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पं. खेमेस्वर पुरी गोस्वामी के दस ठन कविता

1. चुनाव के बेरा अऊ नेता
जइसे–जइसे चुनाव लकठियावत हे
फिजा के आलम बदलत जावत हे
मिडिया वाले घलो कवरेज देखावत हे
ऐखर मतलब मोरो समझ में आवत हे
कल तक जो नेता पुछत नई रिहिस
साथ म प्रचार करवाये बय
वो आज गरीब किसान ल घलो
अपन माई- बाप बतावत हे
जइसे–जइसे चुनाव लकठियावत हे
फिजा के आलम बदलत जावत हे।

कल तक जेन नेता दबंगई ले बात-बात म
उछालय लोगन के इज्जत बाजार म
वो आज अपन इज्जत बचाय के सेति
आँसू के गंगा बोहावत हे।
अऊ ते अऊ जे नेता VVIP रहिस कालि तक
आज एक-एक वोट बर दर-दर हाथ फइलावत हे
जइसे–जइसे चुनाव लकठियावत हे
फिजा के आलम बदलत जावत हे।

का “राजा” अऊ का “युवराज”
हर कोई वादा के चक्कर चलावत हे
कोनो आरक्षण के कोटा
त कोनो कोटा म कोटा देके लुभावत हे
कोनो फोकट में शिक्षा, त कोनो इलाज
कोनो बेरोजगारी भत्ता, त कोनो मकान
अऊ कोनो शादी कराए के सपना देखावत हे
जेला कल तक नफरत रहिस कंप्यूटर के नाम ले
उहू आज फोकट में लेपटॉप बाटहू काहत हे
जइसे–जइसे चुनाव लकठियावत हे
फिजा के आलम बदलत जावत हे। ।




2. फर्जी बाबा
गुरु बन भक्त के नाश करत इन फिरथें….!
धरम के आड़ म अधरमी पनपत जावत हे।
मंदिर में बइठके पुजारी बनत जावत हे।
बाबा के नाम म सभा इन बुलावत हें।
राम नाम ले काम-वासना म आवत हें॥

प्रभु के अस्तित्व ल कलंकित बनावत हें।
धरम के नाम म गलतविचार बढ़ावत हें।
बढत हे बाबा मन के इंहा गलत विचार,
वासना के तो दुकान इहां सजावत हे॥

वेद-पुराण के कथा इंहला कइसे लगथे।
काम भोगी बन घलो राम नाम कइसे भजथें।
गीता उपदेश बचन ल आगू म रखके
मदिरापान करइया ईश्वर ल कइसे रमथें॥

ज्ञान-दान,धरम-करम कर सबो ले कहिथें।
ढोंगी बाबा ए भक्त संग सबो नांचथे।
अइसन बाबा के कहानी खतम होगी कब
गुरु बन भक्त के नाश करत इन फिरथें॥

3. जम्मो दुनिया के नक्शा म,फेर पाकिस्तान तो नई होही
देश के रक्षा करते करत खुद के परान घलो वार देथें
वतन के वीर जवान मन अपन सर्वस्व निसार देथें
आधा रात के चोरी छिपे दुश्मन हर तो वार करथें
तब घात लगाक हमला करके पाछू ले आके मार देथें

एक महिना मे पांच पिता हे
संघर्ष विराम जेन तोड़त हे
इसन पापी नापाक पाक ला
काबर इमन अब छोंड़त हें

अरे-आदेश तो कर दव सेना ल
अब भी काबर मुंह मोड़त हव,
अब काबर नई जरदारी अऊ
आतंक के गर्दन नई मरोड़त हव

बरदी असन कुकुर ल शामिल
करके शेर मन ललकारत हे
काखर बहकावा म आके
बार बार भारत ल ललकारत हे

ये दिल्ली के सरकार अगर
थोकिन जो हिम्मत कर जातिस
बस अब एकेच बार हमला
करे बर सहमत हो जातिस
सौगन्ध शहीद वीर जवान
के द्रृश्य बदल अब जाही रे
इस्लामाबाद,काश्मीर,करांची
तक अब ये तिरंगा लहराही रे

