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गोठ बात

चाइना माडल होवत देवारी तिहार

हमर छत्तीसगढ़ मा सबो देबी देवता मन ल मान गउन मिलथे।एकरे सेती नानम परकार के तिहार हमन बारो महिना मनाथन।सुवागत से लेके बिदई तक, खुसी, देबी देवता के जनम, बिहाव,खेती किसानी के तिहार मनाथन।अइसने पांच दिन के तिहार आय देवारी जौन ल दीपावली कहिथे।एला कातिक महिना मा मनातन।ये तिहार मा जनम देवइया , पालन पोसन करइया अउ मरइया यम के घलो पूजा करथन। धन तेरस के दिन ले सुरु तिहार मा धनवन्तरी भगवान जौन अमृत बरोबर दवई बुटई देय हावय ओकर पूजा करथन।दूसर दिन यम देवता के पूजा करे जाथे। तीसर दिन धन के देबी माता लछ्मी के पूजा करथन संग मा अउ सबो देबी देवता ल बलाथन अउ पूजा करथन।पाछू ईसर देव अउ गउरी के बिहाव संग बरतिया निकलथे। चंउथा दिन किसन भगवान , गोबर्धन भगवान के संग गउ माता के पूजा करथन। पांचवा दिन राजा बलि अउ लछमी के भाई-बहिनी के पबरित नत्ता के पूजा होथय।

छत्तीसगढ़ तो कौसिल्या के मइके अउ राम के ममा गांव आय, एकरे सेती देवारी तिहार ल इहां जादा उछाह ले मनाथे।अइसे देवारी तिहार ल सबो जात मन मनाथे। गरीब अउ बड़हर सन्गे हो जाथे।चरवाहा अउ ठाकुर दूनो एक जगा सकलाथे।राउत निकाले बर ठाकुर मन जाथे पाछू राउत मन ठाकुर जोहारेबर जाथे। छोटे बड़े के नत्ता मेटा जाथे। राउत के हाथ ले ठाकुर अपन माईकोठी मा हाथा देवाथे।सब दिन राउत ह ठाकुर के आसीस पाथे फेर देवारी के दिन ठाकुर ल असीस देथे।छत्तीसगढ़िया मन देवारी मा साफ सफईके संग नवा दिया चुकी करसा, कपड़ा लत्ता, फटाका अउ खवई पियइ इही मन परमुख खरचा करथे।




फेर आज हमर छत्तीसगढ़ के तीज तिहार ह चाइना माडल हो गे हावय। घर ल पोताय बर रंग बिरंग के चूना, पालिस, चूना मा मिला के लिपे के रंग सब चाइना होगे।घर ल सजाय बर नानम परकार के बिजली के बुगबुगी बलब, रंगोली, दिया , मोमबत्ती यहू चाइना माडल हो गे। बाती बरे, तेल डारे के झंझट ले मुक्ति।कपड़ा लत्ता तो फैंसी नाम के माडल मा चलत हे,ओहा जापान, रुस , चाइना कहां के आय नइ आकब होय।पूजापाठ के जिनीस पाकिट या मिलत हे, कब के बसियाहा, किरापरे वाला रथे वहू ल नइ जानन।दिया चुकी से लेके, जुगुल बुगुर बरत बिजली सबो चाइना माडल हे। देवारी तिहार बिन फटाका के गोठ पूरा नइ होय। फटाका के बेपारी मन पूरा बजार ल चाइना फटाका बजार मा बदल देथे।एकर परभाव काय परथे एला आप सब जानत हव।

अइसे तो छत्तीसगढ़ के चीन के संग जुन्ना नत्ता हे। बेपारी मन इहां के जिनीस ल चीन मा बेचय।छत्तीसगढ़ के कला संस्कृति के सोर चीन तक मा होवय।हमर इतिहासकार मन लिखथे जब व्हेनसांग भारत आइस तब 618 ई. मा छत्तीसगढ़ के सिरपुर मा बनेच दिन ले रुके रहिस।आज घलो सिरपुर मा ओकर चिन्हा हावय।मैन पाट में चीनी संस्कृति के परछो(झलक) देखे जा सकत हे।फेर चीनी संस्कृति परभाव इहां के संस्कृति मा नइ परिस।

देवारी तिहार मा नवा जिनिस बिसाय के गजबेच महत्तम हे। नवा बरतन,गाड़ी मोटर अउ सोन, चादी घलाव लेथे।फेर जतका गहना गुरिया लेथे वहू ह फैंसी रथे।अब तो सोनार मन रसाय के बुता भर करथे। बजार मा जम्मो सिंगार समान टिकली,नखपालिस से लेके जतका जिनीस मिलथे सब चाइना माडल के रथे। गरीबीन, नउकरिहीन, बड़हर सबो चाइना जिनिस मा सजे के उदिम करत हे।ए सब वैस्विक ग्लोबलाइजेसन, बिस्व बेपार, अंतर्राष्ट्रीय बेपार नीति , गेट समझौता नांव के घानी मा पेरत हे। आज प्रांत अउ देस के अर्थबेवस्था ह चकरी असन घूम के फूस होगे हावय। बेरोजगारी अउ गरीबी हमागे हावय।कुटीर उद्योग नास होगे हावय।

अब तो हमर छत्तीसगढ़ सरकार घलो चीन के हेमान प्रांत के संग हाथ मिलाके 6600 करोड़ के पूंजी निवेस करावत हे।मेक इन छत्तीसगढ़ मा हजारो झन ल नउकरी मिलही कहात हे।फेर जब सोन चिरइया भारत के किसान, कुम्हार, तुरकिन, लोहार , कंडरा, कोस्टा के कुटीर बुता मा आगी धरा के चुरचुटिया फटाका असन भुंज के बुता दिन अउ चाइना फटाका मन गंधक के फटाका ला बारुद मा भर दिन अउ परदूसन बगरादिन तब हमर सरकार ह आंखी मुंद ले हावय। अर्थसास्तरी मन जानथे पूंजी निवेस करइया ल बियाज संग ओकर पूंजी ल लहुटाय बर परथे जेमा अड़बड़ अकन धन चल देथे।अउ करजा लदा जाथे।

तब छत्तीसगढ़िया मन कब तक अपन तिहार ल चाइना के हाथ मा गिरवी रखबो।एकरे सेती हमला भोला अउ परबुधिया कहिथे।गांधीजी ह एक बात कहे हे-
“भारत के कल्याण ओखर कुटीर उद्योग मा निहीत हे”

हीरालाल गुरुजी “समय”
छुरा,जिला-गरियाबंद
8720809719
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