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गीत

छत्‍तीसगढ़ी प्रेम गीत

काबर तै मारे नयना बान,
गोरी तै मारे नयना बान।
जीव ह मोर धक ले करथे,
नई बाचे अब परान।
काबर तै मारे………..
अँतस के भीतरी म,
आके जमाये डेरा।
अब्बड़ तोर सुरता आथे,
दीन रात सबो बेरा।
नई देखव तोला त जोहि,
तरस जथे मोर चोला।
काबर तै मारे नयना……
आजा मोर संगवारी ,
सुग्घर जिनगी बिताबो।
मया पिरित के कुरिया,
संगी मिल दोनों बनाबो।
पाव के तोर पैइरी ल,
छुनुर छुनुर बजाके।
काबर तै मारे………

युवराज वर्मा बरगड़िया
साजा
9131340315