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व्यंग्य

चुनाव आयोग म भगवान

भगवान के दरसन करके, बूता सुरू करे के इकछा म, चार झिन मनखे मन, अपन अपन भगवान के दरसन करे के सोंचिन। चारों मनखे अलग अलग जात धरम के रिहीन। भलुक चारों झिन म बिलकुलेच नी पटय फेर, जम्मो झिन म इही समानता रहय के, चाहे कन्हो अच्छा बूता होय या खराब बूता, ओला सुरू करे के पहिली, अपन देवता ला जरूर सुमिरय। बिहिनिया ले तियार होके निकलीन। मनदीर ले भगवान गायब रहय, मसजिद ले अल्लाह कती मसक दे रहय, चर्च ले ईसा गायब त, गुरूद्वारा ले गुरूजी गायब …….। बड़ सोंच म परगे एमन ……..। मोबाइल म, अपन अपन देवता ले गोठियाये बर, फोन लगाना सुरू करिन। काकरो मोबाइल बंद दिखावय, काकरो कबरेज छेत्र ले बाहिर ……। भगत मन बड़ परेसान होगे। थक हार के रेंगत रेंगत, चुनाव आयोग के दफतर के आगू म, पूजा के तियारी देखिन त, इंहींचे पूजा कर लेथन सोंचके, ठाढ़ होगिन। उहां चार झिन, मनखे कस मन, अपन धरम के हिसाब से, चुनाव आयोग के दुवारी म खड़े, कपाट हिटे के अगोरा म, पूजा पाठ के सकल समान ला धरे खड़े रहय। पहिनाव ओढ़ाव देखके, येमन चुनाव आयोग के दफतर म खुसरे लइक, नी दिखत रहय। भगवान के खोज ला भगत मन भुलागे अऊ इंकर तिर म जाके, इहां आये के कारन, पूछे लगिस।
ओमन बतइन के, हमन चुनाव आयोग के, पूजा करे बर आये हन। भगत मन अचरज म परगे। भगत मन केहे लगिन – अभू कहूं तिर चुनाव नी होवत हे, काबर फोकटे फोकट, तूमन इंकर पूजा म, अपन समे नस्ट करत हव। ओमन किथे – चुनाव घेरी बेरी होतिस कहिके, चुनाव आयोग ले बिनती करे बर, आये हाबन। भगत मन किथे – नेता कस तो नि दिखव तूमन जी ……, चुनाव म सबले जादा कमइया, बियापारी आव का जी ? ओमन किथे – बियापारी नोहन जी, हमन भगवान अन। भगत मन बड़ हसिन। भगत मन किथे – भुंइया म गोड़ मढ़हावव जी, अगास म झिन उड़ियावव, चुनाव निपट चुके हे जनता जी ……, जनता केवल चुनाव के होवत ले, भगवान होथे, चुनाव निपटे के पाछू जनता के का किम्मत ……? अरे चुनाव के पाछू तो, सऊंहत भगवान ला नी पूछय कन्हो, तुंहर कस जनता ला कोन भाव दिही ….? ओमन किथे – हमन सहींच के भगवान आवन जी …… तूमन का जानहू …..? भगत मन किथे – वोट देते साठ तुंहर भगवान गिरी, कते तिर फेंका जथे तेकर पता निये, तूमन काबर, चुनई निपट जाये के अतेक दिन पाछू घला, अपन आप ला भगवान कहिके, मजाक बनाथव जी ….?
ओमन किथे – मनखे कसम गो, हमन सहींच के भगवान आवन, तूमन ला बिसवास नी होवत होही, त जाके, अपन अपन मनदीर देवाला ला देखलव, सुन्ना परे होही …..। भगत मनला सुरता आगे सुन्ना परे पूजा घर के …..। बिसवास देवाये बर किथे – हमन काये करन तेमा, तूमन ला बिसवास होही ? भगत मन किथे – अपन रंग रूप बदल के दिखावव। ओमन किथे – हमन ला नेता समझे हव रे, जेमा खड़े खड़े रंगरूप बदल देबो। चुनाव जीते के पाछू, पांच बछर ले गायब होये कस, झम ले गायब होगिन। कुछ बेरा म फेर लहुट दिन, तब भगत मन ला, बिसवास होगिस के, येमन भगवान आय। फेर ओमन ला एक बात समझ नी आवत रिहीस के, इही मन, हमन ला एक दूसर ले लड़वाथे अऊ अपन मन, अइसे एकजुट हाबें, जइसे सनसद म अपन तनखा बढ़होत्तरी बर, पक्छ अऊ बिपक्छ एकजुट हो जथे। इहां येकर मनके, तनखा थोरेन बाढ़ही तेमा ? एक झिन भगत पूछथे – तूमन ला का बात के कमी हे भगवान, तेमा तूमन, चुनाव आयोग म बिहिनिया ले ओड़ा दे दे हव, उहां तूमन ला, खोज खोज के परेसान हे। एक झिन भगवान किथे – जइसे तूमन, हमर दरसन करके, हमर आसीरवाद मांगे बर आये हव, तइसने हमू मन चुनाव आयोग के दरसन करके, ओकर आसीरवाद ले बर, जुरियाये हन। भगत किथे – तूमन चुनाव आयोग के आसीरवाद ला काये करहू ? एक झिन भगवान किथे – सधारन मनखेमन, हमर ले, सिरीफ मांगथे, कुछु देवय निही, तूमन हमर ले जादा जानथो बाबू हो, चुनाव आयोग के किरिपा ले, कोन ला का नी मिलय …..? भगत मन किथे – सरी दुनिया के देवइया तूमन आव, चुनाव अयोग कतेक दे दिही तूमन ला, ओ खुदे दूसर के किरिपा म सुवांस लेवत हे।
देवता मन किथे – चुनाव आयोग ले हमन बिनती करे बर आये हन के, हरेक बछर म कम से कम दू ले तीन बेर चुनाव होना चाही ….? भगत मन पूछिन – चुनाव ले तूमन ला काये मिल जही तेमा ? देवता मन किथे – चुनाव आथे न, तभे हमर पूछ परख होथे जी, हमर घर कुरिया म देस के बड़का ले बड़का मनखे मन, अपन चरन रज छोंड़थे। दूसर धरम के मनखे मन घला, दूसर धरम के, भगवान संगवारी के पूजा म, लग जथे। सकती ले जादा, चढ़हावा चइघाथे। बछर भर के रासन, एके मनखे लान के मढ़हा देथे। खा खा के हमूमन चिकना जथन। भगत मन किथे – घेरी बेरी के चुनाव म, जनता तरस्त हो जही भगवान ….। देवता मन जवाब देवत किहीन – तुहीमन कहिथव के, चुनाव के समे, जनता ला हमरे कस जनार्दन कहिथे, त असन म, जनता ला तो, घेरी बेरी के चुनाव म, का नकसान …….।
गोठ बात के होवत ले, चुनाव आयोग के कपाट खुलगे। चुनाव आयोग हा, देवता मन ले मिले से अऊ ऊंकर पूजा ला सवीकर करे ले, सफ्फा इनकार कर दीस अऊ कारन बतावत किहीस के, हमन सिरीफ पनजीकिरीत पारटी ले मिलथन अऊ उंकरे पूजा सवीकारथन ………। देवता मन के, मोटाये के सपना टूटगे। भगवान होके, छकत ले खाये बर, अवइया चुनाव के अगोरा करत, अपन अपन मनदीर देवाला म, फोकट म आसीरबाद बांटे बर, वापिस खुसरगे बपरा मन …..।

हरिशंकर गजानंद देवांगन
छुरा .