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गीत

कोइली के गुरतुरबोली मैना के मीठी बोली जीवरा ल बान मारे रेे

कोइली के गुरतुरबोली मैना के मीठी बोली
जीवरा ल बान मारे रेे …

गिरे ल पानी चूहे ल ओइरछा,
तोर मया म मयारू मारथे मूरछा ।
जीवरा ल बान मारे रै …

गोंदा के फूल बूंभर कांटा रे
तोर सुख-दुख म हे मोरो बांटा रे।
जीवरा ल बान मारे रे …

पीरा के ओर न पीरा के छोर
तोर दरस बर संगी मन कल्पथे मोर
जीवरा ल बान मारे रे … ।

दुखिया बाई, टिकरी पारा (गंडई ) राजनादगाव से प्राप्त।