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कविता

कपड़ा

कतका सुघ्घर दिखथे वोहा
अहा!
नान-नान कपड़ा मं।

पूरा कपड़ा मं,
अउ कतका सुघ्घर दिखतीस?
अहा!!

केजवा राम साहू ‘तेजनाथ‘
बरदुली,कबीरधाम (छ.ग. )
7999385846