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कहानी

नान्हे कहिनी – फुग्गा

लच्छू अपन नानकुन बेटी मधु ला धरके मड़ई देखायबर लाय हे।लच्छू के जिनगी गरीबी मा कटत हे। खायबर तो सरकार हा चाउँर दे देथय।फेर गाँव मा काम बूता हाथ मा नइ रहे ले एकक पइसा बर तरसत रहिथे।
आज गाँव के मड़ई हे।एसो बहुतेच भीड़ हवय। काबर कि एसो मड़ई के दिन सरकारी छुट्टी घलो पड़गे हवय। गाँव के जतका सरकारी नौकरी करइया मन सहर मा रहिथे सबो मन परिवार संग मड़ई मानेबर आय हवय। गाँव के मड़ई मा बेटी दमाद ,समधी सजन सबो मन आय हे।
माता देवाला अउ खइरखा डांड़ के बीच मइदान मा मड़ई भराय हे। किसम किसम के दुकान सजे हे , मिठाई ,होटल, मनिहारी सबो हे।शहर मा रहइया बैंक बाबू गोपी अपन मास्टरीन गोसाइन अउ बेटी नीतू संग मड़ई देखे आय हवय।लच्छू अउ गोपी नानपन के संगवारी आय। दूनो के भेंट मड़ई मा होगे। नीतू के हाथ मा टेडीबियर, पुतरी अउ फुग्गा देख के मधु रोय लगिस।लच्छू अपन बेटी ला कइसे बताय कि ओकर करा फुग्गा लेयबर बीस रुपया घलाव नइ हे।
ओकर रोवाई ला देख के गोपी के गोसाइन हा एक ठन फुग्गा लान के मधु ला दे दिस। फुग्गा ला धर के अइसे मया करिस जइसे बिलई हा अपन पिला ला चाबे रहिथे। दूनो के लइका के पहिरावा, सिंगार, गोठबात मा भारी अंतर हे।बाजा ला सुनके मड़ई अउ देवधामी ला देखेबर लगिन।मधु अउ नीतू अपन अपन फुग्गा ला धरके खुश हवय।
एक डेढ़ घंटा मा घर लहुटे के बेरा होगे।गोपी के घर दूसर पारा मा हवय। लच्छू के घर ला नहाक के जाथे। घर जाय के बेरा मा दूनो फेर मिलगे। रेंगत रेंगत दुख सुख ,खेती किसानी , नानपन ,गाँव के गोठ करत जावत हवय। लइका मन के फुग्गा अभी ले उपर मा दिखत हे।लच्छू के खपरा छानी वाला माटी के घर आगे।घर मा बइठ के जाय के निवेदन ला मना नइ कर पाइस।
दस मिनट बइठे पाछू घर ले निकलत खानी नीतू के फुग्गा हा काँड़ मा कोचका गे अउ उही करा फूट गे। नीतू किकिया के रोय लागिस।मोला फुग्गा चाही, मोला फुग्गा …….।अब फेर कहाँ ले फुग्गा लेय बर मड़ई ठउर मा कोन जावय।एती नीतू के रोवाई कमती नइ होत रहय।मधु अपन फुग्गा ला धरे कपाट के ओधा ले झाँकत नीतू के रोवाई ला देखत रहय।लच्छू कोन जनी मधु के कान मा काय कहिस कि मधु अपन फुग्गा ला लान के नीतू ला धरा दीस अउ दँउड़ के खोली मा खुसर गे।गोपी अउ ओकर गोसाइन ओ गरीबिन मधु के त्याग ला देख अचंभित रहिगे।अपन नोनी ला धरके घर कोती चल दीन।

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा,जिला-गरियाबंद