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छत्‍तीसगढ़ी व्‍यंग्‍य संग्रह तुंहर जंउहर होवय के होईस विमोचन

युवा व्यंग्यकार धर्मेन्द्र निर्मल के छत्तीसगढ़ी व्यंग्य संग्रह के विमोचन 11 दिसंबर, 2016 इतवार के दिन आई एम ए भवन दुर्ग में होइस। दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति, दुर्ग अउ निराला साहित्य समिति, थान-खम्हरिया के ये संघरा आयोजन रहिस जेमा दुर्ग अउ थान-खम्हरिया के साहित्यकार सकलाये रहिन। विमोचन के पाछू रचनाकार धर्मेन्द्र निर्मल ह कहिन के ये किताब के शीर्षक छत्तीसगढ़ी के अईसे गारी आय जउन ल महिला सियान मन मया म अपन नाती-नतुरा ल देथें। ये गारी देके उमन लईका मन ल सही रद्दा रेंगे के सीख देथें। कार्यक्रम के माई पहुना व्यंग्यकार विनोद साव ह एला परखर करत कहिन के जउंहर शब्द, जौहर ले बने हे जेकर मतलब महिला मन के आगी म कूद के जान दे देना हे। ये अकेल्ला गारी म महिला अउ ओकर पति दूनो के मरे के भड़ौनी हे। छत्तीसगढ़ म ये तरा के कई ठन गारी के चलन हे जइसे तुंहर मुर्दा निकले, आगी लगय, तोला गाड़व आदि अउ ये गारी क्रोध म अउ प्रेम म घलव देहे जाथे। ये किताब के शीर्षक के सन्दर्भ म ये ह मौत के बद्दुआ नो हे भलुक सीखे के कोंचन ये। उमन विस्तार ले किताब के बारे म चर्चा करत धमेंन्‍द्र के व्यंग्य मन म प्रयोग करे गए भाषा, शिल्प अउ प्रतीक के बारे म बताइन।

कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रसिद्द व्यंग्यकार रवि श्रीवास्तव ह छत्तीसगढ़ के जम्मो व्यंग्यकार मन के उल्लेख करत बताईन के छत्तीसगढ़ व्‍यंग्‍य के मामला मां हमेशा माई मूड़ रहे हे। उमन “तुंहर जंउहर होवय” म संघराये व्‍यंग्‍य मन उपर गोठ करत कहिन के येमा कई व्‍यंग्‍य मन म भाषा के दुहराव हे तेखर ले लेखक ल बचना चाहिए। उमन लेखक के भाषा प्रवीणता, छत्‍तीसगढ़ी हाना-भांजरा के अद्भुत प्रयोग के उदाहरण ल पढ़ के घलव बताईन। छत्तीसगढ़ के लोक भाषा मा व्‍यंग्‍य लिखे बर उमन धमेन्‍द्र ल बधाई दीन। विशेष अतिथि राजकमल राजपूत, निराला साहित्य समिति थान खम्हरिया के अध्यक्ष ह अपन उद्बोधन म किताब के संबंध म उदाहरण देवत धमेन्‍द्र ल बधाई दीन।

ये कार्यक्रम म गुरतुर गोठ के संपादक संजीव तिवारी ह व्‍यंग्‍य संग्रह के ये किताब ल छत्‍तीसगढ़ी के श्रेष्‍ठ व्‍यंग्‍य बतावत कहिन के छत्‍तीसगढ़ी के तथाकथित व्‍यंग्‍यकार मन ल हिन्‍दी के व्‍यंग्‍य मन ल पढ़ना चाहिए ओकर पाछू व्‍यंग्‍य लिखे के सोंचना चाहिए। बिना व्‍यंग्‍य के तासीर ल जाने मसखरी ल व्‍यंग्‍य नई समझना चाहिए। उमन घमेन्‍द्र निर्मल के ये संग्रह के बतरस शैली के आख्‍यानिक आलेख मन के उदाहरण तको दीन जउन ह व्‍यंग्‍य के श्रेणी म रखे नई जा सकय। दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति अध्यक्ष डॉ.संजय दानी ह घलव पुस्‍तक के संबंध म बताईन के उमन स्‍वयं व्‍यंग्‍य के प्रयोग छत्‍तीसगढ़ी कविता मन म करथें अउ व्‍यंग्‍य के तार ल अच्‍छा तरीका ले जानथें। कार्यक्रम म प्रसिद्ध व्‍यंगकार विनोद शंकर शुक्‍ल अउ पं. दानेश्‍वर शर्मा के धर्मपत्‍नी श्रीमती शीला शर्मा ल ज्ञद्धांजली देहे गईस। आभार प्रदर्शन आर.सी.मुदलियार ह करिन, संचालन छंदविद अउ संस्थापक साहित्य छत्तीसगढ़ी मंच के भाई रमेश कुमार सिंह चौहान ह करिन।

कार्यक्रम म प्रसिद्द सामयिक पत्रिका ‘छत्तीसगढ़ आसपास’ के 106 वां अंक के विमोचन घलव होईस। ये कार्यक्रम म विदुषी शकुन्तला शर्मा, प्रदीप वर्मा, गीतकार डॉ.नरेन्‍द्र देवांगन, छंदविद अरुण निगम, सूर्यकांत गुप्ता, गिरिराज भंडारी, गिरधारी देवांगन, सुशील यादव, संदीप साहू, सुनिल शर्मा ‘नील’ आदि उपस्थित रहिन।