अबके लड़ई होही कहूं ते
अब नरसंहार बड़ भीषण होही
दुनिया ले पाक मिटाये के
हर सैनिक के प्रण होही
नापाक पाक ल काट काटके
गली के कुकुर ल खवा देबो
इन्दुस सतलज चेनाब में हमन
तुंहर…लहू के धार बोहा देबो

तोर सबके आंखीं के आगू ही
तब अंतिम वो क्षण होही
तोर नक्शा से नाम मिटाये के
बिना रुके नहीं ये रण होही

ओ युद्ध के अंत मे येही तय हे
के तब शमशान तुंहर उहें होही
जम्मो दुनिया के नक्शा म,
फेर पाकिस्तान तो नई होही….!!!




4. पाकिस्तान पर कविता
अधरां ल दर्पण का देना,
भैरा ल भजन सुनाना का,
जेन लहू पिये टकरहा हे,
गंगा के जल पिलाना का,
हमी मन जेला आँखी देहन
वो हमला आँख दिखावथे,
हम शांति जग में लगे रथन ते,
उन सफेद परेवा खावथे,
वो छल मे छल करत आयिस,
हम अड़े रहि गेन विश्वास म,
कतका समझौता थोप दे हेन,
हमन लइका के लाश म,
अब लाश घलो ये बोल उठे हें,
मत अंतर्मन म घात करव,
दुश्मन जेन भाषा समझ सके,
अब ओही भाषा म बात करव,
उन झाडी हे,हम बरगद हन,
उन हे बंभरी हम चन्दन हन,
ओमन भीड़ गहबऱ वाले त
हमर शेर करत अभिनन्दन हें,
ऐ पाक तुम्हार धमकी ले,
ये भुंइया नही डरय वाले,
ये अमर सनातन माटी हे,
ये कभू नई मरय वाले,
तुमन भूला गेव सन अड़तालिस,
तुमन भूला गेव सन पैसठ ला,
तुमन भूलवे सन इकहत्तर,
तुम भूल गेहव करगिल के रण,
हिमगिरि म लिखे कहानी रहिस
इस्लामाबादी गुंडा ला जब
बेटा याद दिलाये नानी रहिस,
बिगड़ैल कोनो लइका जइसे
आलाप तुम्हार तो लगथे रे
तुम भूल गे हव रिश्ते में
भारत बाप तुम्हार लगथे रे
बेटा पिटे के आदी है,
बेटा पक्का जेहादी है,
शायद बेटे के किस्मत में,
बर्बादीच बर्बादी हे,
तोर बर्बादी में खुद ला,
बर्बाद नई होवन दन,
हम भारत माँ के छाती म
जेहाद नईं होवन दन,
तैं रख हथियार उधारी के,
हम अपन दम ले लड़ लेबो,
गर एटम बम से लड़ना हे
तो एटम बम से लड़ लेबो,
जब तक तैं बटन दबाबे,
हम पृथ्वी नाग चला देबो,
तैं जब तक दिल्ली खोजबे बेटा,
हमन तो पूरा पाक जला देबोे..
हमन तो पूरा पाक जला देबोे..!!

5. नारी के महिमा
दाई बनके तैं जनम देहेस
हष्ट-पुष्ट बलवान करेश
सबले पहिली तोर अभिनंदन
बिहना-मंझनिहा-संझा करंव
शत-शत तोला मैं प्रणाम करंव।
बहिनी बनके साथ-संग रहे
रिश्ता तैंहा निभाये
मर्यादा ल बचा के रखे
तोर पांव म माथ नवांव
शत-शत तोला मैं प्रणाम करंव।
पत्नी बन पतिव्रता संग मोर साथ निभायेस
मोला अपन मांग में सिंदूर कस सजायेस
तोर-करनी धरनी का मैं तो
कइसे गुणगान करंव
शत-शत तोला मैं प्रणाम करंव।

