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कविता

जाड़ ह जनावत हे

चिरई-चिरगुन पेड़ में बइठे,भारी चहचहावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।
हसिया धर के सुधा ह,खेत डाहर जावत हे।
धान लुवत-लुवत दुलारी,सुघ्घर गाना गावत हे।
लू-लू के धान के,करपा ल मढ़ावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।

पैरा डोरी बरत सरवन ,सब झन ल जोहारत हे।
गाड़ा -बइला में जोर के सोनू ,भारा ल डोहारत हे
धान ल मिंजे खातिर सुनील,मितान ल बलावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।।

पानी ल छुबे त ,हाथ ह झिनझिनावत हे।
मुहू में डारबे त,दांत ह किनकिनावत हे।
अदरक वाला चाहा ह,बने अब सुहावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत,जाड़ ह अब जनावत हे।।

खेरेर-खेरेर लइका खांसत,नाक ह बोहावत हे
डाक्टर कर लेग-लेग के,सूजी ल देवावत हे।
आनी-बानी के गोली-पानी,अऊ टानिक ल पियावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।।

पऊर साल के सेटर ल,पेटी ले निकालत हे
बांही ह छोटे होगे,लइका ह रिसावत हे।
जुन्ना ल नइ पहिनो कहिके,नावा सेटर लेवावत हे।।
सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।।

रांधत – रांधत बहू ह,आगी ल अब तापत हे
लइका ल नउहा हे त ,कुड़कुड़-कुड़कुड़ कांपत हे।
इसकूल जाय बर जल्दी से,तइयार ओला करवावत हे।
सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।।

घर में बइठे-बइठे बबा ,बिड़ी ल सुलगावत हे
घाम तापत-तापत बने,नाती ल खेलावत हे।
जांघ में लइका सूसू करदिस,बबा ह खिसियावत हे।।
सुरूर-सुरूर हवा चलत ,जाड़ ह अब जनावत हे।

महेन्द्र देवांगन “माटी”
पंडरिया (कवर्धा )
छत्तीसगढ़
संपर्क — 8602407353
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