Categories
कहानी

कमरछठ कहानी – दुखिया के दुःख

-वीरेन्द्र सरल
एक गाँव में दुखिया नाव के एक झन माइलोगन रहय। दुखिया बपरी जनम के दुखियारी। गरीबी में जनम धरिस, गरीब के घर बिहाव होइस अउ गरीबीच में एक लांघन एक फरहर करके जिनगी पोहावत रिहिस। उपरहा में संतान के सुख घला अभी तक नइ मिले रिहिस। जिनगी के आधा उमर सिरावत रहिस फेर आज ले ओखर कोरा सुन्ना रिहिस। कोन जनी भगवान ओला काबर नइ चिन्हत रिहिस। संतान के बिना घर-दुवार, गली-खोर सुन्ना लागे अउ जिनगी अंधियार। गाँव के लइकोरी मन ओला ठाठा कहिके ताना मारे। काय करे बपरी ह सब के ताना ला कले चुप सहि के आँसू ढारत पहाड़ कस जिनगी ला पहावत रहय। ओखर गोसान ओला गजब समझावय फेर ओखर मन माढ़बे नइ करय। गोसइया घर में नइ रहय तब तो दुखिया बर दिन काटना मुष्कुल हो जाय।
एक बेर के बात आय उखर बियारा में एक ठन कुत्तनिन ह पिला जनमे रहय। पिला मन घातेच सुघ्घर दिखत रहय। दुखिया ह उही में के एक ठन पिला ला अपन घर ले आनिस अउ ओला पोसे लगिस। उही पिला ला अपन सुख-दुख के संगवारी मान के ओखर बर गजब मया करे अउ अपन अन्तस के पीरा ला ओखरे संग गोठियाके अपन दुख ला हल्का करय। अइसने-अइसने अड़बड़ दिन होगे।
कोन जनी कुकर के ओ पिला के अइसे काय परताप रिहिस कि ओखर सेवा के फल में दुखिया के सब दुख मेटागे। थोड़ेच दिन में ओखर घर अन्न धन्न, गउ लक्ष्मी के भंडार भरगे। दुखिया अब गौटनीन होगे। भगवान घला ओला चिन्हे लगिस अउ कोख ला हरियर कर दिस। दुखिया ह अम्मल में रहिगे।
कुकुर पिला ह बाढ़िस तब पता चलिस कि उहू कुतन्नीन आय। एक समे के बात आय। एक दिन दुखिया ला महरी पेज खाय के साध लागिस। ओहा अपन कुटिया-पिसिया करके सकेले चार पइसा में मही बिसा के लानिस अउ महरी पेज बना के राखे रिहिस। ओ समे कुतन्नीन घला अम्मल में रहय। अभी दुखिया ह नहाय बर तरिया गे रिहिस। महरी पेज ला ठंडा करे बर ओ अँगना में मढ़ा दे रिहिस। अंगना में महरी पेज ला खुल्ला माढ़े देख के ओखर जीव ललचागे। ओहा सबो महरी पेज ला सपर-सपर पी डारिस। दुखिया ह नहा के आइस तब ये सबला देख के ओखर एड़ी के रिस तरवा में चढ़गे। ओहा कुतन्नीन ला पीढ़ा में फेंक के मार पारिस। पीढ़ा ह कुतन्नीन के पेट ला पड़िस। ओखर पेट के पिला मरगे। कुतन्नीन ह दुखिया ला श्राप दे दिस कि जा रे चंडालिन मोला थोड़किन गलती बर मार के मोर कोख ला सुन्ना करेस तइसने तोरो कोख ह सुन्ना हो जाय अउ कुतन्नीन उहाँ ले कुई-कुई करत भाग गे।
कुतन्नीन के श्राप में दुखिया के गरभ गिरगे। थोड़े-थोड़े दिन में दुखिया अम्मल में तो रहि जाय फेर गरभ ह ठहरबे नइ करय, बेरा के पहिली गिर जाय। कतको डाक्टर, बइद मेरन जा के देखा-सुना करावय फेर कोन्हो के दवा ओसारी काम नइ करय। दुखिया हर साल कमरछठ के उपास रहय अउ षिव जी उपर कतको जल चढ़ावय फेर सब बिरथा हो जावत रिहिस।
एक बेर दुखिया के घर एक झन मंगन जोगी आइस। ओहा दुखिया ला देख के ओखर दुख ला जान डारिस। कुतन्नीन वाला बात ला घला जान डारिस। दुखिया ह ओ बात ला लुकाय के उदिम करिस फेर जोगी ह सब बात ला कहि दिस। दुखिया ओखर पांव में गिरगे अउ किहिस- बबा! टाप मन तो अर्नयामी अव तइसे लागथे। मोर पाप ला सबो ला जानतथव अब ये श्राप ले मुक्ति होय के मोला कहीं उदिम बतावव।
जोगी किहिस बेटी- मैहा तोला अषिश देवत हवं कि ये पइत तोर गरभ ह नइ गिरय। तोर घर बेटा जनम होही। फेर जब ओहा थोड़किन बड़े बाढ़ जही तब जउन चीज के मांग करही तउन ला पूरा करबे तभे ओहा जियत रही नइ ते फेर भगवान घर चल दिही। मांग ला पूरा कर सकबे तब बता नही ते मोला बिदा कर।
दुखिया ह संतान सुख पाये बर सबो के किसम के मांग पूरा करे बर तैयार होगे अउ ओ जोगी ला लइका के मांग ला पूछिस। जोगी किहिस-बेटी! ओहा सावन भादो टेंषू के फूल खेलहूँ कहि, छानी ऊपर होरा भूँजहूँ कहि, चलती डोंगा ऊपर पकाय खीर खाहूँ कहि अउ तीजा के फरहार के दिन चिखला में खेलत-कूदत आके नवा लुगरा पहिरे अपन फुफू के कोरा म बइठहूँ कहि। ये सबला पूरा करहूँ कहिबे तभे तोर लइका ह जिहीं, समझगेस ना? ये साल के कमरछठ में भगवान षिव के तीर अपन अवइया औलाद के ये सब मांग ला पूरा करहूँ कहिके कबूलबे त अवइया कमर छठ तक तोर कोरा हरिया जही बेटी। अतका बता के जोगी ह अपन बिदा मांगिस अउ दुखिया के घर ले निकलगे।
कमरछठ के दिन जोगी के बताय मुताबिक सबो विधि विधान ले पूजा करके दुखिया ह इही सब बात ला षिव जी तीर कबूलिस अउ सिरतोन म अवइया कमरछठ तिहार तक ओखर कोरा हरियागे। लइका ह जइसे-जइसे बाढ़त गिस तइसे-तइसे ओहा ऊटपटांग मांग करत जाय। दुखिया ला जोगी ह पहिली ले बता डारे रहिस। दुखिया अपन बेटा के सब मांग ला पूरा करिस। अब लइका जवान होके बने खइस कमाइस राज करिस। जइसे दुखिया के दिन बहुरिस तइसे सब के दिन बहुरय। बोलो कमरछठ भगवान की जय।

वीरेन्द्र सरल
बोड़रा ( मगरलोड़)
जिला-धमतरी।