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गज़ल

गजल : दिन कइसन अच्छा

दिन कइसन अच्छा आ गे जी।
मरहा खुरहा पोक्खा गे जी ।।
बस्ती बस्ती उजार कुंदरा
महल अटारी तना गे जी ।।
पारै हाँका हाँसौ कठल के
सिसका सिसका रोवा गे जी ।।
पीए बर सिखो के हमला
अपन सफ्फा खा गे जी।।
हमला देखावै दरपन उन
मुँह जिन्कर करिया गे जी ।।
कोन ल इहां कहिबे का तै
जम्मो अपनेच लागे जी ।।
बाते भर हे उज्जर निर्मल
तन मन मुँह बस्सागे जी ।।

धर्मेन्द्र निर्मल
9406096346