सबद ढाबा : छत्तीसगढ़ी शब्दकोश (छत्तीसगढ़ी : हिन्दी)

हमने ‘यूजर प्रैंडली’ सुलभ वृहद्

Online Chhattisgarh Hindi Dictionary छत्‍तीसगढ़ी-हिन्‍दी शब्‍दकोश

पृथक सबडोमेन में पब्लिश कर दिया है। आप इस कड़ी से छत्तीसगढ़ी-हिन्‍दी शब्दकोश का अवलोकन कर सकते हैं।


वर्तमान में हमने अपने स्‍वयं के श्रम एवं लागत से लगभग बीस हजार छत्‍तीसगढ़ी शब्‍दों का शब्‍दकोश अपलोड है। आपके सुझाव एवं सहयोग की अपेक्षा के साथ।
– संपादक


  • प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कहावतें
    छत्तीसगढ़ी कहावतें (हाना / लोकोक्तियाँ) :- कहावत का शाब्दिक अर्थ है ‘लोक की उक्ति’। इस अर्थ से कहावत का क्षेत्र व्यापक हो जाता है, जिसे हिन्दी साहित्य कोश में इस प्रकार व्यक्त किया गया है “लोकोक्ति में कहावतें सम्मिलित हैं, लोकोक्ति की सीमा में पहेलियाँ भी आ जाती हैं।’ परन्तु आज ‘लोकोक्ति’ शब्द ‘कहावत’ या प्रोवर्ष ...
  • प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – मुहावरे
    छत्तीसगढ़ी मुहावरे एवं कहावतें idioms and phrase – छत्तीसगढ़ी में ‘मुहावरा’ को ‘मुखरहा’ और ‘कहावत’ या ‘लोकोक्ति’ को ‘हाना’ कहते हैं। वार्तालाप में वक्ता द्वारा अपनी प्रस्तुति को अधिक प्रभावी बनाने के लिए मुखरहा और हाना का बखूबी प्रयोग किया जाता है। बहुप्रचलित मुखरहा और हाना निम्नानुसार हैं – छत्तीसगढ़ी मुहावरे (मुखरहा) – ‘मुहावरा’ ऐसी पद-रचना है, ...
  • प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – विभक्तियाँ
    छत्तीसगढी की विभक्तियाँ :- छत्तीसगढ़ी में विभक्तियों के लिए निम्न प्रकार शब्द प्रयुक्त होते हैं – मैं हर (मैं ने) हमन (हम ने ) ओहर (उसने) ओमन (उन्होंने /उन लोगों ने) मोला (मुझे / मुझ को) हमन ला (हमें / हम लोगों को) तोला (तुम्हें / तुम को) तुमन ला (आप लोगों को) ओला (उसे / उसको) ओमन ला (उन्हें / उन लोगों को) मोर ले (मुझ ...
  • प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – अव्यय
    छत्तीसगढ़ी के अव्यय – समुच्चय बोधक अव्यय – संयोजक – अउ, अउर मैं अउ तैं एके संग रहिबोन। वियोजक – कि, ते रामू जाहि कि तैं जाबे। विरोधदर्शक = फेर, लेकिन संग म लेग जा फेर देखे रहिबे। परिणतिवाचक = तो, ते, ते पाय के, धन बुधारू बकिस ते पाय के झगरा होगे। दिन-रात कमइस तभे तो पइसा सकेल पइस अउ अपन बेटी के बिहाव ...
  • प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – सर्वनाम
    छत्तीसगढ़ी के सर्वनाम Chhattisgarhi pronouns मैं / मैं हर (मैं) – मैं रहपुर जावत रहेंव। हमन (हम) – हमन काली डोंगरी जाबो । तैं / लूँ /तें हर (तुम) – तैं काय कहत रहे ? तुमन(आप लोग) – तुमह तभे बनही। ओ / ओहर (वह) – ओर सुते हे। ओमन (वे) – ओमन नई मानिन। ए/एहर (यह) – एहर बिहनिया रोवत हे। एमन ...
