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गज़ल

गाँव रहिस सुग्घर, अब शहर होगे

बोली अउ भाखा हर जहर होगे,
गाँव रहिस सुग्घर, अब शहर होगे।

दिनो -दिन बाढ़त हे मंहगाई हर,
मुश्किल अब्बड़ गुजर-बसर होगे।

बैरी बनगे भाई के अब भाई हर,
लागत हे, चुनई के गजब असर होगे।

बलदाऊ राम साहू