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कविता

राजिम नगरी

पबरित हावे राजिम नगरी,
पदमावती कहाये!
बीच नदिया मा कुलेश्वर बइठे,
तोरे महीमा गाये!!

महानदी अउ पइरी सोंढ़हू,
कल-कल धारा बोहाय!
तीनो नदिया के मिलन होगे,
तिरवेनी संगम कहाय!!

ब्रम्हा बिष्णु अउ सिव संकर,
सरग उपर ले सिस नवाये!
बेलाही घाट म लोमश रिसि,
सुग्घर धुनी रमाय!!

राजिव लोचन तोर कोरा म बइठे,
सुग्घर रूप सजाय!
राजिम के दुलौरिन करमा दाई,
तोर कोरा मा माँथ नवाय!!

राम लखन अउ सीया जानकी,
तोर दरस करे बर आय!
वीर सपुत बजरंगबली,
तोरे चँवर डोलाय!!

तोरे चरण म कलम धरके,
गोकुल महिमा बखाने!
आसिस देदे तैंहर मोला,
सुग्घर तोला गोहराय!!

पबरित हावे राजिम नगरी,
पदमावती कहाये!
बीच नदिया मा कुलेश्वर बइठे,
तोरे महीमा गाये!!

गोकुल राम साहू
धुरसा-राजिम(घटारानी)
जिला,-गरियाबंद(छत्तीसगढ़)
मों.9009047156