  • प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – आस्था, अंधविश्वास, बीमारियाँ
    आस्था -देवी-देवता के नाम -सांहड़ा देवता, काली माई, चंड़ीदेबी, शीतला माता, देबीदाई, देंवता, मंदिर, भगवान, गणेश, महादेव, पारबती, राम, छिता, लछिमन, बजरंगबली, हनमान, बिसनू, लछमी, सरसती माई, महामाया, बमलेसरी, कंकालीन, बूढिमाता, भैंरो बाबा, सवरीन दाई, ठाकुर देवता, संतोषी दाई, बजारी माता, बामहन देवता, पंडित, पुजारी। सामग्री – उँवारा, जोत, नरियर, परसाद, फूल-पान, हूम-जग, चढोतरी, सेंग, बईगा, ...
  • प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – तीज-त्योहार और उपकरण
    तीज-त्योहार – हरेली, खम्हरछठ (हलषष्ठी), गणेश चतुर्थी, आठे कन्हैया, राखी, अक्षयतृतीया, तीजा-पोरा, पीतर, दसेरा, सुरूत्ती, देवारी, गोबरधनपूजा, छेरछेरा /माघीपुन्नी, होरी, गौरा-गौरी, अक्ती (पुतरी-पुतरा के तिहार), गुरबारी, होली, जेठउनी, जुमतिया, नागपंचमी। उपकरण – उपकरण के अंतर्गत घरेलू उपकरण, कृषि संबधी उपकरण, काम करने के औजार, सुरक्षा संबंधी हथियार आदि को अध्ययन की दृष्टि से अलग-अलग वर्गों में बाँटा जा सकता है। घरेलू ...
  • प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – क्रिया
    क्रिया – रंधई, खवई, पियइ, सुतइ, नचइ, कूदइ, खेलइ, इतरइ, हसड्, रोवइ, संगदेवइ, अवई-जवईइ, देख, किंजरइ, बनि-भुति करइ, कमई, लरइ-झगरा करइ, बकई, हनई, देवइ, बहरइ। क्रिया शब्दों को अंत में ना उपसर्ग लगाकर भी लिखा जाता है यथा – खाना मुसकाना धोना मया करना हदरना बतराना बहकना जड़ाना बहना खेलना बड़बड़ाना भगाना भागना बजाना लड़बडाना गोठियाना गाना बसना रेंगना लहराना फसाना समझाना हंकराना ...
  • प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – गाली, वर्जनाएँ
    गाली – रोगहा, कोढि़या, बन्चक, रांड़ी, रण्ड़ी, भोसड़ामारी, चोदरी, बेसिया, चरकट, किसबीन, चंडालीन, बकरचोद, रांड़ी, भौजी, किसबीन, भडुवा, लफंगा, हरामी, सारा, चुतिया, चुच्चा, बेसरम, चंडाल, दोगला, लबरा, जुठहा, जुठही, रोगहा, किसबा, कनचोदवा, मादरचोद,  चोट्टा, चोदू, चोदूनंदन, भोसडीवाला, टोनही, टोनहा, कुरगहा, जलनकुकडा, टेटरही, रेंदहा, हेक्कड, पाजी, हिजडा, नलायक, दत्तला, घोंघी, करबोंगी, भकचोदवा, करबोकवा, करलुठी, करजिभि, पेटली, ...
  • प्रयोजनमूलक छत्तीसगढ़ी की शब्दावली – कृषि संबंधी प्रक्रियाएँ
    छत्तीसगढ़ी में कृषि संबंधी प्रक्रियाएँ, जैसे – खातू पलई, खेत जोतई, बोनी, पलोई, बियासी, निंदई-कोड़ई, रोपा, रोपई, दवई डरई, लुवई, डोरी बरई, करपा गंजई, बीड़ा बंधई, भारा बंधई, खरही गंजई, पैर डरई, मिंजई, खोवई, ओसई, नपई, धरई, कोठी छबई, बियारा छोलई, लिपई, बहरई, बसूला/राँपा / बिन्हा/टंगिया/हँसिया टेवई, बेंठ धरई, कलारी चलई, पैर खोवई, पैरावट लहुटई, पैर ...

