Categories
कविता

पावन धरती राजिम ला जोहार

पैरी सोढ़ू के धार, महानदी के फुहार
पावन धरती राजिम ला बारंबार जोहार
माघी पुन्नी के मेला भरागे
किसम किसम के मनखे सकलागे
दुख पीरा सबके बिसरागे
अउ आगे जीवन मा उजियार
पावन धरती राजिम ला बारंबार जोहार।

तीन नदी के संगम हे
जिहां बिराजे कुलेश्वर नाथ
हमर राज के हे परयाग
जागत राहय राजीवलोचन नाम
धन धन भाग छत्तीसगढ़ के
बाढ़त राहय एखर परताप
पावन धरती राजिम ला बारंबार जोहार।

पुन्नी पुनवास के मउसम आगे
हमर परयाग मा मेला भरागे
नवा सुरूज के दरसन पाके
जाड़ शीत हा घलो भगागे
चारो मुड़ा मा फूल फुले हे
अउ आगे बसंत बहार
पावन धरती राजिम ला बारंबार जोहार।

अमित कुमार
गाड़ाघाट, पाण्डुका-राजिम