ना जेन ह थोरिक दिमाग ले कमजोर हे!
मेहा फेर केहेंव-हां!त बने फोर के बता न का होगे तेला?
ओहा बताइस-कभू कभ वो छेरका लइका ह दूसर बुता म चलदय त ओकर उही बहिनी ह छेरी चराय बर जावय।ओकर संग अलहन होगे कथे गा!कोनो हइतारा ह ओकर कम दिमाग के फयदा उठाके ओकर संग गलत काम कर देहे कथे।बपुरी लइका ह कुछु नी जान पाइस।ओहा घर म पेट पीरावत हे किके रोवय किथे।ओकर पेट पीरा ल डाक्टर कना जाके देखाइन त पता चलिस कथे कि ओकर संग गलत काम होय हे।बुद्धि कमजोर हे ते पाय के ओहर नाम घलो नी बता सकत हे कथे।
ओकर बात सुनके महूं बक खागेंव अउ केहेंव-ए तो बहुत बडे अनर्थ होगे हे ओ!
खिल्लू के दाई ह किथे-अब मोला बड डर लागत हे गा!नारी-परानी के एकेझन रद्दा-बाट म रेंगई ह मुश्कुल होवत हे।जेती देख ओती नारी ऊपर अतियाचार बाढत हे।जम्मो मनखे परनारी अउ नोनी मन के ऊपर गलत नजर गडावत रिथे।हमरो एकझन नोनी हे गा!हमन अपन नोनी ल अइसन दुनिया ले कैसे बचाबो।
खिल्लू के दाई के गोठ सुनके महूं संसो म पडगेंव।सोचत हंव-आज के समे मुताबिक सही म सोला आना सही लागत हे ओकर संसो ह!!!!

रीझे यादव
टेंगनाबासा (छुरा)