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कविता

दूध के करजा चुकाले रे

छत्तीसगढ़ के धुर्रा माटी,
माथ म तैंहा लगा ले रे।
थाम के तिरंगा हाथ मा,
वन्दे-मातरम् गा ले रे ।।

बइरी दुस्सासन, ताकत हे आज,
भारत माँ के अँँचरा ल।
डंडा मार के दूर भगाबे,
आतंकवाद के कचरा ल।।
जा बेटा आज,
दूध के करजा चुकाले रे….

राष्ट्र धरम ले बढ़के,
अउ कोनो धरम ईमान नही।
भारत भुंईयां ले बढ़के,
अउ कोनो भगवान नही।।
अपन, कतरा कतरा लहू के
भुईंयाँ बर बहाले रे….

राम कुमार साहू
सिल्हाटी, कबीरधाम
मो.नं. 9977535388
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