6. पतेच नई चलिस…
ज़िनगी के आपाधापी म,
कब निकलिस उमर हमार,संगी हो
पतेच नई चलिस।

खांध म चढ़हइया लइका मश,
कब खांध तक आ गिस,
पतेच नई चलिस।

किराया के घर ले
शुरू होए रहिसे ए सफर हमर
कब अपन घर तक आ गिस,
पतेच नई चलिस।

सइकिल के
पइडिल मारत रहेन,
हंफरथ रहे ओ दिन,
कब ले इमन,
कार में घूमे लगिस,
पतेच नई चलिस।

कभू रहेन जिम्मेदारी
हमन माँ बाप के,
कब हमर जिम्मेदारी
हमर लइका होगिस,
पतेच नई चलिस।

एक टइम रिहिस जब
दिन में घलो सुतिंत्र सो जात रहेन
कब रात के नींद उड़ा गिस,
पतेच नई चलिस।

जेन करिया घन
चूंदी म इतरात रहेन कभू हम,
कब सफेद होये ल शुरू कर दिस,
पतेच नई चलिस।

दर दर भटकत रहेन,
नौकरी के खातिर,
कब रिटायर होये के समय आ गिस
पतेच नई चलिस।

लइका मन बर
कमाय, बचाये में
इतका मशगूल होयेन हम,
कब लइका हमर ले दूर होगिस,
पतेच नई चलिस।

भरे पूरे परिवार के सेती
सीना चौड़ा रखत रहेन,
अपन भाई बहिनीं उपर घमंड रहिसे,
उन सब के साथ छूट गिस,
कब परिवार हमी दू झी म सिमट गिस।
पतेच नई चलिस…!!




7. काश! मोरो एक बहिनी होतिस…
चंचल भोली भाली अस
नटखट अउ इतरात अस
डोंहड़ी कस मुस्कात अस
आगर जस लहरात अस
हर एक हँसी म ओखर मैं
दुनिया के खुशी लुटा देतेंव
ओखर जौन माँग रतिस ते
नभ के तारा घलो ला देतेंव
छीन लेतेंव मैं हर जम्मो
मैं आंखी के ओखर मोतीस
काश.! मोरो एक बहिनी होतिस..

कतका खुशी के पल होतिस
हम संगे संग खेले करतेन
खींचा-तानी शैतानी घलो
लड़ते तको, रिसाए भी करतेन
वो मोला मनातिस फेर
मैं अऊ अइंठ जाये करतेंव
ऊपरले आँखी लाल करतेंव
मने मन में मुस्काये करतेंव
जा रे तोर ले नि बोलन
तब ए कहिके, ओहर रोतिस
काश..! मोरो एक बहिनी होतिस..

दुल्हन जब भी बनतिस बहना
खुद मैं हर सजातेंव ओला
उठतिस डोली, दिल थाम खड़े
नम आँखी ले मुस्कातेंव मैं
भैया भैया कहितिस वो फेर
सीना से लिपट जातिस मोर
मैं सहलातेंव फेर चूंदी ल
जा पिया के घर तैं, प्रिय तोर
और दूर चले फेर वो जातिस
दिल म भारी बोझ ढोतिस
काश..! मोरो एक बहिनी होतिस…

मोरा सून्ना कलाई तड़प उठथे
खाली माथा हा! रोवत हे
राखी के पावन दिन में तो
दिल मेरा टूटे कस होवत हे
मोर मन कमल कस टुकड़ा में
आगी सही लग जावत हे
जब मैं ये सोचथंव तब
भुर्री कस छाती जलावत हे
मेरी खुशी के तस्वीर
काश नहीं ये सपना होतिस
काश..! मोरो एक बहिनी होतिस।

