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व्यंग्य

अवइया चुनाव के नावा घोसना पत्र

जबले अवइया चुनाव के सुगबुगाहट होय हे तबले, राजनीतिक पारटी के करनधार मनके मन म उबुक चुबुक माते हे। घोसना पत्र हा चुनाव जिताथे, इही बात हा , सबो के मन म बइठगे रहय। चुनाव जीते बर जुन्ना घोसना पत्र सायदे कभू काम आथे तेला, जम्मो जानत रहय। तेकर सेती, नावा घोसना पत्र कइसे बनाय जाय तेकर बर, भारी मनथन चलत रहय।
एक ठिन राजनीतिक दल के परमुख हा किथे – हमर करजा माफी के छत्तीसगढ़िया माडल सबले बने हाबे, उही ला पूरा देस म लागू कर देथन, अपने अपन हमर पक्छ म वोट गिर जही। ओमन अपन घोसना पत्र म, करजा माफी ला परमुखता ले सामिल करिन।
दूसर राजनीतिक दल सोंचत रहय के, करजा माफी के काय काट हे। बिचार बिमर्स म रद्दा मिलगे। येमन तै करीन के करजा माफी तो करबेच करबो ओकर बाद जतका झिन करजा ले रइहि तेला करजा के अनुसार बोनस देबो। जे जतका जादा करजा ले रहि अऊ नी पटाही तेला ओतके जादा बोनस देबो।
तीसर हा गठबनधन वाला पारटी आय यहू मन सत्ता म आये बर कुलबुलावत छटपटावत रहय। येमन दुनों के करजा माफी यंत्र के खूब मनन अध्धयन करीन अऊ तै करीन के येकरो ले आगू जाना हे। ये मन तै करीन के सत्ता म आके हरेक मनखे ला मुफत म करजा देबो। जेला करजा नी चाही तहू ला करजा बोहाबो। फेर कोई ला करजा पटाये के कोई आवसकता निये। बलकी अवइया पांच बछर के भितर सासन खुद पूरा करजा ला पटाके जम्मो ला करजा मुक्त कर के जाही – अइसे घोसना पत्र म लिखना सुरू कर दिन।
इहां कतको बन बांदुर कस राजनीतिक पारटी जामे रहय। ओमा के कुछ मन कछेरी म घोसना पत्र जमा करत लिखे रहय के, एक बेर हमनला जितावव, न जनता ला काम करे लागे न बूता, सरकार हा जनता ला पांच बछर बइठे बइठे खवाही। जनता के खेत म धान सरकार उपजाही, ओकर बर सरकारी करमचारी नियुक्त करबो। पानी सरकार पलोही। फसल सरकार काटही अऊ बेंच के ओकर पइसा ला जनता के खाता म सरकार जमा करही। अऊ तो अऊ येकरो उप्पर बोनस देबो। जनता ला अपन अपन घर म दार भात झिन रांधे लागय तेकर बर बेवस्था सरकार करही अऊ ओकरो बर सरकारी करमचारी लगाही। अदालत म सपथ पत्र जमा करत बतावत रहय के येकर ले करोड़ो बेरोजगार मनला नौकरी मिल जही।
सिरीफ करजा माफी करइया पहिली पारटी ला, अइसन लुभावन घोसना पत्र बनत हे कहिके, भनक लगगे त, ओमन सोंच म परगे के, अइसन म कोन हमन ला कोन वोट दिही, तब ओमन अपन घोसना पत्र ला रिवाइस अऊ माडीफ़ाइड करिन। येमन अपन घोसना पत्र म लिखीन – हमन जनता ला मुफत म सिरीफ खवावन निही बलकी ऊंकर कुला घला धोबो। जनता के बिसतर घला हमर करमचारी बिछाही, घरों घर बरतन मांजही, कपड़ा घला धोही।
करजा माफी के उप्पर बोनस देवइया दूसर पारटी ला अइसन घोसना पत्र के पता चलगे त, ओमन घला अपन पारटी के बइसका बला डरिन अऊ वहू मन अपन घोसना पत्र म अमेंडमेंट करे लगिन। ओमन लिखिन – सिरीफ करजा लेवइया ला निही बलकी, जे जतका जादा सरकारी खजाना के मुफत माल के उपयोग करही अऊ जेकर उपर जतका अधिक सरकारी खरचा होही, ओमन ला ओकर हिसाब से ओतके जादा बोनस देबो।
तीसर गठबंधन पारटी वाले मनला कहां चूकना हे, ओमन तो सुंघियात रहय। यहू मन अपन घोसना पत्र के पुनरनिरमान म जुटगे अऊ यहू मन तै करके घोसना पत्र म लिख दिन के, हमर सरकार बनतेच साठ, कहूं ला करजा मांगे के कोई आवसकता निये। अपने अपन ऊंकर खाता म, उंकर जरूरत ले डबल करजा जमा हो जही अऊ जतका बेर जौन आही अऊ करजा के जतका पइसा के आवसकता महसूसही ओतके बेर, रिजर्व बैंक के कपाट खोल के ओकर पूरती कर दे जाही, रिजर्व बेंक तिर नी रइहि त ओतके बेर नोट छाप के दिही।