वृहद आनलाईन छत्‍तीसगढ़ी-हिन्‍दी शब्‍दकोश की कड़ी-
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पहिली परकासित शब्दकोश मन के सहारा ले अउ कुछ हमर सोंच ले हम इंहा छत्तीसगढ़ी शब्द मन के हिन्दी अरथ देहे के सरलग उदीम करत हावंन, आपों मन ले बिनती हावय के शबद के सही अरथ बर हमला बतावव, अपन टिप्पनी खच्चित देवव.

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अब तक के प्रकाशित प्रमुख छत्तीसगढ़ी शब्दकोश :- हीरालाल काव्योपाध्याय – छत्तीसगढ़ी भाषा का व्याकरण में छत्‍तीसगढ़ी शब्‍द सं‍ग्रह, जार्ज ग्रियर्सन/रायबहादुर हीरालाल/पं. लोचन प्रसाद पाण्‍डेय – छत्तीसगढ़ी भाषा का व्याकरण में छत्‍तीसगढ़ी शब्‍द संग्रह, डॉ.भाल चंद्र राव तैलंग – छत्तीसगढ़ी का वैज्ञानिक अध्ययन में छत्‍तीसगढ़ी शब्‍द, डॉ. कांतिकुमार का व्याकरण और कोश में छत्‍तीसगढ़ी शब्‍द, डॉ. शंकर शेष का छत्तीसगढ़ का भाषाशास्त्रीय अध्ययन में छत्‍तीसगढ़ी शब्‍द, डॉ.मन्नूलाल यदु का छत्तीसगढ़ी लोकोक्तियों का भाषावैज्ञानिक अध्ययन में छत्‍तीसगढ़ी शब्‍द, डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा का छत्तीसगढ़ी भाषा का उदविकास में छत्‍तीसगढ़ी शब्‍द, भागवत प्रसाद साहू का सवरिया बोली पर शोध में छत्‍तीसगढ़ी शब्‍द संग्रह प्रकाशित हुए हैं. छत्‍तीसगढ़ी के शब्‍दकोशों में डॉ. रमेश चंद्र मेहरोत्रा – छत्तीसगढ़ी शब्दकोश, डॉ.पालेश्वर शर्मा – छत्तीसगढ़ी हिन्दी शब्दकोश (लगभग 10000 शब्द), डॉ.सोमनाथ यादव – छत्तीसगढ़ी शब्दकोश, माता प्रसाद भट्ट – ‘शब्द संकलन’ (लगभग 2000 शब्द), मंगत रवीन्द्र – छत्तीसगढ़ी व्याकरण में शब्द ढाबा (लगभग 7000 शब्द), चंद्रकुमार चंद्राकर – छत्तीसगढ़ी शब्दकोश (लगभग 27,261 शब्द), महावीर अग्रवाल – ‘छत्तीसगढ़ी कैसे सीखें’ में शब्द संकलन (हिन्दी से छत्तीसगढ़ी), राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद – छत्तीसगढ़ी शब्दकोश इसके अतिरिक्‍त ज्ञात हुआ है कि नन्दकिशोर शुक्ल, डॉ.गणेश खरे, डॉ.प्रेमनारायण दुबे, डॉ.चित्तरंजन कर, डॉ.विनय कुमार पाठक, डॉ. सुधीर शर्मा, हरि ठाकुर, भागवत प्रसाद साहू, रामानुज शर्मा, डॉ.राजेन्द्र सोनी, समयदास अविनाशी, नजीर कुरैशी एवं डॉ.व्यासनारायण दुबे.

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