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गोठ बात

चिन्हारी- नरवा-गरूवा-घुरवा-बारी

देस होय चाहे राज्य ओखर पहिचान उहां के संसकरिति ले होथे। सुंदर अउ सुघ्घर संसकरिति ले ही  उहां के पहिचान दूरिहा दूरिहा मा बगरथे।  अइसने हमर छत्तीसगढ़ राज के संसकरिति के परभाव हा घलो हमर देस म अलगे हे। इहां के आदिवासी संसकरिति के साथ-साथ इहां के जीवन यापन, लोकगीत संगीत हा इहां के परमुख विसेसता आय। फेर ऐखर अलावा भुंइया ले जुरे संसकरिति के रूप म गांव अंचल के दैनिक जीवन के सब्बों क्रियाकलाप  घलो जमीनी संसकरिति आय। जेला आज बचाय के जरूरत हे। काबर ए हा समय के संगे-संग कम होवत हे। आजकाल बिग्यान के परभाव तो होगे हे, फेर सिकछा अउ रोजगार बर आदमी सहर डाहर पलायन करत हे। अउ अपन जमीनी संसकरिति ले दुरिहात हे। आज के दौर मा हमर चार ठन जमीनी संसकरिति ’’नरवा-गरूवा-घुरवा-बारी’’ ला बचाय के जरूरत हे। जेखर ले हमर जुन्ना संसकरिति हा बाचे रहि। काबर इही हमर राज के विसेसता आय। 
हमर सबले पराचिन धरोहर नदी-नरवा आय, ये मन आज अधमरा हो गे हे। ये मन ला फेर जियाय ल परहि। गरूवा माने पशुधन, हमर राज ह कृषि परधान आय। इहां गरूवा मन के अब्बड़ महत्ता हे। गरूवा के अलावा सब्बो जीव मन ला बचाना हमर पुराना संसकरिति आय। अब घुरूवा बचाय के मतलब आय, जैविक खेती ला बढ़ा के शुध्द अउ अच्छा अनाज उगाना। अउ आखिरी मा बारी के विकास के माने हरियाली अउ खुशहाली ले हे। हमर आसपास के संगे-संग सब्बो डाहर हरियाली के वातावरण ला बनाय ला परही। राज के सब्बों संसकरिति ला बचाय ले इंहा के मान हा बांचहि। फेर ये भुंइया ले जुरे संसकरिति ला बचाना अब्बड़ जरूरी हे। काबर ’’नरवा-गरूवा-घुरवा-बारी’’ हमर ’’चिन्हारी’’ आय।

अमित कुमार 
गाड़ाघाट, गरियाबंद
7771910692