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कविता

एक दीया अउ जलावव

एक दीया अउ जलावव,
कखरो अंधियारी कुंदरा ह,
अंजोर होजय।
सुवारथ के गंवईं मा,
मया मा लिपे गली खोर होजय।।

एक दीया वीर सिपाही,
भारत के रखवार बर।
देश के खातिर प्रान गवईंया,
अउ ऊंखर परिवार बर ।।
देशभक्ति के भाव मा,
मनखे मनखे सराबोर हो जय…

एक दीया अजादी देवईया,
भारत के भाग्य बिधाता बर।
एक दीया ओ जम्मो मनखे,
जौन ,जियत हे भारत माता बर ।।
वन्दे-मातरम् ह,
मया म बांधे ,डोर होजय….

एक दीया मोर गाँव किसान बर,
जेन करजा ,बाढ़ही म लदाए हे।
जांगर तोड़के ,लांग्हन रहिके,
जेन पथरा मा धान उगाए हे।।
जेखर मन के पीरा,
हमर तोर होजय…

लाखो उछाह मनाके,
तैं फोर ले कतको फटाका।
गरीब के आँसू पोछके,
गोठिया, मया के गुत्तुर भाखा।।
गरीबी के तपन मा,
थोरकुन खुसी के झकोर होजय…
एक दीया……..

राम कुमार साहू
सिल्हाटी, कबीरधाम
मो नं.9977535388