खरपतवार पारटी मन कहूं चुप रइहि गा। ओमन लिखीन – येमन जम्मो झिन लबारी मारत हे। अतेक के करत ले येकर मनके लीदी निकल जही। येमन अतेक घोसना ला पूरा करे बर पइसा कतिहां ले लानही। जबकी हमर तिर उपाय हे। हमन पइसा के जुगाड़ करे के जुगत जमा डरे हन‌। जतका बेर जेन ला पइसा चाही, रिजर्व बेंक तिर नी रइहि त ओहा ओतके बेर छाप के थोरहे दिही, ओला छापत ले टाइमेच लागही। पइसा अगोरत ले, बपरी जनता के समे खराब होही। तेकर सेती हरेक जिला मुखियालय म, पइसा छापे के मसीन लगाके पइसा बितरन के बेवस्था करबोन।
पहिली पारटी के घोसना पत्र हा थोकिन कमजोर परगे। ओमन फेर सकलागे अऊ जनता ला अपन घोसना पत्र म नावा लइन जोड़ के बतइन के, जनता ला करजा बर या नोट बर बेंक जाये के या छापखाना जाये के आवसकता निये। सरकार के करमचारी मन ऊंकर घर के दुवारी म पइसा धर के खड़े रहि। जतका बेर जनता चाहही, ओतके बेर ओकर हाथ म पइसा, घर के दुवारी म हाजिर मिलही ……।
दूसर पारटी वाले मन सोंचिन – अइसन म हमन हार जबो। कुछ उपाय करे जाय। ओमन जनता ला बता नी सकत रहंय के पइसा कतिहां ले आही। बिदेस म जमा करिया धन लानत लानत बुढ़हागे रहय, अभू ओकर का आस। तभे एक बिचार अइस – हरेक घर पिछू नोट छापे के मसीन दे के घोसना कर दिन, जेमा ओमन जतका बेर चाहय, घरे भितरी म पइसा के बेवस्था हो जही, घर के मुहाटी तक जाये के आवसकता घला झिन परय। ओमन जनता ला बतावत रहय के, सरकारी करमचारी के काये भरोसा ……। ओला पइसा धरा के दुवारी म खड़ा करइया मन जानत हे के सरकारी करमचारी हा बात बात म कमीसन मांगथे, ओमन तुंहर पइसा म, अपन हिस्सा अऊ प्राफिट खोजत हे। अपोसिट पारटी के जोजना ला फेल होये के भविसबानी करत, अपन तरकीब ला सिरतोन के अऊ बहुतेच बिसवासपात्र बतइन।
तीसर पक्छ के मन मुड़ी धरके बइठे रहय। ओमन येकर काट सोंचत रहय। ओमन जनता तिर प्रचारित अऊ परसारित करिन के, दुनों झिन लबारी मारत हे। येमन कुछ नी करय। फेर हम करके देखा देबो अऊ ओकरो ले बढ़िया करके देखाबो। ओमन अपन घोसना पत्र ला जारी करे के पहिली आखिरी लइन जोड़िन के, हमर सरकार बने के चौबीस घंटा के भीतर, घर पाछू निही बलकी हरेक मनखे पाछू पइसा छापे के मसीन वितरित हो जही अऊ ओमा न जी एस टी के झनझट, न अधार ले लिंक के झनझट। तुरते पइदा होवइया ला तको, पइदा होतेच साठ पइसा छापे के मसीन मिल जही।
घोसना पत्र के प्रति जनता के अतेक लालच अऊ परभाव ला देखके छुटका पारटी वाले मन काबर पिछू रइही। ओमन अपन घोसना पत्र म आखिरी लइन लिखीन – जम्मो जनता के संगे संग, न सिरीफ पइदा होवइया नवजात ला, बलकी अवइया पांच बछर तक, बिहाव लइक नोनी बाबू ला ओकर कोख ले जनमइया लइका बर, नोट छापे के मसीन एडवांस म देबो। अऊ तो अऊ ये पांच बछर म जे मनखे मर जही तेकरो ले मसीन वापिस नी मांगन, बलकी सरग या नरक तको म घला निरबाध उपयोग के छूट देबो।
भगवान कसम, नींद खुलिस, त समझ नी आवत रहय के नींद म हंव के जागत हंव अऊ जागगे हंव त, सपना आय के सहींच के बात आय। दसना ला टमरेंव त समझ अइस के सपना आय फेर सवाल ठड़ा होगे – सपना सच आय के लबारी। को जनी नींद नी खुलतिस त अऊ कतिहां तक जातिस घोसना पत्र हा। फेर सहींच म नींद खुलगे तब सच पता चलिस के, भारत माता के घेंच म बड़े जिनीस घोसना नाव के पथरा बंधाये रहय अऊ खुरसी के लालच के पानी म नेता मन ओला ढकेल दे रहय जिंहा भारत माता हा बचाओ बचाओ चिचियावत बुढ़त रहय।

हरिशंकर गजानंद देवांगन
छुरा .