8. भाई बहन के मया
भाई-बहिनी के मया के बंधन होथे हे बड़ खपटे
चाहे लाख मुसीबत आए, ये रिश्ता कभू नि टूटे
बहिनी, दाई कस भाई उपर
ममता घलो बरसाथे
भाई घलो हर कष्ट सहिके अपन बहिनी बर जान लुटाथे
कभू कभू मीठ मीठ झगरा
होथे दूनों के बीच
त कभू दूनों एक-दूसर के ताकत तको बन जाथें
कभू नान-नान चीजन बर लड़त रहिन हे जौन
एक-दूसर खातिर कब बड़े बड़े कुर्बानी दे जाथें
वो राखी अऊ भाईदूज ये रिश्ते ल फेर संवार तो जाथें
दिल के नजदीकी के आगू दूरी सबो ए मिटा मिटा जाथे
भाई-बहन दूनो बिन कहे एक-दूसर की बात समझ तो जाथे
बहन के हाथ के बने पकवान, हमेशा भाई लिए ल तो भाथे
हर गुजरे दिन के साथ
ए रिश्ता के अहमियत बढ़त अब जाथे

बचपन के खट्टा-मीठा सुरता,
ए रिश्ता में अऊ मिठास तो घोल जाथे।

9. बहिनी हरस तैं…..
बहिनी हरस तैं..
हर भाई के अरमान हरस तैं
राखी के डोरी में बंधाय
एक मनभावन पहचान हरस तैं,
मां के जइसे हे मान तोर
घर-घर पावत सम्मान हरस तैं.

स्वार्थ भरे ए दुनिया में
एक सुख के अहसास हरस तैं.
घायल हाथ के पट्टी बरोबर,
हर पीरा के बाम हरस तैं.
मया का जलत दीया सही,
ममता के मुरत महान हरस तैं.
संचारी हे रूप हर तोर,
सर्वोत्तम जीवन के आयाम हरस तैं.

तोर ले..
तोर ले सूरूज-चाँद बंदैनी,
झीलमिल,झिलमिल करत चंदैनी ,
हरा-भरा जीवन हे ताेर ले,
सच्चा सुख के संसार हरस तैं.
कतका सुघर,कतना कोमल
हे तोर डोरी के बंधना
मृग बन खोजत रहे जौन खुशबू,
ओखर भी स्रोत साकार हरस तैं.

जब-जब माथा म तिलक लगाथस
राखी बांध जब तैं मुस्काथस,
खुशी के एक धार निकलथे,
लगथे सृष्टि साकार हरस तैं.

पाती म सिमटे हे तोर बात,
भींगे सावन के सौगात
डोरी में बंध बढ़थे जीवन
फूल बगिया के बहार हरस तैं

धरती हस तैं,आसमान हस तैं,
चमत्कारी वरदान हस तैं
रिश्ता के केंद्र बिंदु हस,
मोर हिरदे के बहिनी हरस तैं….!





10. हे का एक दोस्त
हे का एक दोस्त आज मैं आपला समझावत हंव
दोस्ती के वास्तविक अर्थ ले मैं, आपला परिचित करावत हंव,
पड़े रहे भारी भीड़ या कोनो विकट आपत्ति,
साथ न रहे जब जीनगी में, कोनो भी संगी; साथी
अइसन बेरा में दोस्त आगू बढ़के आथे,
भरे विपदा ले , अपन दोस्त ल आजाद कराथे,
कोनो जाति, धर्म या वंश ले एखर पहिचान नी होथे,
ओ दोस्त के सच्चा दोस्ती ह एक मिशाल होथे।
हर खून के रिश्ता ले ऊपर होथे जेखर किश्शा,
गंगा जल जैसन पवित्र होथे सच्चा दोस्त के रिश्ता,
बोहाथे हरदम जेकर आगर कस निर्मल पवित्र धारा,
होथे तो वो दोस्त जग में सबले अबड़ निराला,
पांव-पांव म दोस्ती निभाय बर मचलथे दिल जेकर,
होथे वो दोस्त वास्तव में मन का सच्चा ओहर,
इसन दोस्त मिलना जग में एक मुकाम पाये के समान हे,
थाम ले अइसन दोस्त के हाथ अगर वो आपके साथ हे।।

पं. खेमेस्वर पुरी गोस्वामी
“छत्तीसगढ़िया राजा”
मुंगेली-छत्तीसगढ़ 7828657057

One reply on “पं. खेमेस्वर पुरी गोस्वामी के दस ठन कविता”

Tag me khemeshwar”Giri* Goswami likha he.
Ktipya “Giri” k jagah par “PURI” karne ka kast kre

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