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कविता

मोर छइयां भुइयां के माटी

मोर छइयां भुइयां के माटी रे संगी
महर.महर ममहाथे न,
गंगाजल कस पावन धारा
महानदी ह बोहाथे न ।
मोर छइयां भुइयां के माटी रे संगी
महर.महर ममहाथे न ।।
धान कटोरा हे मोर भुइयां
ये हीरा मोती उगलथे रे,
अरपा, पैरी, सोंढूर, शिवनाथ
एकर कोरा म पलथे रे ।
अछरा जेकर हरियर-हरियर
मया इहां पलपलाथे न,
मोर छइयां भुइयां के माटी रे संगी
महर महर ममहाथे न ।।
मैनपाट जस शिमला लागे
कश्मीर जस चैतुरगढ़ सोहे,
प्रयागराज जस राजीव लोचन
भोरमदेव हर मन ल मोहे ।
डोंगरगढ़ म माता बमलाई
देखत मन हरसाथे न,
मोर छइयां भुइयां के माटी रे संगी
महर.महर ममहाथे न ।।
सातों ऋषि इहां धूनी रमाइन
खेलिन कुदिन लव कुश ह,
राम लखन सिया सहित
घूमिन इहां पवन पुत ह ।
मोरजध्वज जस राजा पायेन
जेकर गाथा घर-घर गाथे न,
मोर छइयां भुइयां के माटी रे संगी
महर-महर ममहाथे न ।।

सोमदत्त यादव
मो नं – 9165787803
ग्राम- मोहदी, पोस्ट- अड़सेना, थाना खरोरा, जिला – रायपुर;छग
पिन – 493225