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गीत

फटाका नइ फुटे’ (दिल्ली के बिषय म)

नइ बाजे जी ,नी फूटे न
आसो के बछर म दिल्ली शहर म
ढम ढम फटाका नइ फूटे न
देवारी तिहार म एनसीआर म
अउ तिर तखार म
फटाका नइ फूटे न

नान्हे नान्हे नोनी बाबू
जिद करही बिटाही
सुरसुरी चकरी अउ अनार
कहां ले बिसाहीं,
दुसर जिनिस म भुलियारही
लइका मन ल घर घर म
आसो के बछर म

एकर धुआं ले बाताबरण म
कहिथे भारी होथे परदुषण
तेकरे सेती बेचईया मन के
जपत कर ले लयसन,
ऊंकरो जीव होगे अभी अधर म
आसो के…..,

देश चढ़त हे बिकास कै रद्दा
का इही हरे बिकास
जिंहा सफ्फा पीये बर पानी नी मीले
हवा नइ मीले लेय बर सांस,
सब देखत सुनत हे खोज खबर म
आसो के …..,

एक दिन के हे उछाह मंगल
फटाका फोरेबर छेंकत हें
बारो महीना एसी बड़े बड़े कारखाना
एला कोनो नइ देखत हें,
एकर धुआं ले छेदा होवत हे हमर ओजोन परत म
आसो के बछर म !!!

ललित नागेश
बहेराभाठा(छुरा)
४९३९९६
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